जिनके बिना जीवन अधूरा ( jinke bina jeevan adhoora )
माता -पिता जब साथ नहीं
तो क्या मजा है जीने में,
मैं फूल हूँ उस डाली का,
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जिनके बिना जीवन अधूरा ( jinke bina jeevan adhoora ) |
माझी बिन नाव है क्या,
मात-पिता बिन सुख की छाँव है क्या,
वो है दरिया के दो किनारे,
दुख हमारे लेकर वो,
अपने सुख हम पर वारे
सूख जाते हैं वो बगीचे,
जिनका कोई रखवाला नहीं,
ना उन जैसा बलिदानी कोई,
उन के जैसा कोई हिम्मतवाला नहीं,
क्यों भूल जाते हैं हम उपकार उनके,
हमारी रग,-रग में बसे हैं संस्कार उनके,
दिन-रात करके मेहनत जीवन हमारा संवार दिया,
टपकते हैं कीमती मेहनत के मोती,
मात-पिता के चेहरे के पसीने से,
माता -पिता जब साथ नहीं
तो क्या मजा है जीने में,
मैं फूल हूँ उस डाली का,
* * * * *
मात-पिता बिन घर सुनसान ,
उनके बिना है जीवन पथ वीरान,
साथ जब सब छोड़ दें ,
खुशियां मुंह हमसे मोड़ लें,
जब दुख घेर लें चारों ओर से,
उम्मीद का दीपक बुझने लगे,
गर्दिश की आँधी के जोर से,
हाथ पकड़ लेते हैं आकर ,
बांका ना होने दें बाल,
खड जाते हैं तनकर दोनों,
बनकर पर्वत- सी ढाल,
मात-पिता का प्रेम हर पल ,
यूं बरसता है हम पर,
जैसे बादल बरसते हैं सावन के महीने में,
माता -पिता जब साथ नहीं
तो क्या मजा है जीने में,
मैं फूल हूँ उस डाली का,
जिसका दिल धड़कता है मेरे सीने में।
* * * * *
मात-पिता हैं प्रेम समन्दर,
प्रेम खजाना छिपा है,
मात-पिता के दिल के अन्दर,
हमारा जीवन है इनका कर्जदार ,
हमारे जीवन के हैं ये पहले हकदार,
मात-पिता बिन सफलता कदम चूमेगी,
ये हमारी कल्पना है खाली,
बसते हैं जिनके मन में, मात-पिता हरदम,
समझो उसने सोई किस्मत है जगाली,,
मात-पिता हैं भगवान हमारे,
इनके बिना है दिल बेचैन हमारे,
जो खुशी मिलती है मात-पिता के चरणों में,
वो खुशी ना मिले किसी कीमती नगीने में,
माता -पिता जब साथ नहीं
तो क्या मजा है जीने में,
मैं फूल हूँ उस डाली का,
जिसका दिल धड़कता है मेरे सीने में।
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