माँ बोझ नहीं वरदान है (maa bojh nahin vardan hai )
माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
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माँ बोझ नहीं वरदान है (maa bojh nahin vardan hai ) |
माँ की सब चीजों पर,
दोनों बेटों का हक हो गया सिवा माँ के,
सब चीजों को गले लगाया सिवा माँ के,
माँ ने अपनी मेहनत से,
उठाया था ऊँचा जिस घर को,
अपनी सब इच्छाओं को मारकर,
अपने प्यार के रंगों से सजाया था जिस घर को,
दोनों बेटे उस घर के नए हकदार हो गए,
वो माँ को बारी -बारी रखने को तैयार हो गए,
माँ थी कभी उस घर की इकलौती निगेहबान,
भीगी आँखों से माँ सोचने लगी,
क्यों ये आज जग हंसाई हो गई,
माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
* * * * *
भुलकर माँ के एहसान,
माँ को समझकर बोझ,
दोनों रहने लगे परेशान,
माँ की आँखों के आंसू,
आज धीरे-धीरे बह रहे हैं,
माँ के होंठ कांप रहे थे मगर,
उसके आंसू बहुत- कुछ कह रहे हैं,
मेरी ही कोख के जाये ,
आज मुझसे आँखें चुराने लगे हैं,
कितनी कद्र है मेरी उनकी आँखों में,
वे मुझको समझाने लगे हैं,
कितनी खुश थी मैं कभी ,
दो बेटों का साथ पाकर,
दोनों रखेंगे मुझे अपने सीने से लगाकर,
एक पल में करके पराया मुझे,
दोनों ने आँखें चुराई हैं,
माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
क्यों माँ एक पल में पराई हो गई
* * * * *
सीने में एक अरमान है बाकी,
जब तक जिस्म में जान है बाकी,
जब तक रहूँ सर उठाकर रहूँ,
हे ईश्वर तेरे हाथों में मेरे जीवन की कमान है,
मेरा सम्मान रहेगा क़ायम यूं ही,
जब तक तूं मेहरबान है,
रखना सदा हाथ बेटों के सर पर,
इनके सर रखना कामयाबी के सेहरे,
इन सब में बेटों का कोई दोष नहीं,
होगा वही जो नशीब में लिखा है मेरे,
रखना सदा खुशहाल इन्हें,
गम ना करें परेशान इन्हें
सुख ना हों इनसे पराया कभी ,
जैसे आज मैं पराई हो गई,
माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
क्यों माँ एक पल में पराई हो गई।
* * * * *
creater-राम सैणी
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