माँ को माँ ही रहने दो
बेशक, मत समझो माँ को,ममता की मूरतबेशक मत समझो उसे मन्दिर की देवी,वो जिस हाल में है चाहे उसे वैसी ही रहने दो।हमारी वजह से कभी दुख ना पहुँचे ,बेशक मा को माँ ही रहने दो ।* * * * *पहले माँ - बाप खांए,फिर खाओ तुम कोई निवाला,अगर करोगे ऐसा कर्म,तो मेहर करेगा ऊपरवाला।हमारा मुख देखकर जो मुस्कराये ,जो रिश्ता अपना दिल से निभाए ,जो कभी अपनी आँखों से ना ओझल होने दे ,जो बेमतलब हमें कभी रोने ना दे,ना उसको दुःख कोई सहने दो ,हमारी वजह से कभी दुख ना पहुँचे ,बेशक मा को माँ ही रहने दो ।* * * *बेशक मत करो माँ की पूजा,मत बनो उसके बुडापे का सहारा,उसका चाहे थोड़ा करो गुणगान ,जिसने हर घडी हम पर किया है उपकार ,उसका न करो कभी अपमान ,बस उनकी आंखों से ना कभी आंसू बहने दो,हमारी वजह से कभी दुख ना पहुँचे ,बेशक मा को माँ ही रहने दो ।* * * *बुडापे में ऐसे रखना सीने से लगाकर,जैसे बचपन में उन्हें तुम को लगाया था।ऐसे रखना हाथ थामकर जैसे,उन्हें बचपन में हाथ पकड़ कर चलना सिखाया था।महल उमीदों का उसकी ना कभी ढहने दो ,हमारी वजह से कभी दुख ना पहुँचे ,बेशक मा को माँ ही रहने दो ।* * * * * *बेशक ना बनो उनकी आंखों का तारा,बेशक ना बनो बुढापे का सहारा,याद रहे सदा ये बात ,हमारे हाथों में रहे सदा उनके हाथ ,ईश्वर के उपहार को ,हर समय प्यार दो ,बस उनको किसी को भी,मन्दे बोल ना कहने दो।हमारी वजह से कभी दुख ना पहुँचे ,बेशक मा को माँ ही रहने दो ।* * * *creater- राम सैणीhttps://maakavita3.blogspot.com- must read :मई बनूंगी छाँव तेरी
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