Thursday, 14 September 2023

बुढ़ापे में माँ का सहारा (budhape me maa ka sahara )

बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
जिसने बुढ़ापे में माँ को गले लगाया है ,
*      *        *        *        *


माँ अपने बेटे को तैयार करती हुई
बुढ़ापे में माँ का सहारा (budhape me maa ka sahara )


याद करो जरा वो बचपन की यादें,
माँ दीवानों के जैसे करती थी प्यार,
वो खुद हंसना भूल जाती थी,
मगर हमारे चेहरे की हंसी रखती थी बरकरार,
फूलों के जैसे रखती थी,
माँ आँचल में अपने छूपाकर,
कैसे माँ अपने बच्चों में ही खोई रहती है,
अपने सारे कष्ट भूलाकर,
सारी बलाएं टाल देती है सर से हमारे,
माँ एक पल में ना जाने,
कैसे दूर भगा देती है दिल से डर हमारे,
लेकर‌ अपनी बांहों में हमको,
हर बार प्यार जताया है,
बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
*        *         *          *         *
ईश्वर की है सौगंध मुझे,
माँ के चेहरे की मुस्कान के भाते हैं रंग मुझे ,
मैं जी,-जान लगा दूंगा,
माँ के चेहरे की मुस्कान के लिए,
मैं ढटकर खंड जाऊंगा,
उसके सम्मान के लिए,
मेरे सर पर हाथ रहें सदा उसका,
मेरा तन-मन ऋणी है जिसका,
तैयार रहूंगा मैं सदा माँ का हाथ थामने,
मैं खुश हो जाता हूँ ये देखकर,
मुझ पर कृपा बरसाईं राम ने,
मेरे तन-मन में बस ग‌ई है,
खुशबू तुम्हारे प्यार की,
मुझे याद है शिक्षा तुम्हारे दिए संस्कार की,
मानकर तुम को रूप ईश्वर का,
मैंने अपने तन- मन में बसाया है,
बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
जिसने बुढ़ापे में माँ को गले लगाया है ,
*        *         *         *        *
मैं थामकर माँ हाथ तुम्हारा,
तुमको पूजूंगा ईश्वर के समान,
बुढ़ापे में रहूंगा मैं बनकर तेरा सहारा,
मेरी जुबां पर होगा माँ तेरा गुणगान,
माँ तेरी मुस्कराहट के रंग,
पूरे घर में बिखर जाते हैं ,
माँ जब तूं छू लेती है अपने प्यारे हाथों से,
तो हम सबके चेहरे निखर जाते हैं ,
पावन हैं चरण तुम्हारे,
पावन हैं इन चरणों की धूल ,
माँ के चेहरे पर है अगर गम के निशान,
तो हमारे सब पूण्य हैं फिजुल,
कामयाबी रहने लगी है कदम चूमकर,
जब से मैंने माँ को,
ईश्वर मानकर,दिल से बसाया है,
बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
जिसने बुढ़ापे में माँ को गले लगाया है!
*       *       *          *         *


















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