माँ की प्रेम भक्ति (maa ki prem bhakti )
जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
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माँ की प्रेम भक्ति (maa ki prem bhakti ) |
संत फकीर होते हैं धर्म के रखवाले,
ये ही हमारी विरासत को रखते हैं संभाले,
माँ जैसा कीजिए इनका भी सम्मान,
सबसे उपर माँ है उसके बाद में सारा जहांन,
माँ के जैसे इनके भी पावन चरणों की ,
धूल को सर -माथे से लगाएं,
इनके आगे भी सर अपना सदा झुकाए,
माँ के जैसे इनमें भी ईशवर का वास है,
मान लिया है जिसने भी,
माँ को ईश्वर का रूप दूजा,
जो करता है सच्चे दिल से माँ की पूजा,
माँ की दुआओं में वो शक्ति है,
जिसके आगे ज़ोर नहीं चलता,
माथे की लकीरों का,
जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
* * * *
माँ तेरे चेहरे की मुस्कान ,
सदा यूँ ही कायम रहे ,
जिसने मेरे लिए कभी परवाह नहीं की,
धूप और छाँव की,
मैं सदा लाज रखुंगा माँ तेरे नाम की,
माँ तुम्हारे पाँव पड़ने से शोभा बढ जाती है,
पत्थर के बेजान मकानों की,
सदा सच्चे दिल से कद्र करूंगा ,
मैं तेरे एहसानों की,
तेरा सम्मान तेरे चेहरे की मुस्कान,
मेरी उम्र बीत जाएगी यूं ही,
मैं कभी नहीं रहूंगा इनसे अनजान,
माँ तेरे आँचल में छुपा है खजाना,
प्यार की जागीरों का,
जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
जिस घर में माँ हंसती-गाती मिले,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
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इस जहान में होंगे त्यागी -बलिदानी बहुत,
पर तेरे जैसा कोई ओर नहीं,
जहाँ माँ के त्याग और बलिदान की,
गाथा ना गाई गई हों ऐसा कोई दौर नहीं,
थामकर रखना हाथ माँ का,
ध्यान रहे कभी छुटे ना,
दिल ना दुखाना कभी उसका,
ध्यान रहे वो कभी रुठे ना,
आँखें ना भरें कभी उसकी पानी से,
हरा -भरा रहे घर सदा,
ईश्वर की इस निशानी से,
आँखें मूंदें करना इसे प्यार,
ये ही हमारे संस्कार,
तेरे प्यार की छाया रहे सदा घर हमारे,
मेरे जीवन पर असर माँ तेरे दिए संस्कारों का है,
जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
जिस घर में माँ हंसती-गाती मिले,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
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creater-राम सैणी
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