Tuesday, 29 August 2023

यादों की दास्तान (yaadon ki dastaan )

जिस माँ ने आँखों से ओझल ना होने दिया,
माँ सबको अपने सीने से लगाए,
माँ को वृद्ध -आश्रम छोड़ आए।
*      *         *         *          *





माँ किताब पड़ती हुई
यादों की दास्तान  (yaadon ki dastaan )


राम जाने वो कब अपने,बेगाने हो ग‌ए,
कैसे रहते हैं घर अपने,
भूलाकर अपनी जन्मदाती को,
कब से वो इतने शयाने हो ग‌ए,
छोड़ दिया जिनके लिए,
सुख-चैन अपना सारा,
क्यों बना लिया बिन मेरे,
एक और घर न्यारा,
उस घर में बसती थी रूह मेरी,
जिस घर में बेकद्री होती थी मेरी,
जिनको समझकर ज़िगर के टुकड़े,
दीवानों के जैसे करती थी प्यार,
निकाल कर मुझको दिल से अपने,
किया है मेरा तिरस्कार,
शायद हो ग‌ए शयाने हद से ज्यादा,
जो माँ को ही अब वो बोझ बताएं,
जिस माँ ने आँखों से ओझल ना होने दिया,
माँ सबको अपने सीने से लगाए,
माँ को वृद्ध -आश्रम छोड़ आए।
*       *         *        *       *
पढ़-लिखकर वो हो ग‌ए ,
हमसे एक पल में परा‌ये,
धर्म-कर्म से जो जुड़े रहें,
वो ही आखिर तक रिश्ता निभाए,
यादें घर -परिवार की,
बेचैन कर देती है मुझे,
डोर बच्चों के प्यार की,
उनकी ओर खींचें मुझे,
जो घर था कभी सपनों का मन्दिर,
टूट गया अब  उससे नाता,
अटूट रिश्ता था घर से,
इतनी जल्दी मोह उससे नहीं जाता,
उस घर से जुड़े हैं दिल के रिश्ते,
उसी घर में हैं मेरे प्राण समाए ,
जिस माँ ने आँखों से ओझल ना होने दिया,
माँ सबको अपने सीने से लगाए
एक पल में भूलाकर रिश्ते सारे,
माँ को वृद्ध -आश्रम छोड़ आए।
*        *       *         *        *
अपनों ने किया पराया है,
बेगानों ने गले लगाया है,
जिन बच्चों पर था गुरुर कभी,
उन बच्चों ने ही मुझे सताया है,
देकर एक नया घर मुझे,
पल -पल मुझे रुलाया है,
जिनके सहारे गुजार दिया,
जीवन ये मैंने सारा,
समझा था जिनको मैंने,
अपनी जान से प्यारा,
सब रिश्ते मुझसे तोड़ ग‌ए वो,
मुझको अकेला छोड़ ग‌ए वो,
आंसू आँखों से बहते रहेंगे,
दुख हर रोज सहते रहेंगे,
नजरों से करके दूर अपनी ,
शायद खुश होंगे मेरी कोख के जाये ,
जिस माँ ने आँखों से ओझल ना होने दिया,
माँ सबको अपने सीने से लगाए
एक पल में भूलाकर रिश्ते सारे,
माँ को वृद्ध -आश्रम छोड़ आए।
*        *          *         *

























Monday, 28 August 2023

माँ के प्यार की मिसाल (maa ke pyar ki misal )

मोल बिकती नहीं बाजारों में,
फूल खरीद कर देख लिए हैं,
मैंने भी कंई हजारों में ।
*       *       *       *


माँ बेटे को बांहों में लेकर देखती हुई
माँ के प्यार की मिसाल (maa ke pyar ki misal )



माँ की ममता का कोई मोल नहीं,
उसके प्यार का कोई नाप-तोल नहीं,
दीवानों के जैसे करती है,माँ प्यार हमें,
माँ का प्यार है कितना पावन,
वो चूमकर हमारा माथा,
बताती है हर बार हमें,
माँ तुम्हारे पैर पड़े जिस मिट्टी पर,
मैं उस पवित्र मिट्टी को,
माथे पर लगाता हूँ बार -बार,
घर से निकलता हूँ मैं,
छूकर माँ के पैरों को हर बार,
तुम्हारे आँचल में मिलती है,
ठण्डी छाँव मुझे,
जो सुख मिलता है तेरे सीने पर,
सर रखकर सोने में ,
वो सुख नहीं मिलता ऊंचे महल-चौबारों में,
मोल बिकती नहीं बाजारों में,
फूल खरीद कर देख लिए हैं,
मैंने भी कंई हजारों में ।
*       *        *         *
माँ महकते फूलों की खुशबू भी प्यारी लगाती  है,
पर तेरे प्यार की खुशबू के आगे फीकी है,
तेरी ममता है ताकत मेरी,
तेरी वाणी मिस्री से मीठी है,
तेरे प्यारे हाथों में कोई जादू है,
जो छू लेते हैं मन के तार मेरे,
देकर अपने हिस्से की खुशियां,
दुख ले लेती है हर बार मेरे,
दर्शन हों इस महकते चेहरे के,
मुझको हर सुबह हर श्याम ,
मेरे मुख पर रहता है सदा,
माँ तेरा ही पावन नाम,
एक अदृश्य शक्ति है छुपी,
माँ तेरे दिए संस्कारों में,
माँ तेरे प्यार की खुशबू,
मोल बिकती नहीं बाजारों में,
फूल खरीद कर देख लिए हैं,
मैंने भी कंई हजारों में ।
*      *        *        *
माँ तेरी ममता का हक‌-अदा,
मैं कैसे कर पाऊंगा,
तुम्हारे लिए जो फर्ज है मेरा,
मैं उसे सारी उम्र निभाऊंगा,
माँ खुश है तो मिल जा‌एगा,
मेरी तपस्या का फल मुझे,
चेहरे पर मुस्कान है माँ के,
तो मिल जा‌एगा हर समस्या का हल मुझे,
संसार में गुंजेगी गाथा,
माँ तेरे त्याग और बलिदान की,
मेरे जीवन में ऐसा कोई दिन नहीं,
जिस दिन ना हो चर्चा माँ तेरे गुण‌गान की,
मेरा हर पल युं ही रहे गुजरता,
माँ तुम्हारे प्यार की बौछारों में,
माँ तेरे प्यार की खुशबू,
मोल बिकती नहीं बाजारों में,
फूल खरीद कर देख लिए हैं,
मैंने भी कंई हजारों में ।
*       *       *      *



















Sunday, 27 August 2023

माँ की ममता का रंग (maa ki mamta ka rang )

मुस्कान तेरे चेहरे पर माँ ,
देखने के लिए ये दिल सदा तैयार रहता है,
हम सब पर सदा उधार रहता है
*      *         *         *

माँ अपने बच्चे को निहारती हुई
माँ की ममता का रंग (maa ki mamta ka rang )


कभी भीगने ना देंगे माँ,
आंसुओ से नयन तुम्हारे,
मुस्कराता हुआ देखकर चेहरा तुम्हारा,
आता है दिल को चैन हमारे,
तुम्हारी खुशियों का होगा मान सदा,
खुशियों को तुम्हारी समझुंगा,
मैं अपना ईनाम सदा,
तुम मूरत हो त्याग और बलिदान की,
दुनिया में नहीं होगा माँ,
तुम जैसा कोई दूजा,
ईश्वर के जैसी होगी हर दिन,
माँ तुम्हारी पूजा,
मेरी नज़रों में तुम्हारे लिए,
हर घड़ी सम्मान और प्यार रहता है 
मुस्कान तेरे चेहरे पर माँ ,
देखने के लिए ये दिल सदा तैयार रहता है,
हम सब पर सदा उधार रहता है
*        *        *         *
घर में मिले तुमको मान-सम्मान
इसकी हो तुम हकदार सदा,
हाथ थामा है तुमने अब तक हमारा ,
बनकर पहरेदार सदा,
तुम हो मेरी खुशियों की शुरुआत,
सूनकर चैन मिलता है दिल को,
माँ तुम्हारी प्यारी -प्यारी बातें,
कैसे मोल चुकाऊंगा मैं,
जो तुमने जागकर गुजारी हैं,
हमारे लिए अपनी रातें,
संस्कार तुम्हारे बसे हैं सीने में मेरे,
मुझे इस बात का गुरुर है,
माँ तुम हो तो हमारी,
हर दिन दीवाली है,
तुम नहीं हो तो हर पल अंधकार रहता है,
मुस्कान तेरे चेहरे पर माँ ,
देखने के लिए ये दिल सदा तैयार रहता है,
कर्ज माँ के प्यार का,
हम सब पर सदा उधार रहता है।
*      *        *         *
साथ तुम्हारे लगे ये जहान प्यारा,
हर दिन चमके खुशियों के,
रंग से,चेहरा ये तुम्हारा,
किस्मत से मिलता है,
इस दुनिया में माँ का आँचल प्यारा,
मेरा जीवन यूं ही गुजरता रहे माँ,
दिन-रात करते हुए सम्मान तुम्हारा,
आसमान में चमकते सितारों की तरह,
रंग खुशियों के जीवन में हों तुम्हारे,
पाँव की मिट्टी उठाकर तुम्हारी,
बिखराऊं आँगन में सारे,
माँ तुम्हारे पाँव की मिट्टी से,
पावन हमारा घर -द्वार रहता है,
मुस्कान तेरे चेहरे पर माँ ,
देखने के लिए ये दिल सदा तैयार रहता है,
कर्ज माँ के प्यार का,
हम सब पर सदा उधार रहता है!
*        *         *         *






















Thursday, 24 August 2023

रिश्तों की मिसाल (rishton ki misal )

जीवन में ना जाने माँ,
कितने किरदार निभाती है,
कभी हमदर्द कहलाती है।
*    *       *        *



माँ अपने बेटे को निहारती हुई
रिश्तों की मिसाल (rishton ki misal )


इस धरती पर माँ,
ईश्वर का एक मसीहा है,
सूनसान -सी रातों में,
जैसे जगमगाता एक दीया है,
हाल मेरे दिल का माँ,
दोस्त बनकर जान ले,
बातों के रस्ते धीरे -धीरे माँ,
नब्ज हमारी पहचान ले,
हर समस्या का हल वो जाने,
आने वाला कल वो‌ जाने,
माँ बनकर रहती है साया मेरा ,
मुझको माने अपने तन के प्राण,
बोलती है बाकी सब-कुछ  है पराया मेरा,
रखकर सर गोद में मेरा ,
अपने प्यारे हाथों से धीरे -धीरे सहलाती है,
जीवन में ना जाने माँ,
कितने किरदार निभाती है,
कभी हमदर्द कहलाती है।
*        *         *        *
मानें ना जो हार कभी,
प्यार करें जिसको सभी,
छोटी- छोटी खुशियों में भी,
माँ मुस्कराना जाने,
अपने बच्चों के सिवा,
इस संसार के सब सुख,
माँ ठुकराना जाने,
ज़ुबान पर जिसकी हर वक्त हाँ होती है,
दिखावे की प्रीत तो मिल जा‌एगी,
पर माँ जैसी प्रीत कहाँ मिलती है,
माँ छू लेती है मन के तार,
आँचल में छुपाए बार-बार,
माँ की सूरत है करामाती,
साथ छोड़ दें जब साया भी अपना,
माँ हर कदम पर है साथ निभाती,
खिल जाता है चेहरा मेरा,
माँ जब मन्द-मन्द मुस्कराती है,
जीवन में ना जाने माँ,
कितने किरदार निभाती है,
कभी दोस्त बनती है हमारी,
कभी हमदर्द कहलाती है।
*       *         *          *
कभी बनकर पहरेदार मेरा,
मुझको हर मुश्किल से बचाती है,
छू ना ले कोई मुश्किल हमें,
माँ ढाल बनकर खड जाती है,
मार खाना माँ के हाथों की,
एक वरदान के जैसा लगता है,
खाकर मार हम झूमने लगते हैं मस्ती में,
ये हमको कोई सम्मान के जैसा लगता है,
हे ईश्वर कैसे रखुंगा ध्यान में उसका,
किस मुख से करूं गुणगान मैं उसका,
अल्फाज़ नहीं  कोई पास है मेरे,
उससे ज्यादा कोई खास ना मेरे,
मुख  पर रहे सदा मुस्कान उसके,
जो माँ अपनी जान हम पर लुटाती है,
जीवन में ना जाने माँ,
कितने किरदार निभाती है,
कभी दोस्त बनती है हमारी,
कभी हमदर्द कहलाती है।
*        *        *        *









      







Monday, 14 August 2023

माँ तेरा हँसता हुआ चेहरा हो (maa tera hansta huaa chehra ho )

ना ग़मों का अँधेरा हो ,
हर पल खुशियों का सवेरा हो ,
मै जब भी देखूं तुमको ,
*     *       *       *


माँ अपने बच्चे को बांहों में उठती हुई
माँ तेरा हँसता हुआ चेहरा हो  (maa tera hansta huaa chehra ho )
गम की परछाईयाँ भी ,
तेरे पास से ना गुजरे ,
तुं रहे चहकती सदा ,
तेरे दामन में ऐसे आएं खुशियां,
जैसे गिरती हैं ओस की बुँदे ,
गम तुमसे दूर बैठे रहे ,
अपनी आँखें मूंदें ,
मेरी पहली मन्नत तूं ,
मेरा पहला गुरु तूं ,
मेरे नाम की पहचान ,
तेरे नाम से हो शुरू ,
हमारे आँगन में सदा टहलती रहे तूं ,
माँ तेरा चमकता हुआ सदा चेहरा हो ,
ना ग़मों का अँधेरा हो ,
हर पल खुशियों का सवेरा हो ,
मै जब भी देखूं तुमको ,
*     *      *        *
हमारे घर में फैले तेरे प्यार की खुशबूं ,
सदा चमकते रहे तेरे तेरे आँखों के तारे ,
मुझे रब के जैसे लगती है तूं ,
मुझे मिला है प्यार तुम्हारा ,
मै रब से और क्या मांगूं ,
माँ तुम्हारी मांगी हुई दुआओं के सहारे,
मेरा जीवन चलता है ,
देखकर मोहिनी सूरत तेरी ,
मेरा दिन गुजरता है ,
जो तुम्हारे चरणों में रहे झुका,
वो सर मेरा हो ,
ना ग़मों का अँधेरा हो ,
हर पल खुशियों का सवेरा हो ,
मै जब भी देखूं तुमको ,
माँ तेरा हँसता हुआ चेहरा हो !
*     *       *        *
माँ तुम्हारे प्यार का जादू ,
मेरे सर चडकर  बोलता है,
जब रखती हो माँ तुम सर पर मेरे ,
हाथ दुआओं वाला,
वो मेरी तकदीर के ताले खोलता है,
माँ का साया जिस सर पर रहता है ,
उसके क़दमों के निशान जिस घर में रहते हैं,
वो घर अलग चमकता है ज़माने की इस भीड़ में ,
उस घर सफलता बनकर रहती है दासी ,
मेरा चेहरा चमकने लगता है ,
जब माँ लाल मेरे है कहती ,
हर जन्म मिले मुझे जिस आँचल का सुख ,
वो आँचल माँ तेरा हो ,
ना ग़मों का अँधेरा हो ,
हर पल खुशियों का सवेरा हो ,
मै जब भी देखूं तुमको ,
माँ तेरा हँसता हुआ चेहरा हो !
*       *        *        *
creater-राम सैणी


must read श्रद्धा और सम्मान 
must read :मात-पिता का रिश्ता


Thursday, 3 August 2023

जन्मदाता (Janmdata )

मात-पिता को छोड़कर हम ,
घर नया कहाँ बसाएंगे,
ये बच्चों को कैसे समझाएंगे!
*      *        *        *
माँ अपने बच्चे को सीने पर सुलाती हुई
जन्मदाता (Janmdata )




मात-पिता से नाता तोड़कर,
हम कहाँ ले जाएंगे सब दौलत जोड़कर,
मात-पिता हैं ढाल हमारी,
ये हमारे सरदर्द नहीं,
दिल धड़कता है हमारे दिल में उनका,
उन जैसा कोई सच्चा हमदर्द नहीं 
भूलकर दुख-दर्द उनके,
हम न‌ए ज़माने के हो ग‌ए,
जब से छोड़ा है दामन उनका,
हम मोहताज दाने -दाने को हो ग‌ए,
जब से हो ग‌ए  हम मात-पिता से अनजान,
रखना छोड़ दिया है जबसे हमने उनका ध्यान,
दिल रहने लगा बेचैन हमारा,
इस बेचैन दिल में सुकून कहाँ से लाएंगे,
ये बच्चों को कैसे समझाएंगे।
*        *       *         *
मात-पिता के बिन ऐसे लगता है,
जैसे बिना नींव के हो घर हमारा,
उम्मीद थी जिनकी हम आख़री,
उनको ही छोड़ दिया बे-सहारा,
मात-पिता को दुख देकर,
आज तक कौन सुखी हो पाया है,
जिसने रखा इन फूलों को,
अपने घर के बगीचे में सजाकर,
समझो उसने इस जन्म में पूण्य कर्मों को कमाया है,
जो भी फूल टूटा है डाली से,
वो मिलकर मिट्टी में मिट्टी हो गया,
जिसने पूजा है मात -पिता को ,
वो अपने बुरे कर्म सब धो गया ,
इन रब के फरिश्ते के राहों में,
फूल बोना या शूल बोना,
वो तुम्हारा कर्म है,
पर मात-पिता का हाथ थामकर,
रखना भी तुम्हारा धर्म है ,
छोड़ दिया जो उनको अकेला,
फिर उनका साथ कौन निभाएगा,
मात-पिता है रब जैसे,
ये बच्चों को कैसे समझाएंगे।
*      *       *       *
जिस माँ का दूध बहता है हमारी,
रगों में खून बनकर,
हमें रहना है उनके दिल का सकून बनकर,
जिन्होंने अपनी सारी खुशियों को,
हम पर एक पल में वार दिया,
करके मेहनत दिन-रात
जीवन हमारा संवार दिया,
जो देखकर हमारे चेहरे की बहार,
मस्ती में झूम जाएं,
जो लेकर अपनी बांहों में माथा हमारा चूम जाएं,
कैसे भूल जाएं हम उनका प्यार,
जो हमें अपने आँचल में छुपा लेते हैं बार-बार,
सर -आँखों पर रखेंगे आज से मात-पिता का आदेश,
देंगे हम सबको अब ये ही सन्देश,
उन बिन नहीं रहेगा घर खाली हमारा,
उनके बिन रहना अब नहीं है गंवारा 
हाथ थामकर मात-पिता का अब हम,
उनके कदम से कदम मिलाएंगे,
मात-पिता है रब जैसे,
अब बच्चों को ये ही समझाएंगे।
*      *       *         *      *









Wednesday, 2 August 2023

माँ की डांट और मोहब्बत (maa ki dant aur mohbbat )

माँ की डांट है एक अनमोल धरोहर,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार,
मुझको सीने से लगाए बार-बार 
*      *       *        *
माँ अपने बेटे को गालों को चूमती हुई
माँ की डांट और मोहब्बत (maa ki dant aur mohbbat )




माँ जैसे कपड़ों को धोती बड़े प्यार से,
जब कभी नाराज़ हो जाए जो मुझसे,
तो मुझे भी बहुत थपथपाती है,
अपने हाथों की मार से,
माँ का गुस्सा है दूध का उबाल ,
जितनी जल्दी आएं उतनी जल्दी गायब हो जाए,
माँ भी कभी -कभी रूठने का करती है बहाना,
फिर पल‌ मे मान भी जाए,
फिर मुझे बैठाकर आपनी गोद में,
मेरा दिल बहलाए,
वो बनाकर रखती है मुझे अपनी जान,
मुझे मुस्कराता देखकर छा जाए,
उसके चेहरे पर मुस्कान ,
माँ बनाकर रखें मुझे नंदलाला,
माँ से है हमारे घर का उजाला
उसकी नाराज़गी में भी छुपा है मेरे लिए प्यार,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार ।   
*        *         *         *       *
बैठाकर माँ अपनी पीठ पर,
मुझे पूरे घर में घूमाए,
बाजार के कीमती खिल़ोनों से ,
मुझको लूबाए,
ओझल ना होने दें मुझे अपनी आँखों से,
माँ गोद में बैठाकर खिलाए,
मुझे अपने हाथों से,
उसके हाथों में एक जादु है
उसके आँचल में है एक खिंचाव,
माँ के आँचल से जुड़ा है रिश्ता मेरा,
मेरे दिल के तार जुड़े हैं उसके दिल के तार से,
मैं खिंचा चला जाता हूँ उसकी ओर,
जब वो देख लेती है मुझे प्यार से,
वो देखती है मुझे बड़े ध्यान से,
जब मैं बोलता हूँ तूतलाती जुबान से,
मेरी  हर पल करें रखवाली माँ,
मेरा बनकर पहरेदार,
माँ की डांट है एक अनमोल धरोहर,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार,।
*       *       *        *       *
माँ गुस्से में भी लगती है,
मूरत भगवान की,
वो अपने जान से भी ज्यादा,
रखवाली करें मेरी जान की,
माँ के आँचल के सुख सारे,
मुझको लगते हैं बड़े प्यारे,
इस मोहिनी सूरत से,
मेरी नज़र ना हटे एक बार,
रब करे इसी कोख से,
मुझे जन्म मिले हर-बार 
मैं रूठ जाऊं तो माँ मुझे मनाएं,
माँ रूठे तो मैं मनाऊं,
उसके इस भोले से चेहरे की तस्वीर,
मैं अपने दिल में बनाऊं,
गुस्से में उसकी आँखें,
मुझे और भी प्यारी लगती है,
रब सलामत रखे उसको,
वो जान हमारी लगती है,
सीने से उसके लगकर मैं सपने देखूं हजार,
माँ की डांट है एक अनमोल धरोहर,
जो मुझे हर दिन मिलती है बेसुमार।
*      *       *      *       *        *