माँ की डांट और मोहब्बत (maa ki dant aur mohbbat )
माँ की डांट है एक अनमोल धरोहर,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार,
मुझको सीने से लगाए बार-बार
* * * *
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माँ की डांट और मोहब्बत (maa ki dant aur mohbbat ) |
माँ जैसे कपड़ों को धोती बड़े प्यार से,
जब कभी नाराज़ हो जाए जो मुझसे,
तो मुझे भी बहुत थपथपाती है,
अपने हाथों की मार से,
माँ का गुस्सा है दूध का उबाल ,
जितनी जल्दी आएं उतनी जल्दी गायब हो जाए,
माँ भी कभी -कभी रूठने का करती है बहाना,
फिर पल मे मान भी जाए,
फिर मुझे बैठाकर आपनी गोद में,
मेरा दिल बहलाए,
वो बनाकर रखती है मुझे अपनी जान,
मुझे मुस्कराता देखकर छा जाए,
उसके चेहरे पर मुस्कान ,
माँ बनाकर रखें मुझे नंदलाला,
माँ से है हमारे घर का उजाला
उसकी नाराज़गी में भी छुपा है मेरे लिए प्यार,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार ।
* * * * *
बैठाकर माँ अपनी पीठ पर,
मुझे पूरे घर में घूमाए,
बाजार के कीमती खिल़ोनों से ,
मुझको लूबाए,
ओझल ना होने दें मुझे अपनी आँखों से,
माँ गोद में बैठाकर खिलाए,
मुझे अपने हाथों से,
उसके हाथों में एक जादु है
उसके आँचल में है एक खिंचाव,
माँ के आँचल से जुड़ा है रिश्ता मेरा,
मेरे दिल के तार जुड़े हैं उसके दिल के तार से,
मैं खिंचा चला जाता हूँ उसकी ओर,
जब वो देख लेती है मुझे प्यार से,
वो देखती है मुझे बड़े ध्यान से,
जब मैं बोलता हूँ तूतलाती जुबान से,
मेरी हर पल करें रखवाली माँ,
मेरा बनकर पहरेदार,
माँ की डांट है एक अनमोल धरोहर,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार,।
* * * * *
माँ गुस्से में भी लगती है,
मूरत भगवान की,
वो अपने जान से भी ज्यादा,
रखवाली करें मेरी जान की,
माँ के आँचल के सुख सारे,
मुझको लगते हैं बड़े प्यारे,
इस मोहिनी सूरत से,
मेरी नज़र ना हटे एक बार,
रब करे इसी कोख से,
मुझे जन्म मिले हर-बार
मैं रूठ जाऊं तो माँ मुझे मनाएं,
माँ रूठे तो मैं मनाऊं,
उसके इस भोले से चेहरे की तस्वीर,
मैं अपने दिल में बनाऊं,
गुस्से में उसकी आँखें,
मुझे और भी प्यारी लगती है,
रब सलामत रखे उसको,
वो जान हमारी लगती है,
सीने से उसके लगकर मैं सपने देखूं हजार,
माँ की डांट है एक अनमोल धरोहर,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार।
* * * * * *
creater-राम सैणी
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