पापा की परी (papa ki pari )
पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा,
* * * * *
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पापा की परी (papa ki pari ) |
पढ़-लिखकर मैं कुछ बन जाऊं,
मैं सबसे आगे निकल जाऊं,
ये अरमान है मेरे पापा का,
हर जगह मेरी पहचान हो,
मैं छूती रहूँ नीले आसमान को,
ये अरमान है मेरे पापा का,
नजरअंदाज की मेरी हर नादानी,
मुझको बनाया है स्वाभिमानी,
बेटों के जैसे पाला है मुझको,
अपनी नजरों से ना ओझल होने दें,
मुझको कभी ना रोने दें,
बड़े प्यार से संभाला है मुझको,
परियों के जैसे जीती हूँ,
सारे घर में चलता है मेरा राज,
पापा की मुझ में जान बसे,
मैं हंसती तो वो भी हंसे,
अपनी जान बनाकार रखतें हैं,
वो मुझ पर करते हैं हद से ज्यादा नाज,
मेरे घर का मान -सम्मान,
जीवन का आधार है मेरा,
पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा,
* * * *
मैं चूल्हा -चौका भी करती हूँ,
घर के काम में माँ का हाथ बंटाती हूँ,
ये माँ ने सिखाया है मुझको,
माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं,
चूल्हे -चौके में मुझे कोई शर्म नहीं,
अच्छा खाना बनाने से दिल में उतरने का रस्ता ,
ये माँ ने दिखाया है मुझको,
मैं नए जमाने के साथ चलूं,
परिवार में सबसे हंस कर मिलूं,
अपने संसकारों से है प्यार मुझे,
मेरे जीवन के सबसे पहले,मेरे पापा हैं नायक
मैं सर उठाकर जी सकूं,
मुझको बनाया है इस लायक,
घर में रहती हूँ मैं परियों के जैसे,
सबसे प्यारा परिवार है मेरा,
पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
मैं हूँ अपने पापा की परी,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा
* * * *
मैं बेटी हूँ बोझ नहीं,पापा बनाकर रखते हैं ,
अपने सर का ताज मुझे,
चूल्हा-चौका करतीं हूँ मैं खुश होकर,
इससे नहीं कोई एतराज़ मुझे,
हर काम में हाथ बंटाना,
मिल बैठकर सबके संग खाना,
ये ही है घर की रीत हमारे,
हंस-बोलकर हर पल रहना,
थोड़ा कहना थोड़ा सहना,
ऐसे ही बिखरा रहता है,घर में संगीत हमारे
मैं काम-काज से जी ना चुराऊं,
इसलिए सबके दिल में समाऊं,
माँ के पैमाने पर उतरती खरी हूँ मैं,
अपने पापा की परी हूँ मैं,
मन लगाकर पड़ती हूँ
अपने भाई से थोड़ा लडती हूँ
माँ-पापा और एक प्यारा भाई,
बस इतना सा संसार है मेरा,
पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
मैं हूँ अपने पापा की परी,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा,
* * * * *
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