सच्चे प्यार का संदेश (sachhe pyar ka sandesh )
मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
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सच्चे प्यार का संदेश (sachhe pyar ka sandesh ) |
मात-पिता का जीवन है फूलों के जैसा,
फूल तब तक लगते हैं प्यारे,
जब तक रहे डाली से जुडकर,
मिट्टी में मिट्टी हो जातें हैं,
जब गिरते हैं वो टूट कर,
बच्चों के जैसे कीजिए,
मात-पिता की गौर,
खुद पर हावी ना होने दीजिए,
नए जमाने का ये शोर,
इन फूलों की सुगंध का लीजिए आनंद,
अपने मन में जगाकर रखिए,
मात-पिता के प्रति नई उमंग,
देखिए पास बैठकर दो पल इनके,
फूलों के जैसे मात-पिता के चेहरे,
खिल जाएगें हर बार,
मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
* * * * *
इनके पावन चरणों से,
घर में फैला रहेगा उजाला,
मात-पिता के चरणों को जो पूजे,
वो है इस जग में किस्मत वाला,
आँसू बहाओगे जो बाद में,
फिर कौन आएगा देखने वाला,
जब तक चलते रहे सीने में प्राण उनके ,
मात-पिता का हाथ थामे रखना,
नहीं चाहिए इन्हें धन-दौलत,
बस प्यार से दो बातें करके,
अपना सर झुकाकर हाँ में रखना,
मुख देखकर तुम्हारा,
मात-पिता में आ जाती है जान नई,
हर पल निकलती है मुख से इनके दुआएं बेसुमार,
मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
मात-पिता इस दुनिया में मिलते नहीं दो-बार ।
* * * * *
मात-पिता के प्यार की हद कोई नहीं ,
इस जग में मात-पिता से ऊँचा कद कोई नहीं,
ना जाने कितनी ही रातें,
मात-पिता ने गुजार दी हैं बिन सोए,
खाना -पीना सब छोड़ कर,
हमको सीने से लगाया जब भी हम रोए,
इनके जैसा कोई दानवीर नहीं,
ना ही इनके जैसे किसी के पास,
प्यार की जागीर नहीं,
मात-पिता प्यार करे हमे आँखें मूंदें,
प्यार है इनका जैसे सावन की बूंदें,
बहुत मिलते हैं इस जग में,
उपर से प्यार दिखाने वाले,
पर नहीं मिलता इनके जैसा कंही सच्चा प्यार,
मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
मात-पिता इस दुनिया में मिलते नहीं दो-बार ।
* * * * * *
creater-राम सैणी
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