Saturday, 23 September 2023

पिता का संघर्ष (pita ka sangharsh )

पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
*        *       *       *


पिता अपने बेटे को हवा में उछालता हुआ
पिता का संघर्ष (pita ka sangharsh )




उसके मन की कोई ना जाने,
पर वो सब के मन की जानता है,
पिता की बात चाहे कोई ना माने,
पर वो सब की मानता है,
बाहर से दिखता है पिता पत्थर के जैसा,
पर अन्दर से बहुत नरम है,
हमारी दुखती हर नब्ज का,
पिता के पास मरहम है,
खुद ना जो कभी करें परवाह,
जिसके दिल से कभी ना निकले आह।
चाहे दिल में हो कितना भी तूफान,
पर चेहरे पर रहेगी हमेशा मुस्कान,
देखकर हम-सबको झूलता मस्ती में,
खुद भी मस्ती में झूल जाता है,
पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
*      *        *        *
सर पर है अगर पिता का साया,
तो हम बनकर रहते हैं राज कुमार,
ना‌ होती है परवाह हमें किसी चीज की,
खुशियां मिलती है बेसुमार,
योद्धा ना कोई है उससे बड़ा,
जो हमारी करे हर पल देखभाल,
वो खुद सह लेते हैं मार वक्त की,
पर हमको रखते हैं मालामाल,
सबकी ख्वाहिशे करते हैं पूरी,
अपनी ख्वाहिशों को मारकर,
सबका दिल जीत लेते हैं ,
अपना सब कुछ हारकर,
उसकी आँखों की घूर है बहुत मशहूर,
खुद को मानें चरणों की धूल,
हमको आँगन फूल बताता है,
पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
हर सितम झेल जाता है।
*        *         *       *
पिता है सच्चा हमदर्द हमारा,
पिता से हमारी शान है,
वो हमारा सुख -दुख का साथी,
वो ही हमारा भगवान है,
जिसके कन्दे पर बैठकर हमने,
बचपन अपना गुजारा है,
जो हर पल खडा है साथ ,
बनकर हमारा सहारा है,
पूरी जिंदगी निकल जाती है पिता की,
बच्चों की जिंदगी बनाने में,
आज -कल आती है शर्म बच्चों को,
मात-पिता को अपनाने में,
पिता का बलिदान भी है सबसे बड़ा,
जो हर पल सीना तानकर,
हमारी मुश्किलों के आगे है खडा,
ज़िन्दगी हो जाएगी उसकी फूलों के जैसी,
जो पिता के चरणों की धूल,माथे पर सजाता है,
पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
हर सितम झेल जाता है।
*       *       *         *





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