मात-पिता का बनकर रहूँ
उनके दूध का कर्ज,
हर जन्म में बकाया रहे।
जब तक है तन में प्राण मेरे,
सर पे माँ - बाप का साया रहे।
उसके पवन चरण रहें घर हमारे ,
उसके प्यार का साया रहे सर हमारे ,
रब के चरणों में बाद में ,
हे महादेव,विनती है मेरी आपसे,
कभी ना खाऊं पहले,
मै अपने माँ-बाप से।
* * * * *
सुबह उठुं तो माँ दिखे
पिछे खड़ा पांऊ बाप को,
पहले झुके सर उनके चरणों में,
फिर झुकाऊं आपको ।
बाप है मेरी छोटी सी दुनिया का राजा ,
माँ हमारे घर की जान है ,
पिता रहे बनकर ढाल मेरी ,
रौशनी माँ के प्यार की ,
माँ मेरे जीवन की पहली हकदार थी ,
मेरा दिन शुरू होता है ,
उन दोनों के नाम के जाप से ,
कैसे भूल जाऊं मैं उस गोद को,
जिसमें मेरा बचपन गुजरा है।
क्या मिसाल दूँ मैं उनके प्यार की,
जिन्होंने अपनी पूरी उमर मुझ पे वार दी।
मेरा तन मेरा मन गिरवीं हैं उनके प्यार में ,
माँ तेरा प्यार है माँ गंगा के जैसा ,
तेरा आँचल है समुन्दर से भी महान ,
तेरे हाथों में दुआओं का बसेरा ,
जो हर पल ख्याल रखती है मेरा ,
हे महादेव ,माँ - बाप के चेहरे यूं ही मुस्काते रहे ,
मै हाथ जोड़कर विनती करूँ आपसे ,
हे महादेव,विनती है मेरी आपसे,
कभी ना खाऊं पहले,
मै अपने माँ-बाप से।
* * * * * * *
दुख - दर्द याद हैं मुझे उनके सारे,
वो पल याद हैं मुझे,
जो उनके आँचल तले गुजारे।
मस्त रहूँ मैं अपनी दुनिया में,
कैसे नजरें मिलाउंगा मैं महादेव आपसे,
हे महादेव,विनती है मेरी आपसे,
कभी ना खाऊं पहले,
मै अपने माँ-बाप से।
* * * * *
कभी ना खाऊं पहले,
मै अपने माँ-बाप से।
by-राम सैणी
https://maakavita3.blogspot.com
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