समंदर से भी गहरा ( samandar se bhi gahra)
नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
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समंदर से भी गहरा ( samandar se bhi gahra |
कोई जान नहीं सका आज तक,
समंदर और माँ के प्यार की गहराई
दोनों हैं खुद बहुत विशाल, और साफ,
दोनों में दिखती है अपनी ही परछाई,
समंदर का पानी अमृत बनकर,
सबकी प्यास बुझाए,
चलते रहना ही है जीवन,
ये सबको पाठ पढ़ाए,
माँ भी है समंदर के जैसे,
सबको अपने गले लगाए,
कदम-कदम पर हाथ पकड़कर,
जीवन की राहों में चलना सिखाए,
कल,-कल करके बहता है समंदर,
अपने सीने में लाखों अनमोल खजाने छिपाए,
माँ के जैसे रखता है सीने में सब राज दबाए,
उसके के प्यार में नहीं कोई मिलावट,
माँ का प्यार शुद सोना खरा होता है,
नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
* * * * *
समंदर का बहता पानी,
सबको एक ही पाठ पढ़ाए,
धूप हो छाँव सदा अपनी मस्ती में बहता जाए,
काम नहीं रूकना उसका,
चलते रहना ही जीवन है,
किसी मुश्किल के नहीं झूकना,
माँ भी गूरू बनकर हमें ज्ञान दे,
हमारी छोटी छोटी बात पर माँ ध्यान दे,
मन की बेचैनी हमारे,
पलक झपकते ही जान ले,
माँ का प्यार है एक अनमोल गहना,
सदा माँ के आँचल में ही जीवन बिताना,
मैं मैं सदा निभाऊंगा साथ तेरा,
ये माँ को हर पल याद दिलाना,
माँ का प्यार है वो खजाना,
जिससे बच्चों का जीवन,
हर पल हरा-भरा रहता है,
नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
माँ का प्यार समंदर से भी गहरा होता है,
* * * * * *
माँ के प्यार में हैं गहराई,
जिसमें सारी दुनिया की खुशियां हैं समाई,
माँ की गोद में हैं एक करामात,
जिसकी गोद में आकर,
हम भूल जाएं ग़म सारे,
माँ की गोद ईश्वर की सौगात,
उसकी गोद में मिल जाते हैं,
इस नीले अम्बर के चाँद-सितारे,
मेरे चेहरे की चमक देखकर,
आँखें उसकी उसकी खिल जाती है,
मुझको शांत देखकर मानों,
माँ के मन को शांति मिल जाती है,
जिस मिट्टी पर माँ के पाँव पड़े,
उस मिट्टी को करूं प्रणाम,
घर में रहे उसके पाँव की आहट,
सारे जहां की खुशियां ईश्वर करे माँ के नाम,
माँ तेरे साथ रौनक घर की,
तूं है-तो सारा घर खुशियों से भरा होता है,
नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
माँ का प्यार समंदर से भी गहरा होता है,
* * * * *
creater-राम सैणी
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