Sunday, 28 January 2024

श्रवण-सा बेटा (sharvan sa beta )

माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
*      *        *         *        *
श्रवण कुमार अपने मात -पिता को ले जाते हुए
 श्रवण-सा बेटा (sharvan sa beta )



अपने कीमती वक्त में से थोड़ा वक्त निकालकर,
माता-पिता के साथ बातें करें जमकर,
दुसरों के लिए एक मिसाल बने,
पहले खुद दिखाएं एक श्रवण सा बेटा बनकर,
शायद हर बेटा ना बन पाए,
श्रवण के जैसा महान,
पर माता-पिता का घर में,
हम कर सकते हैं सम्मान,
जिसने माता-पिता के लिए,
अपना पूरा जीवन किया कुर्बान,
पर श्रवण की बस्ती थी,
अपने माता-पिता में जान,
माता-पिता की हर इच्छा,
श्रवण कुमार ने की है पूरी,
सोचकर देखना एक पल कभी,
माता-पिता के बिन ज़िंदगी है हमारी अधूरी,
जीते -जी करें उनका आदर -सत्कार,
इससे पहले की लम्बी नींद की,गोद में ,
माता-पिता ना सो जाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
*       *        *        *       *
 माता-पिता का‌ सेवक बनकर,
श्रवण के जैसे हम जिम्मेदारी उठाएंगे,
उठाएं ये सौगंध अगर,
हम बेटे का फर्ज सच्चे दिल से निभाएंगे,
उम्र के इस पड़ाव पर माता-पिता को,
हर पल जरूरत हमारी है,
ये ठान लें दिल में हम सब,
अपने माता-पिता से बढ़कर,
और कोई चीज ना हमको प्यारी है,
माता-पिता के चरणों में बैठने का,आँ
हर रोज लीजिए आंनद,
महसूस कीजिए माता-पिता के  प्यार की सुगंध
उनकी बुढ़ी आँखें देखती है,
हर पल हमारी ओर,
अपने हाथों में बच्चे थाम लें,
हमारे जीवन की डोर,
धन-दौलत नहीं चाहिए,
बस हों प्यार के दो मीठे बोल,
पास बैठकर दुख-सुख बांटे ,
ताकि हम चैन की नींद सो पाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण-सा बेटा पैदा हो जाए,
*       *         *       *       * 
हर पल माता-पिता की फ़िक्र हो
जुबान पर हर घड़ी उनका जिक्र हो,
बोझ ना माने जन्मदाता को,
याद रखें सदा उस विधाता को
हर खुशी में हों शामिल उनकी,
उनके हर ग़म को लगाएं सीने से,
ये आसमान से उतरे दो फ़रिश्ते,
एक पल भी दिल ना लगे,
माता-पिता के बिन ज़ीने में,
बेटा हो तो श्रवण के जैसा,
सब फीके हैं इस दुनिया के,
चमकते हीरे -जवांरात और पैसा,
रात-दिन एक किया जिस माता-पिता ने,
हमारे जीवन में लाने के लिए खुशियों की बहार,
बस इतना ध्यान रहे सदा,
बुढ़ापे में ना हों वो ठोकरों के शिकार,
माता-पिता के अनमोल प्यार की ,
सदा अपने दिल में लौ जगाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण-सा बेटा पैदा हो जाए
*       *         *       *       *










































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