Saturday, 30 September 2023

सपनों का साथी- पिता (sapnon ka sathi-pita)

पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ 
*      *        *        *
माँ अपने बेटे को सीने से लगाती हुई
सपनों का साथी- पिता (sapnon ka sathi-pita)



जो सपने पिता की हसीयत से भी बाहर है,
वो उनको भी पूरा करने का दम रखता है,
मेरी खुशी के लिए पिता जी-जान लगा देता है,
बेशक वो सीने में छुपाकर लाखों गम रखता है,
उसके हाथों की लकीरों में चाहे,
पैसा हो या ना हो पर,
वो मेरी जेब में पैसा हरदम रखता है 
पिता के हौंसले की कहानी बयां करता है,
उसके माथे से टपकता मेहनत का पसीना,
वो कभी हार नहीं मानता है ,
चाहे हालात कैसे भी हों,
क्योंकी उसके पास है उसकी मेहनत का नगीना,
वो दोष नहीं देता कभी ईश्वर को,
अपने हालातों के लिए,
पिता मानता है की इसमें ईश्वर का क्या कसूर है,
पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ ,
*        *         *        *
पिता मेरे सर का सांई है,
पिता के हाथों में बरकत वास करती है,
हम सब का पेट पालती उसकी नेक कमाई है,
सब रिश्ते निभाता है पिता पूरी ईमानदारी से,
उसके किए फैंसले से सब सहमत होते हैं,
पिता हर फैंसला करता है पूरी समझदारी से,
पिता के कान्दे पर बैठकर,
मैंने देखी है दुनिया सारी,
सबको मिले पिता का प्यार ,
जब तक रहे ये संसार,
ये ही ख्वाहिश है हमारी,
तपती धूप हो या घनी छाँव,
कभी रूकते नहीं उसके पाँव,
हर घड़ी लुटाए प्यार हम पर,
वो बिल्कुल भी नहीं मगरूर है,
पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ 
पिता मेरे सर का गरूर है ‌‌।
*      *         *          *
उसके आँखों की बेचैनी,
मैंने पडी हैं कंई बार,
सब ठीक चल रहा है,
पिता मुस्करा कर बता देता है हर बार,
पिता सब गम छुपा लेता है,
अपनी मुस्कुराहट के पीछे 
पिता करके मेहनत जी-जान से,
हमारे पूरे परिवार को सींचें,
जिस मिट्टी से बनाया है ईश्वर ने उसे,
वो मिट्टी कोई खास होगी,
जो चीजें हैं मेरी पहूँच से बाहर,
बस हाथ रखने की देर है उस पर,
देखते ही देखते वो चीज हमारे पास होगी,
आँखों में आंसू हमारी आने ना दे,
खुशियों को हमारा दामन बिन छुए जाने ना‌ दे,
कौन -कौन से किस्से सुनाऊं ,
मैं उसकी दरियादिली  के,
पिता का हर किस्सा मशहूर है,
पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ 
पिता मेरे सर का गरूर है ‌‌।
*        *         *       *



























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