माँ और मिट्टी (maa aur mitti )
माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
जब तक ये संसार रहेगा ।
* * * *
ये मिट्टी अपने सीने पर अन्न उगाकर,
माँ के जैसे हमें पालती है,
अपने सीने पर पीड़ा सहकर,
हमारे तन की भूख मिटाकर,
माँ के जैसे हमें संभालती है,
बारिश,आँधी और तुफ़ान सब सहती है,
इसलिए ये दुनिया धरती को माँ कहतीं हैं,
अपने सीने पर लहराती फसलें देखकर,
खुश हो जाती है धरती माँ,
माँ बनकर हमारी हर जरूरत,
पूरी करती है,ये धरती माँ ,
धरती माँ का हम सब के जीवन पर,
यूं ही बरसता प्यार रहेगा,
माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
जब तक ये संसार रहेगा ।
* * * *
माँ के जैसा महान दुनिया में कोई और नहीं,
माँ के प्यार जैसी मजबूत,
दुनिया में कोई डोर नहीं,
मेरे जीवन का हर पल माँ है तेरे हवाले,
माँ के प्यार की ज्योत,
जो भी इन्सान अपने दिल में जगाले ,
जीवन की नौका हो जाएगी पार उसके,
घर में खुशियों की रहेगी बहार उसके,
गैरों के आगे झुकने से अच्छा है,
माँ के चरणों में झुक जाएं,
इसके चरणों में झुकने से,
जीवन के सब दुख -दर्द पल में मुक जाएं,
लाख बंद कर लो चाहे तुम अपनी आँखें,
तुम्हारे लिए सदा खुला माँ के दिल का द्वार रहेगा,
माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
माँ और मिट्टी सदा महान रहेंगी,
जब तक ये संसार रहेगा ।
* * * *
माँ और मिट्टी दोनों का,
हमारे जीवन पर उपकार बहुत है,
माँ और मिट्टी दोनों के आँचल में,
हम सबको मिलता प्यार बहुत है,
दोनों हैं धनवान बहुत,
दोनो हैं महान बहुत
माँ और मिट्टी का हम सबके जीवन पर,
सदा ऋण रहेगा,
जीवन में ना हो कोई ऐसा दिन,
जो इनके बिन रहेगा,
देखकर प्यारा मुख इनका,
दिल खुश हो जाता है,
देखकर आँचल में सुख इनका,
माँ और मिट्टी का रिश्ता अमर रहेगा,
जब तक ये संसार रहेगा,
माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
माँ और मिट्टी सदा महान रहेंगी,
जब तक ये संसार रहेगा!
* * * *
creater-राम सैणी
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home