माँ के प्रति आभार (maa ke prati aabhar )
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माँ के प्रति आभार |
तुम्हारा प्यार है माँ गंगा जल के जैसा,
बिल्कुल साफ और पवित्र,
नफ़रत तेरे आस-पास नहीं,
जो आ जाए तुम्हारे आंचल की छाँव में,
वो रहे ना उदास कभी ,
तुम नब्ज हमारी पड़ लेती हो,
मैं बनकर रहूँ तुम्हारा सेवादार ,
हे ईश्वर,माँ है बरगद का पेड़,
मैं हूँ ढाल उसकी,
उसकी छाया रहे सदा मुझपर,
मैं रखुं मिलाकर ताल में ताल उसकी,
मैं हूँ एतबार माँ का ,वो बनाकर रखें,
गले का हार मुझे,
* * * * *
किस्मत के धनी हैं वो लोग,
जिनके सर माँ-बाप का साया है,
शायद कुछ पुण्य थे पिछले जन्म के मेरे,
जो मुझको माँ का हमदर्द बनाया है,
मैं झूककर रहूँ सदा चरणों में उनके,
हे ईश्वर, मुझे देना ये वरदान,
माँ मेरी रग-रग में बसे,
मैं करता रहूँ सदा उसका सम्मान,
जब तक हैं सीने में प्राण उसके,
होंठों पर रहे मुस्कान उसके,
उसकी प्यारी -प्यारी बातों से,
मेरे मन को मिलता है सकून बहुत,
उसके प्यारे-प्यारे हाथों में,वो जादू है,
जो मेरे सर पर रखदे एक बार,
* * * * *
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