Friday, 24 November 2023

चरणों का स्पर्श (charanon ka sparash )

मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*    *      *         *       *      *
माँ अपने बच्चे  को निहारती हुई
चरणों का स्पर्श (charanon ka sparash )



ईश्वर के नयनों के जैसे,
दो नयन हैं उसके प्यारे-प्यारे,
माँ के दो नयन चमकते हैं ऐसे,
जैसे नीले आसमान में टिमटिमाते हो सितारे,
उसके चेहरे पर छाया रहता है,
सूरज के जैसा उजाला,
माँ का आँचल है मेरी पहली पाठशाला,
उस पाठशाला ने दिए हैं मुझे,
हीरे मोतियों से कीमती संस्कार,
माँ के मुख से निकली दुआएं,
मेरे लिए हैं एक अनमोल उपहार,
मेरी सांसों में बहती है,
उसके प्यार की खुशबू,
उसने किया है अपना ,
सारा जीवन मेरे नाम,
मैं भी अपना तन-मन उसके अर्पण कर दूं,
पता नहीं वो मेरे लिए,
कितनी मुश्किलें सहती है,
मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*     *      *       *       *       *
ईश्वर के हाथों के जैसे,
कोमल हैं दो हाथ माँ के,
मेरी सांसों के महकते फूल,
कायल हैं माँ के प्यार की छाँव के,
उसके प्यार की छाँव ,
हर किसी को नशीब नहीं,
जिस के पास है माँ के प्यार की दौलत,
वो इस दुनिया में गरीब नहीं,
इस दुनिया के कण-कण में,
जैसे ईश्वर का वास है,
मेरी सांसों में बसी उसकी हर सांस है,
मेरे मन-मन्दिर में माँ की सूरत समाईं है,
माँ की बंदगी मेरी उम्र भर की कमाई है,
मेरे जीवन की बगिया ,
माँ की दुआओं से ही महकती है,
मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
मैं छू लेता हूँ चरण उसके
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*     *      *       *        *      *
मेरी रूह में प्राण बसते है उसके,
मैं बनकर रहता हूँ उसकी परछाई,
रंग -बिरंगे रहते हैं दिन माँ के साये में,
ईश्वर के चरणों के जैसे ,
माँ के चरणों में मेरे मन को,
बहुत सकून मिलता है,
देखकर चेहरे पर रौनक उस ईश्वर की मूरत की,
फूलों के जैसे चेहरा मेरा खिलता है,
माँ को खुश देखकर ईश्वर भी खुश होता हैं,
जो दिल दुखाए माँ का ,
उसका भाग्य सदा सोता है,
उसकी दया का कोई नहीं है सानी,
जो माफ करें हमारी हर नादानी,
उसके प्यार का मोल कोई मोड़ ना सके,
उसके साथ बन्धन हमारा कोई तोड़ ना सके,
उसके मीठी वाणी हर पल,
मेरे कानों में रस घोलती रहती है,
मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
मैं छू लेता हूँ चरण उस माँ के
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*      *        *         *       *        *














































































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