Friday, 22 September 2023

मात-पिता का मान-सम्मान (maat -pita ka samman )

बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*      *       *        *        *




माँ अपने बेटे को निहारती हुई
मात-पिता का मान-सम्मान (maat -pita ka samman )


बच्चे हैं फूलों के जैसे कोमल,
दादा -दादी के प्यार से उनको ना वंचित रहने दो,
वो है एक ठण्डी छाँव जैसे,
बच्चों को उनकी ही छाँव में रहने दो,
दादा -दादी का प्यार बच्चों का ,
रौशन करें संसार,
उनके दिल को भी पहुँचती है ठण्डक,
बच्चों संग हंसकर वक्त गुजारने में,
बच्चों को भी मिलती है खुशी,
उनको दादा -दादी पुकारने में,
दादा -दादी बच्चों पर अपना,
सबसे ज्यादा हक जताते है,
उनके दिल को मिलता है सकून,
जब बच्चे उनका दिल बहलाते हैं,
बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*        *           *           *      *
मात-पिता को रखेंगे हम अगर पास,
तो इस जग में ना होगा हमरा कभी उपहास,
मात-पिता के एहसानों की,
ऋणी है हमारी हर श्वास,
मात-पिता की करके सेवा,
ये वक्त है सत्कर्म कमाने का,
ये मौका है धीरे-धीरे उनके दिल में उतर जाने का,
उनके प्यार का दीपक अपने,
दिल में जगाए रखना,
हर पल उनको अपने दिल में बसाए रखना,
मात-पिता की सेवा, हमारी किस्मत संवार दे,
हमारे सर की बुरी बलाएं,
मात-पिता पल में उतार दे,
पूरा करें उनका हर आदेश,
वो जो भी फरमाते हैं,
मात-पिता का देखकर मान-सम्मान,
बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*       *        *         *           *
मात-पिता संग रखिए अपना हरा-भरा परिवार,
इनके बिना सूना है हर घर का द्वार,
ये ही हमारे जीवन के सच्चे पहरेदार,
बच्चों के कोमल मन पर ये सेवा -भाव,
एक गहरी छाप छोड़ते हैं,
संस्कारों में रहते हैं बंधकर,
दिल से दिल के नाते जोड़ते हैं,
दादा -दादी के प्यार के समन्दर में नहाकर,
बच्चे फूलों के जैसे खिल जाते हैं,
मात-पिता हो जब संग अपने,
तो हमारे सारे संकट टल जातें हैं।
रिश्तों की कद्र करना,
ये बच्चे भी जान पाएंगे,
ना भुलना कभी चेहरे उनके,
जो हमको उंगली पकड़कर चलना सिखाते हैं,
मात-पिता का देखकर मान-सम्मान,
बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*        *         *         *         *



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