मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
* * * * *
उसके हाथों में है एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकलती है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
* * * * *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो और,
आने वाला हर पल,
राम जाने पिता भी ,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक-दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
* * * * *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी पिता ने हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
* * * * *
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*। *। *। *। *
उसके हाथों में है एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकली है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*। *। *। *। *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो, और,
आने वाला हर पल,
पिता भी राम जाने,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक -दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*। *। *। *। *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*। *। *। *। *
उसके हाथों में है एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकली है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*। *। *। *। *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो, और,
आने वाला हर पल,
पिता भी राम जाने,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक -दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*। *। *। *। *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को