Saturday, 3 February 2024

बेटी की किस्मत (beti ki kismat )

एक बाप के हिस्से में आता,
वो सारे जहां की खुशियां को,
उसके कदमों में बिछाता,
*      *         *        *

बेटी बाप के गले लगकर रोती हुई
बेटी की किस्मत (beti ki kismat )



बेटी को मुश्किल में देखकर,
एक बाप का दिल भी रोता है,
उसकी रातों की नींद उड़ जाती है, 
अगर बेटी को कुछ भी होता है,
बेटी में बसे हैं उसके प्राण,
बेटी है एक बाप का सम्मान,
माँ के दिल की धड़कन है वो ,
एक बाप की आँखों का तारा है,
वो नंगे पाँव दौडी चली आती है,
माँ-बाप ने जब भी उसे पूकारा है,
बेटी की एक मुस्कान प्यारी,
जिसे देखकर दिनभर की थकान,
मिट जाए हमारी,
रहे सुनहरा बेटी का आज और कल,
बेटी की चिंता सताए एक बाप को हर पल,,
काश एक बाप जादू की छडी घूमाकर,
अपनी बेटी को सब खुशियां दे पाता,
एक बाप के हिस्से में आता,
वो सारे जहां की खुशियां को,
उसके कदमों में बिछाता,
*       *        *         *
मैं अपनी बेटी के हिस्से लिखता,
इस नीले आसमान के चाँद-सितारे,
ग़म के सारे बादल हटाकर,
उसके जीवन में लिखता खुशियों के उजियारे,
हर दिन गुजरे उसका हंसते -मुस्कराते ,
वो जिस घर में भी जाए रानी बनकर रहे,
उसके कदमों में हों हर पल,
महकते फूल बिछाते,
काश मैं अपने हिस्से के सुख सारे,
बेटी के नाम लिख पाता,
चमकता रहे हर पल बेटी का चेहरा,
उसके जीवन में सदा प्यार के बादल बरसाता,
बिन मांगे उसे सब दे पाता,
उसके मांगने से पहले ,
उसकी मोहिनी सूरत को देखकर,
सौ,-बार सोचता हूँ उसको डांटने से पहले,
बारिश की बूंदें भी ना छू पाएं उसको,
मैं बनकर रहूँगा सदा उसका छाता,
एक बाप के हिस्से में आता,
वो सारे जहां की खुशियां को,
उसके कदमों में बिछाता,
*       *         *        *
हर रिश्ते को दिल से निभाए,
माँ-बाप के दिल में बस जाएं,
ना किसी बात से डरी है वो
घर में रहती हैं बनकर एक परी है वो,
सबसे ऊपर है बेटी का सम्मान ,
ईश्वर करे वो ना हो कभी परेशान,
बडा रूलाती है बेटी की यादें,
बेटी के जाने के बाद,
रूठ जाती है जब वो कभी,
हम भी रूठ जाते हैं ,
बेटी को मनाने के बाद,
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक,
हर पल करते हैं परवाह उसकी,
माँ-बाप के दिल में रहती है ,
एक अलग ही जगह उसकी,
भूले से भी बेटी का मोह,
दिल से भूलाया नहीं जाता,
काश बेटी की किस्मत लिखने का हक,
एक बाप के हिस्से में आता,
वो सारे जहां की खुशियां को,
उसके कदमों में बिछाता,
*       *        *        *


















































      
ईटपअअ

Thursday, 1 February 2024

स्नेह और सहारा (sneh aur sahara )

मैंने जब भी मांगें हैं खेल- खिलोने ,
बिन पिता के सूने लगते हैं,
वो सब ऊँचे महल-चौबारे,
*      *       *        *


एक बेटा पिता के साथ साइकिल पर जाते हुए
स्नेह और सहारा (sneh aur sahara )


तुम साथ हुआ करते थे जब तक,
हम सबकी आँखों को भाते थे,
कोई कर नहीं सकता प्यार उनके जैसा,
वो इतना प्यार दिखाते थे,
मीत नहीं कोई तुम जैसा,
प्रीत ना करें कोई तुम जैसी,
ये बोलते थे बार -बार हमे,
दिल में कुछ और मुख पर कुछ और,
जताते थे हर पल झूठा प्यार हमें,
मै सब‌ उन झूठे रिश्ते-नातों को,
सच मानकर जिया करता था,
सब को मिल जाएं ऐसे चाहने वाले,
मैं ये ही दुआ किया करता था,
अपनी आंखों का काजल बना कर रखते थे,
हमारे सब चाहने वाले,
कोई रूठ जाए अगर एक सम्बंधी,
हजारों खड़े होते थे हमारा हाथ थामने वाले,
सब रिश्ते थे कितने प्यारे,
मैंने जब भी मांगें हैं खेल- खिलोने ,
बिन पिता के सूने लगते हैं,
वो सब ऊँचे महल-चौबारे,
*       *        *        *
तुम क्या ग‌ए सब रिश्ते-नाते ,
पानी के जैसे बह ग‌ए,
आंखें चुराने लगे हैं सब,
हम बिल्कुल अकेले रह ग‌ए,
आँखों से आंसू बहने लगते हैं,
जब याद आते हैं वो गुजरे पल,
पिता के साये में थे धनवान हम भी,
बिन पिता के हम हो ग‌ए है निर्बल,
तुम्हारा वो कांदे पर बिठाकर,
सुबह -शाम घूमाना,
काश लौट आए फिर से वो नजारा,
कितना हंसी था वो बचपन हमारा 
रिश्ते-नाते सब सुख-चैन हमारा,
लगते हैं सब ख़्वाब पुराने,
पिता बिन सब शुन्य है ,
कोई माने चाहे ना माने,
पिता के रहते खुशियों का मेला,
हर पल लगता था घर में हमारे,
मैंने जब भी मांगें हैं खेल- खिलोने ,
बिन पिता के सूने लगते हैं,
वो सब ऊँचे महल-चौबारे,
*        *       *        *
बात -बात पर आंखें दिखाने लगे हैं,
हम पर मरने वाले,
गिरगिट के जैसे रंग बदलने लगे हैं सब,
हम को अपना कहने वाले,
क्या होता है पिता का साया,
अब हमें समझ आने लगा है,
पिता होता है बरगद की छाया,
अब समझ आने लगा है,
सब के चेहरे से उतरने लगे हैं,
जो पहने थे दो-दो नक़ाब,
पिता का रूतबा क्या होता है,
पता चलता है जब वक्त हो खराब,
अंधेरी रातों के बाद हमारे जीवन में ,
अब उजाले के रंग छाने लगे हैं,
धीरे धीरे घर में खुशियां,
फिर से आने लगी है,
पिता खड़ा होता है हर पल साथ,
जब सारी दुनिया खिलाफ हो हमारे,
मैंने जब भी मांगें हैं खेल- खिलोने ,
वो तोड़कर ले आता था चाँद-सितारे,
बिन पिता के सूने लगते हैं,
वो सब ऊँचे महल-चौबारे,
*        *        *        *


































Tuesday, 30 January 2024

माँ की ममता का कोई मोल नहीं (maa ki mamta ka koi mol nahin )

मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*      *       *        *       *
माँ बच्चों के साथ खेलती हुई
माँ की ममता का कोई मोल नहीं (maa ki mamta ka koi mol nahin )




हर किस्सा अनमोल है माँ का,
मैं कितने सुनाऊं उस के किस्से,,
माँ अपने सर ले लेती थी एक पल में,
जब भी कोई ग़म आया है मेरे हिस्से,
माँ प्यार करे बेइंतिहान मुझको ,
घेरा बनाकर अपनी बाहों का,
चमकते सूरज की रौशनी बनकर बिखर जाती है,
दूर करती है अंधेरा मेरी जीवन की राहों का,
चलते- चलते जब मैं थक जाता था,
मुझे अपनी गोद में लेती थी उठा,
हर पल रखती थी नजर मुझ पर,
माँ तो बस माँ होती है,
इसलिए होती है माँ सबसे जुदा,
जब लगता हूँ मैं माँ के सीने से,
ऐसे लगता है जैसे मैंने ईश्वर को छूआ,
माँ रूठे चाहे मुस्कराए,
मेरे लिए निकले हर पल,
माँ के प्यारे मुख से दुआ,
मुझे रखती थी माँ पलकों पर बिठाकर,
जैसे यशोदा माँ का नंदलाला है,
मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*       *        *         *       *
मुस्कराती थी माँ सुनकर मेरी बातें,
मेरे गीले बिस्तर पर माँ की,
जागकर गुजरती थी अंधेरी रातें,
माँ को ना जाने ईश्वर ने,
किसी मिट्टी से उसे बनाया है
सबका ग़म नजर आता है माँ को,
पर अपना ग़म ना किसी को बताया है,
गलती से भी मेरे पाँव में,
लग जाती थी ठोकर कभी,
लगाकर अपने प्यार का मरहम,
ठीक कर देती थी पाँव को छूकर तभी,
माँ के हिस्से में सुख के पल बहुत कम आए हैं,
जैसे भी पल आए हों जीवन में,
हर पल हंसकर बिताए हैं,
मेरा डर दूर करने के लिए,
माँ मुझको हवा में उछालती है,
हाथों में लेकर मुझको माँ,
गिरने से पहले संभालती है,
माँ ममता की छाँव है,
माँ से ही घर में उजाला है,
मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*      *      *        *        *
तेरी ममता का कोई मोल नहीं,
तुम ईश्वर की निशानी हो,
दानवीर बहुत हैं इस जहान में,
पर शायद माँ तुम से बड़ा कोई दानी हो,
कुछ यूं रच-बस गई है माँ,
तस्वीर तुम्हारी मेरे सीने में,
जीवन का सच्चा सुख है माँ के साथ जीने में,
तुम्हारे कदमों में बिखरी,
इस जहान की खुशियां तमाम हों,
मेरी हर प्रार्थना में शामिल मेरी माँ का नाम हो,
माँ चलती रहेंगी जब तक सांसें तुम्हारी,
हाथ थामकर रखुंगा मैं हर पल,
तुम्हारी दुआओं के बिना,
जीवन नहीं हो सकता मेरा सफल,
माँ-बेटे का रिश्ता इस जहान में,
सबसे प्यारा है,
ईश्वर के बराबर स्थान है तुम्हारा,
माँ ही मेरे जीवन की पहली पाठशाला है,
मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
सच में माँ की ममता का कोई मोल नहीं,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*      *      *        *        *










































































Sunday, 28 January 2024

श्रवण-सा बेटा (sharvan sa beta )

माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
*      *        *         *        *
श्रवण कुमार अपने मात -पिता को ले जाते हुए
 श्रवण-सा बेटा (sharvan sa beta )



अपने कीमती वक्त में से थोड़ा वक्त निकालकर,
माता-पिता के साथ बातें करें जमकर,
दुसरों के लिए एक मिसाल बने,
पहले खुद दिखाएं एक श्रवण सा बेटा बनकर,
शायद हर बेटा ना बन पाए,
श्रवण के जैसा महान,
पर माता-पिता का घर में,
हम कर सकते हैं सम्मान,
जिसने माता-पिता के लिए,
अपना पूरा जीवन किया कुर्बान,
पर श्रवण की बस्ती थी,
अपने माता-पिता में जान,
माता-पिता की हर इच्छा,
श्रवण कुमार ने की है पूरी,
सोचकर देखना एक पल कभी,
माता-पिता के बिन ज़िंदगी है हमारी अधूरी,
जीते -जी करें उनका आदर -सत्कार,
इससे पहले की लम्बी नींद की,गोद में ,
माता-पिता ना सो जाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
*       *        *        *       *
 माता-पिता का‌ सेवक बनकर,
श्रवण के जैसे हम जिम्मेदारी उठाएंगे,
उठाएं ये सौगंध अगर,
हम बेटे का फर्ज सच्चे दिल से निभाएंगे,
उम्र के इस पड़ाव पर माता-पिता को,
हर पल जरूरत हमारी है,
ये ठान लें दिल में हम सब,
अपने माता-पिता से बढ़कर,
और कोई चीज ना हमको प्यारी है,
माता-पिता के चरणों में बैठने का,आँ
हर रोज लीजिए आंनद,
महसूस कीजिए माता-पिता के  प्यार की सुगंध
उनकी बुढ़ी आँखें देखती है,
हर पल हमारी ओर,
अपने हाथों में बच्चे थाम लें,
हमारे जीवन की डोर,
धन-दौलत नहीं चाहिए,
बस हों प्यार के दो मीठे बोल,
पास बैठकर दुख-सुख बांटे ,
ताकि हम चैन की नींद सो पाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण-सा बेटा पैदा हो जाए,
*       *         *       *       * 
हर पल माता-पिता की फ़िक्र हो
जुबान पर हर घड़ी उनका जिक्र हो,
बोझ ना माने जन्मदाता को,
याद रखें सदा उस विधाता को
हर खुशी में हों शामिल उनकी,
उनके हर ग़म को लगाएं सीने से,
ये आसमान से उतरे दो फ़रिश्ते,
एक पल भी दिल ना लगे,
माता-पिता के बिन ज़ीने में,
बेटा हो तो श्रवण के जैसा,
सब फीके हैं इस दुनिया के,
चमकते हीरे -जवांरात और पैसा,
रात-दिन एक किया जिस माता-पिता ने,
हमारे जीवन में लाने के लिए खुशियों की बहार,
बस इतना ध्यान रहे सदा,
बुढ़ापे में ना हों वो ठोकरों के शिकार,
माता-पिता के अनमोल प्यार की ,
सदा अपने दिल में लौ जगाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण-सा बेटा पैदा हो जाए
*       *         *       *       *










































Friday, 26 January 2024

पिता के प्यार की गहराई (pita ke pyar ki gahrai )

मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
*       *         *       *        *


पिता और पुत्र मुस्कराते हुए
पिता के प्यार की गहराई (pita ke pyar ki gahrai )


उसके हाथों में है एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकलती है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
*       *        *        *        *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो और,
आने वाला हर पल,
राम जाने पिता भी ,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक-दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*      *         *         *         *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी पिता ने हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*       *       *         *        *

















































मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।         *।       *।        *
उसके हाथों में है  एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकली है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।        *।        *।        *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो, और,
आने वाला हर पल,
पिता भी राम जाने,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक -दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।      *।         *।         *।         *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को
















































मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।         *।       *।        *
उसके हाथों में है  एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकली है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।        *।        *।        *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो, और,
आने वाला हर पल,
पिता भी राम जाने,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक -दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।      *।         *।         *।         *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को
















































Wednesday, 24 January 2024

संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv)



दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
*      *       *         *
बेटी हाथों में दहेज लिए
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv)



बिस्तर बर्तन और कीमती गहने,
हम खरीद कर भी ला सकते हैं,
पर इन सब चीजों से परिवार में,
सच्चा सुख नहीं पा सकते हैं,
दहेज बिन शादी नहीं
ये ही आजकल बहुत लोगों की है मनसा,
कुछ स्वार्थी लोग सोचते हैं,
दहेज है सब रोगों की दवा,
बिन दहेज शादी करने की,
कौन करेगा पहल यहाँ,
बिन दहेज की बहु आएगी ये सुनकर,
कंई लोगों का दिल जाता है दहल यहाँ,
दहेज की भला को दिल से भूलाकर,
नई बहू को रखिए दिल से लगाकर,
दहेज के लिए दिल में ना पालें ग़म,
दहेज के ताने मारकर,
ना कीजिए न‌ई बहु की आँखों को नम,
किसी की बेटी को रूलाना,
इस दुनिया में सबसे बड़ा है पाप,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
*     *       *       *       *
मैंने अपनी बेटी को दिए हैं अच्छे संस्कार,
विद्या धन है पास उसके,
जो बनकर रहेगा सदा उसका पहरेदार,
परिवार को रखेगी सदा जोड़कर,
हर छोटे-बड़े का करती है आदर-सत्कार
दिल से करती है मेहमानों का स्वागत,
व्यवहार है सबसे उसका मिलनसार,
मैंने अपनी बेटी को लडना सिखाया है,
अच्छे -बुरे हालातों से,
सबका मन मोह लेती है,
वो अपनी मीठी बातों से,
परिवार के साथ चलेगी,
कदम से कदम मिलाकर,
बचपन से सिखाया है उसको,
घर को मानती है वो एक मंदिर
ये सब बार -बार समझाया है उसको,
मन में नहीं रखती कोई रंजिश,
सबको कर देती है वो एक पल में माफ़,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप,
*      *        *       *
धन-दौलत से मत तोलिए,
किसी की प्यारी बेटी को,
कैसा महसूस होगा हमको,
जब कोई रूलाए हमारी बेटी को,
बहु को रखिए बेटी बनाकर,
कीजिए उसका सम्मान सदा,
मुस्करा कर रहेगी जो बहु घर में,
उस घर पर मेहरबान रहेगा भगवान सदा,
एक बाप ने सौंप दिया है आपको,
अपने जीवन का सबसे कीमती गहना,
वो बनकर दिखाएगी बेटी आपको,
आप भी उसके माता-पिता बनकर रहना,
दहेज है एक बूरी भला ,
ये जान लेंगे जिस दिन,
बहु है बेटी हमारी ये मान लेंगे जिस दिन,
खुशियों भरा होगा घर हमारा,
बिन दहेज के शादी करने की,
पहल कीजिए खुद आप,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप
*      *    *       *


























Monday, 22 January 2024

नयनों की ज्योति (naynon ki jyoti )

तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
*      *       *        *       *       *

बेटा अपनी माँ के साथ बैठा हुआ
नयनों की ज्योति (naynon ki jyoti )


माँ तेरे प्यार की माला में ,
जुडा है हर रंग का मोती,
मुझे बड़ा सुकून मिलता है,
जब तुम चैन की नींद हो सोती,
तन-मन से हर रिश्ते को,
तुम सदा निभाती आई हो,
हमको दिया है एक उजला -सा जीवन,
तुम हमारी बनकर रहती सदा परछाई हो,
तुम ने ऐसे रंगा है अपने प्यार के रंग में,
मैं इस रंग को छुड़ाऊं तो कैसे,
मुझे दुनिया में लाने के लिए,
जो दर्द सहा था एक दिन तुम ने,
मैं उस दर्द का मोल चुकाऊं तो कैसे,
तुम्हारे हाथ हैं जादु की एक पुड़िया,
छूते ही मेरे हर दर्द को कर देते हैं कम,
अपने प्यारे दो हाथों से सहलाकर,
लगा देती हो अपने प्यार का मरहम,
मैं तुम्हारे दो हाथ बन जाऊंगा एक दिन,
जब तुम खा ना सकोगी,
अपने हाथों से रोटी,
तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
जब कम हो जाएगी तुम्हारे नयनों की ज्योति,
*     *        *         *        *         *
ईश्वर के इस रूप को माँ रूपी स्वरूप को,
मैं सदा सहारा बन कर रहूंगा उसका,
जीवन में छाँव हो चाहे धूप हो,
माँ कभी नहीं रूठा करती,
चाहे हर कोई हम से रूठ जाए,
माँ रखती है सदा सर पर हाथ,
जब तक उसके सांसों की डोरी ना टूट जाए,
माँ को रखना सदा काँच के जैसे संभालकर,
वो मिलती है जीवन में एक बार,
सबको नहीं मिलता यहाँ माँ का आंचल,
माँ बिन सूना है सारा संसार,
बचपन की मेरी यादों में,
तेरी प्यारी -प्यारी बातों में,
मेरे मन को आराम मिलता है,
तुम्हारा प्यारा मुख देखने का सौभाग्य,
मुझे हर सुबह हर श्याम मिलता है,
मैं  बन जाऊंगा एक दिन पानी की शीतल बूंदें,
जो तुम्हारे पावन चरणों को सदा रहे धोती,
तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
*       *         *         *         *        *
जब तुम्हारे दो नयन हो जाएंगे कमजोर माँ,
जब होने लगेगा धीरे धीरे,
तुम्हारी प्यारी बातों का कम शोर माँ
मैं धड़कन बन जाऊंगा दिल की तुम्हारी,ऐ
तुम चलोगी जब धीरे धीरे,
मैं बन जाऊंगा लाठी तुम्हारी,
मैं पूरी शिद्दत से निभाऊंगा माँ,
एक बेटे की जिम्मेदारी,
नींद तुम्हारे नयनों से जब होने लगेगी कम,
मैं बनकर हवा एक शीतल झोंका,
पास रहूँगा तुम्हारे हरदम,
थकान तुम्हारे चरणों को,
जब होने लगेगी हर रोज़ माँ,
मैं लगाऊंगा मरहम अपने प्यार का,
तुम्हारे चरणों को हर रोज मां,
मैं बन जाऊंगा तुम्हारा मखमल का बिस्तर,
जिस पर तुम चैन की नींद रहो सदा सोती,
तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
जब कम हो जाएगी तुम्हारे नयनों की ज्योति,
*       *         *          *        *        *