गहरा प्रेम पिता संग (gahra prem pita sang )
बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
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गहरा प्रेम पिता संग (gahra prem pita sang ) |
अपमान तुम्हारा मैं सह नहीं सकता,
एक पल भी बिन तुम्हारे मैं रह नहीं सकता,
तुम हो मेरे जीवन का अनमोल तोहफा,
माँ की खुशियों की वजह हो तुम,
ये कहे बिना मैं रह नहीं सकता,
बाहर से दिखते हो तुम,
समंदर के खारे पानी के जैसे,
अंदर से दरिया मीठा पानी,
मेरे जीवन की डोर जुडी है तुम से,
तुम ने ही लिखी है मेरे जीवन की कहानी,
परिवार के हर एक छोटे -बडे को,
बनाकर रखा है तुम ने मोतियों की माला,
हम सबके दिल में रहते हो तुम,
बनकर सूरज का उजाला,
मैं अपने दिल के सब भेद बताऊं,
तुम से मैं कुछ ना छूपाऊं,
बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
जब मैं अपने पिता का हाथ बटाऊं,
* * * * *
मेरी माँ की माँग का सिंदूर हो तुम,
हम सबके सर का गुरूर हो तुम,
दिल के हर कोने में बसते हो तुम,
ना दिल से हमारे कभी दूर हो तुम,
बेटे होते हैं पिता के दिल के हीरे,
पिता की परियां बेटियां होती है,
बेटियों के चेहरे पर ला देता है मुस्कान,
जब भी कभी बेटियां रोती हैं,
हालात अच्छे हों या बुरे,
सबकी मार सदा सहते हो तूम,
परेशान रहती है माँ बहूत,
देखकर परेशान तुम्हें,
पता नहीं किन परेशानियों में,
सदा खोए रहते हो तुम,
तुम दोनों हो मेरे दिल के करीब,
माता-पिता को सदा मैं पलकों पर बिठाऊं
बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
* * * * *
तुम से ही सीखा है मैंने,
समय की कद्र करना,
मेहनत का फल मीठा होता है,
सीखा है मैंने तुम जैसा सब्र करना,
कर्म करूं मैं नेक सदा,
पलकों पर बिठाए मुझे हर एक सदा,
मेरे दिल को तसल्ली मिलती है,
जब मेरी माँ खिल-खिलाकर हंसती है,
मेरी माँ की जान पिता जी,
सिर्फ आप में ही बसती है,
आपकी वजह से हमारे जीवन में,
छाए रहते हैं खुशियों के रंग,
आपने सींचा है हम सबको,
अपनी मेहनत के संग,
रहे सलामत हर घर में,
पिता की छाया हरदम,
पिता के रहते हम सबको,
छू नहीं सकते कभी कोई ग़म,
आपके सामने हर पल,
मैं अपना सर झूकाऊं,
बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
जब मैं अपने पिता का हाथ बटाऊं
* * * * *
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