माँ के आँचल की गर्माहट
मै तन पर लपेटे फिरता हूँ,
माँ कीमती दोसाला,
पर तेरे आँचल जैसी गर्माहट नहीं मिलती।
* * * * * *
दुनिया में रिश्ते लाखों मिलेंगे माँ,
पर माँ के जैसा रिश्ता ना कोई,
ऊपर से प्रीत दिखाने वाले बहुत मिलेंगे,
पर तेरे जैसी प्रीत करे ना कोई,
माँ जब तक ना देखूं मुख तेरा,
दिल को राहत नहीं मिलती,
मै तन पर लपेटे फिरता हूँ,
माँ कीमती दोसाला,
पर तेरे आँचल जैसी गर्माहट नहीं मिलती।
* * * * * *
माँ के हाथों की मार जीवन संवार दे,
माँ की करनी ना दे सके हम,
माँ के रहते ना हो कोई गम,
जीवन के सारे सुख हंस कर,
बच्चों पर वार दे,
जब तक है माँ पूरे करो सभी चाव,
सब-कुछ मिल सकता है जीवन में,
पर माँ के जैसी चाहत नहीं मिलती,
मै तन पर लपेटे फिरता हूँ,
माँ कीमती दोसाला,
पर तेरे आँचल जैसी गर्माहट नहीं मिलती।
* * * * * *
मुझे आज भी भाती है माँ,
राख से लिपटी रोटीयां तेरे हाथों की,
मुझे आज भी याद आती है माँ,
तेरी मीठी - मीठी उन बातों की,
चूम लो चरण माँ के,
जब तक पास है हमारे,
बाद में कान तरस जाएंगे सुनने को,
पर माँ के कदमों की आहट नहीं मिलती,
सब-कुछ मिल जाता है इस दुनिया में,
पर तेरे आँचल जैसी गर्माहट नहीं मिलती।
* * * * * * *
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