माँ का साथ (maa ka saath )
मेरे माथे के पसीने को,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
इसलिए माँ बात -बात पर मुझे टोक देती है ।
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माँ का साथ (maa ka saath ) |
माँ का हर बात पर टोकना,
मैं इसका बुरा नहीं मानता हूँ ,
वो करती है मेरे भले के लिए फ़िक्र,
ये मैं हमेशा जानता हूँ ,
एक माँ ही होती है,
जो बिना शर्त प्यार करे,
वो खुद की परवाह किए बिना,
हमारे जीवन का उद्धार करे,
वो मुझे देखना चाहती है,
जीवन की राहों में सबसे आगे हैं,
बहुत मजबूत है हम दोनों के बीच,
ये जो प्रेम रुपी धागे हैं,
मैं गलती से भी अगर चलूं गलत राहों पर,
माँ हाथ पकड़ मुझे रोक देती है,
मेरे माथे के पसीने को,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
इसलिए माँ बात -बात पर मुझे टोक देती है ।
* * * * *
माँ एक मसीहे के जैसे रहती है,
हर वक्त मेरे आस-पास,
वो खुद उदास हो जाती है,
देखकर मेरा चेहरा उदास,
पता नहीं माँ कैसे जान लेती है,
मेरे दिल की हलचल,
वो खबर रखती मेरी हर पल,
मेरी हर मुश्किल में साथ खड़ी माँ,
मेरी खुशियों के लिए,
सारी दुनिया से लडी माँ,
नींद अपनी त्याग कर,
मेरे लिए माँ जागी है कंई रातों में,
वो कितना प्यार करती है मुझसे,
ये झलकता है उसकी बातों में,
मेरे सर की बलाएं टालने के लिए,
माँ अपनी पूरी ताकत झोंक देती है,
मेरे माथे के पसीने को,
माँ अपनी दुपट्टे से पोंछ देती है ,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
* * * * *
मेरी नस-नस में बसी है,
महक उसके प्यार की,
माँ के जैसा दुजा ना कोई,
क्या मिसाल दूं उस पहरेदार की,
मेरी नज़रें झुक जाती है उसके सम्मान में,
वो रहें चमकती हमेशा,
जैसे तारे चमकते हैं आसमान में,
उसके पैरों में ना चुबने पाए राहों के शूल कभी ,
मेरे चेहरे पर रंग इन्द्र -धनूष के छा जाते हैं,
जब भी मैं माथे पर लगाऊं,
उसके पैरों की धूल कभी,
कम ना हो कभी उसके सांसों की रफ्तार,
मैं माँ को प्यार करता हूँ बेसुमार,
मैं मानता हूँ उसकी हर सलाह को,
माँ मुझे हर बार सलाह नेक देती है,
मेरे माथे के पसीने को,
माँ अपनी दुपट्टे से पोंछ देती है ,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
इसलिए माँ बात -बात पर मुझे टोक देती है,
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creater-राम सैणी
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