कन्यादान का सौभाग्य (kanyadan ka saubhagya)
हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
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कन्यादान का सौभाग्य (kanyadan ka saubhagya |
बेटी है हमारे दिल का चैन,
हमारे कुल की मान-मर्यादा है,
वो माँ के नक्शे कदम पर चले,
पर लाडली पिता की सबसे ज्यादा है,
मैंने अपनी बेटी को,
सर उठाकर चलना सिखाया है,
मान करेगी घर में हर छोटे बड़े का,
ये मैंने हर पल समझाया है,
हर पिता की है ये ज़िम्मेदारी,
सबकी पलकों पर बैठी रहे बेटी हमारी,
बेटी को दें सदा अच्छे संस्कार,
दोनों परिवारों में मिले,
बेटी को खूब आदर-सत्कार ,
हमारी बेटी का हो उज्ज्वल भविष्य,
शिक्षा हो उसका पहला अधिकार,
बेटी है हमारे दिल की धड़कन,
नहीं वो अमानत बेगानी है,
हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
* * * *
माँ के लिए जान है बेटी,
माँ की मुस्कान है बेटी,
हर मुश्किल से लड जाए बेटी,
डटकर जहाँ खड जाए बेटी,
अपनी बेटी के लिए सदा मैं छाँव बनूंगी,
खुलकर बताए सदा अपने मन की बातें,
मैं उसकी ऐसी माँ बनूंगी,
हम दोनों के बीच ना कोई, दीवार होगी,
एक सहेली के जैसा रिश्ता होगा,
बेटी के लिए मेरे दिल की,
खिड़की खुली हर बार होगी,
वो बनकर रहेगी मेरे नयनों की ज्योति,
हमारे घर में बिखरेंगे,
सदा उसके मुस्कान के मोती,
अपनी जान से प्यारी है हमको वो,
बेटी भी माता-पिता की दिल से दीवानी है,
कन्यादान की अनमोल रस्म,
हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
* * * *
कन्यादान की रस्म निभाना,
हर माता-पिता का है सपना,
बेटी को मिले जो घर,
वो घर बेटी के मायके जैसा हो अपना,
हर बेटी का हो एक सुखी संसार,
बेटी के चेहरे पर रहे सदा खुशियों की बहार,
याद ना आए कभी मायके का प्यार,
उस घर में मिले उसको इतना सत्कार,
अमीर हो या गरीब की बेटी,
हर बेटी की जिंदगानी हो खुशहाल,
उसकी जिंदगानी हो खुशियों से मालामाल,
माँ के होती है दिल के करीब,
जिस घर बेटी जन्मे,
वो घर फिर क्यों है गरीब,
बेटी है हमारे घर का सम्मान,
बिन बेटी के घर है सुनसान,
छोड़ मायका हर बेटी को जाना है ससुराल,
ये हर घर की कहानी है,
कन्यादान की अनमोल रस्म,
हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
* * * *
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