Wednesday, 20 September 2023

मात-पिता की शान (maat -pita ki shaan )

मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
*       *         *          *



मात -पिता बेटी के साथ चलते हुए
मात-पिता की शान (maat -pita ki shaan )
कौन कहता है कि पराई है बेटीयां,
आज के दौर में हर ओर छाई हैं बेटियां,
मिलता है जब भी उनको मौका,
सबसे पहले स्थान पर आई है बेटियां,
बेटी भी चाहती है बेटे के समान मिले,
उसको भी मात-पिता का एक जैसा प्यार ,
दोनों में हैं मात-पिता के एक जैसे संस्कार,
बेटी भी है इसकी हकदार,
मात-पिता का संग,
बेटी में भर दे खुशियों के रंग,
वो भी चाहे हर दिल में हो उसके लिए सम्मान,
बेटी नहीं है बोझ किसी पर,
बेटी को मानों ईश्वर का वरदान,
मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
*       *          *          *
बेटी के बिन हर घर है अधूरा,
फीका है उसके बिन हर त्योहार,
बेटी को नहीं चाहिए ज्यादा कुछ,
वो खुश हो जाती है लेकर एक छोटा सा उपहार,
भाई-बहन की प्यार की लड़ाई से,
घर में एक रौनक छाई रहती है,
बेटी ना हो घर में सूनी भाई की कलाई रहती है,
बेटियां रहें हर घर में खास बनकर,
हर घर में बिखेरें अपनी मुस्कान के रंग,
पिता के दिल में रहती हैं रानी बनकर,
कदम से कदम मिलाकर चलती है,
सदा मात-पिता के संग,
बेटी संग बरकत मिले, बेटी खुश तो,
ईश्वर भी रहे मेहरबान,
मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
वो भी चाहती है छूना आसमान।
*       *         *          *
बेटियों के लिए भी है एक पैगाम,
सदा ऊँचा रखें मात-पिता का नाम,
हरदम याद रहें मात-पिता के संस्कार,
हर नज़र बैठी है तैयार,
जिनका है एक ही काम,
कैसे करें बेटियों का तिरस्कार,
मान -मर्यादा परिवार की,
ये सबसे पहला धर्म है,
इसको बचाए रखना ये आपका कर्म है,
सर ना झुकने पाए कभी,
जिनके तुम सर का गरूर हो,
सर उठाकर चले सदा मात-पिता,
बस इतना जरूर हो,
मात-पिता के प्यार का,
उनके एतबार का सदा करें सम्मान,
मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
वो भी चाहती है छूना आसमान।
*      *       *        *        *











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