Wednesday, 29 November 2023

दहेज नहीं,शिक्षा दो (Dahej nahin shiksha do )

दान-दहेज एक बुराई है,
इस बुराई का खुल कर कीजिए बहिष्कार,
*     *        *        *       *       *

एक बेटी हाथ में किताब पकडे हुए
दहेज नहीं,शिक्षा दो (Dahej nahin shiksha do )

अनपढ़ ना रहे कोई भी बेटी,
हर मात-पिता की है ये जिम्मेदारी,
विद्या धन के बिना ना आएगी बेटी में समझदारी,
विद्या धन पाकर बेटी,
अपने अधिकार के लिए लडना सिखे,
विद्या धन है उत्तम धन,
ये धन पाकर बेटी हर बुराई के आगे,
ढटकर खडना सिखे,
ये उसका है जन्म सिद्ध अधिकार,
‌बेटी के हाथों में दो परिवारों की पतवार, 
बेटी का अधिकार ना दबाए कोई, 
बेटी नहीं है बेटे से कम, ‌
ये उसे समझाए कोई,
बेटी है जिगर का टुकड़ा,
मत समझो उसको धन पराया,
बेटी संग रौशन रहे सारा परिवार,
दान-दहेज एक बुराई है,
इस बुराई का खुल कर कीजिए बहिष्कार,
*     *       *         *       *       *
विद्या धन से बड़ा कोई दान नहीं,
इसके के बिना बेटी का सम्मान नहीं,
ये खाएं सौगंध दहेज है एक बुराई,
दहेज के बिन करेंगे अपनी बेटी की बिदाई,
दहेज है एक अभिशाप,
इसका हिस्सा मत बनिए आप,
इसके खिलाफ दिल से लड़ें,
ना हो कोई दिखावा,
बेटी की करें बिदाई सम्मान के साथ,
ना कुछ और दीजिए बेटी के अलावा,
जिस मात-पिता ने अपने दिल का टुकड़ा दे दिया हो ,
आप उस पिता से कोई और मांग ना करें,
कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं,
इसमें ही सब्र करें,
जिस पिता ने पूरे जीवन की कमाई,
कर दी हो आपके नाम,
आपके नाम कर दी हों एक पिता ने,
अपनी खुशियां तमाम,
उस पिता के जीवन पर,
ना डालिए हद से ज्यादा भार,
विद्या धन दीजिए ये है हर बेटी का अधिकार,
दान-दहेज एक बुराई है,
इस बुराई का खुल कर कीजिए बहिष्कार,
*     *       *       *      *        *
इस बुराई से खुद को,
आज ही अलग कीजिए,
ना दहेज लें ना दहेज दें,
ये पहल खुद आप कीजिए,
एक पढ़ी-लिखी बेटी,
समाज को एक नई रौशनी दिखाएगी,
खुद पड़ेगी औरों को पडाएगी,
एक पढ़ा-लिखा संसार बनाएगी ,
बिन दहेज के बेटी को,
सीखिए करना स्वीकार,
उस बेटी को दीजिए घर में पूरा लाड़-प्यार,
दान-दहेज छोड़कर,
बेटी के संस्कारों का मान करें,
हर बात पर ना व्यंग करें,
ना बात -बात पर उसका अपमान करें,
दुसरे की बेटी को अपनी बेटी मानकर,
उसका सम्मान करें सारा परिवार,
विद्या धन दीजिए ये है हर बेटी का अधिकार,
दान-दहेज एक बुराई है,
इस बुराई का खुल कर कीजिए बहिष्कार,
*       *       *         *       *        *


















































Saturday, 25 November 2023

बेटी नहीं, सर का ताज (beti nahin sar ka taaj )

मात-पिता के सुर में सुर,
हम कब तक मिलाएंगे,
हम एक प्यारा संसार बसाएंगे,
*     *      *       *        *


मात-पिता अपनी बेटी को प्यार करते हुए
बेटी नहीं, सर का ताज (beti nahin sar ka taaj )




हम दोनों रहेंगे इस खुले आसमान के नीचे,
मात-पिता छुट जाएंगे हम से बहुत पीछे,
एक प्यारा-सा हमारा घर होगा,
ना मात-पिता का कोई डर होगा,
वो कभी हाँ में सर नहीं हिलाएंगे,
जब तक सुनेंगे हम उनकी,
हम-तुम एक ना हो पाएंगे ,
ये बात तुम मेरी मान लो,
मेरा दामन तुम आज से थाम लो,
हम जिएंगे एक दुजे का सहारा बनकर,
खुशियां रहेंगी दामन में हमारे एक सितारा बनकर,
मात-पिता की सहमती, विवाह और फेरे,
इन सब को हम छोड़ जाएंगे पीछे,
इन सब के बिना हम होंगे तेरे,
हम दोनों मिलकर अपने सपनों का ,
एक अलग संसार बनाएंगे,
हम कब तक मिलाएंगे,
तुम अगर हो साथ मेरे,
हम एक प्यारा संसार बसाएंगे,
*    *      *       *      *
मैं सिर्फ एक बेटी नहीं हूँ,
अपने माता-पिता के सर का ताज हूँ,
मेरी नज़रों में जितना उनका सम्मान कल था,
उससे बढ़कर सम्मान आज है,
मैं अपने माता-पिता का हूँ एक सपना सलोना,
मुझमें बसते हैं प्राण मेरे माता-पिता के,
मैं नहीं हूँ खेलने का कोई बाजारी खिलोना,
मैं हूँ एक बेटी शयानी,
मेरे अंदर हैं संस्कार हिंदूसतानी,
मुझ पर वारते हैं मात-पिता जान अपनी,
वो मुझको मानते घर की शान अपनी,
मैंने जब से होश संभाला है,
मात-पिता ने अपने जीवन का,
एक-एक पल मेरे नाम लिख डाला है,
मैंने खाई है सौगंध राम की,
अपने माता-पिता के नाम की,
मेरी वजह से उनकी आँखों में,
कभी आंसू नहीं आएंगे,
मात-पिता के सुर में सुर,
हम कब तक मिलाएंगे,
तुम अगर हो साथ मेरे,
हम एक प्यारा संसार बसाएंगे,
*     *       *       *      *
मात-पिता से प्यारा संसार में,
कोई और नहीं हो सकता है,
जितनी मुश्किलें सही हैं उन दोनों ने,
उतनी कोई दूजा नहीं सह सकता है,
उनकी सहमति के बिना,
मैं सांस भी नहीं लेती हूँ,
उनके लिए तो मैं अपना,
सारा जीवन दे सकती हूँ,
मेरे जीवन का हर फैसला लेने का,
उनको पूरा-पूरा अधिकार है,
मेरे लिए चूनेंगे वो एक प्यारा परिवार है,
मैं नहीं भूल सकती उनके त्याग और बलिदान को,
मैं कभी ठेस नहीं पहुंचाऊंगी उनके सम्मान को,
मात-पिता को छोड़कर कोई सुखी नही हो पाया है
समाज भी उनको नहीं अपनाता है,
जिस बेटी ने मात-पिता का सर झूकाया है,
मात-पिता हैं साथ अगर हम उनके दिल का,
एक महकता फूल बन जाएंगे,
मात-पिता के साथ मिलकर,
हम एक प्यारा संसार बसाएंगे,
*      *       *       *        *








































Friday, 24 November 2023

चरणों का स्पर्श (charanon ka sparash )

मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*    *      *         *       *      *
माँ अपने बच्चे  को निहारती हुई
चरणों का स्पर्श (charanon ka sparash )



ईश्वर के नयनों के जैसे,
दो नयन हैं उसके प्यारे-प्यारे,
माँ के दो नयन चमकते हैं ऐसे,
जैसे नीले आसमान में टिमटिमाते हो सितारे,
उसके चेहरे पर छाया रहता है,
सूरज के जैसा उजाला,
माँ का आँचल है मेरी पहली पाठशाला,
उस पाठशाला ने दिए हैं मुझे,
हीरे मोतियों से कीमती संस्कार,
माँ के मुख से निकली दुआएं,
मेरे लिए हैं एक अनमोल उपहार,
मेरी सांसों में बहती है,
उसके प्यार की खुशबू,
उसने किया है अपना ,
सारा जीवन मेरे नाम,
मैं भी अपना तन-मन उसके अर्पण कर दूं,
पता नहीं वो मेरे लिए,
कितनी मुश्किलें सहती है,
मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*     *      *       *       *       *
ईश्वर के हाथों के जैसे,
कोमल हैं दो हाथ माँ के,
मेरी सांसों के महकते फूल,
कायल हैं माँ के प्यार की छाँव के,
उसके प्यार की छाँव ,
हर किसी को नशीब नहीं,
जिस के पास है माँ के प्यार की दौलत,
वो इस दुनिया में गरीब नहीं,
इस दुनिया के कण-कण में,
जैसे ईश्वर का वास है,
मेरी सांसों में बसी उसकी हर सांस है,
मेरे मन-मन्दिर में माँ की सूरत समाईं है,
माँ की बंदगी मेरी उम्र भर की कमाई है,
मेरे जीवन की बगिया ,
माँ की दुआओं से ही महकती है,
मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
मैं छू लेता हूँ चरण उसके
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*     *      *       *        *      *
मेरी रूह में प्राण बसते है उसके,
मैं बनकर रहता हूँ उसकी परछाई,
रंग -बिरंगे रहते हैं दिन माँ के साये में,
ईश्वर के चरणों के जैसे ,
माँ के चरणों में मेरे मन को,
बहुत सकून मिलता है,
देखकर चेहरे पर रौनक उस ईश्वर की मूरत की,
फूलों के जैसे चेहरा मेरा खिलता है,
माँ को खुश देखकर ईश्वर भी खुश होता हैं,
जो दिल दुखाए माँ का ,
उसका भाग्य सदा सोता है,
उसकी दया का कोई नहीं है सानी,
जो माफ करें हमारी हर नादानी,
उसके प्यार का मोल कोई मोड़ ना सके,
उसके साथ बन्धन हमारा कोई तोड़ ना सके,
उसके मीठी वाणी हर पल,
मेरे कानों में रस घोलती रहती है,
मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर,
उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है,
मैं छू लेता हूँ चरण उस माँ के
जिसके चरणों में प्यार की नदियां बहती है,
*      *        *         *       *        *














































































Wednesday, 22 November 2023

माँ बनने का सफर(maa banne ka safar )

जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
माँ अपने बच्चे को खाना खिलाती हुई
माँ बनने का सफर(maa banne ka safar )




मैं मुख से बयान नहीं कर सकती हूँ,
*     *       *       *         *
जब ईश्वर की कृपा से हुआ,
मुझे पहली बार एहसास,
वो दिन था मेरी जिंदगी का सबसे ख़ास,
मानो सफल हो ग‌ई मेरी कंई जन्मों की तपस्या,
मेरी सूनी कोख को मिला माँ बनने का सुख,
मुझे ऐसे लगा जैसे पूरी हो गई हो,
मेरे जिंदगी की हर समस्या,
ईश्वर ने दिया है मेरे सब्र का मीठा फल,
जब हुई कृपा ईश्वर की,
मेरा संवर गया आज और कल,
हर दिन मेरा कुछ यूं गुजरता है 
जैसे कंई वर्षों की प्यासी धरती पर,
घनघोर सावन दिन-रात बरसता है,
जब से हुई है मेरी कोख हरी-भरी,
चाँद-सा रौशन रहता है सदा मेरा मुख,
जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
मैं मुख से बयान नहीं कर सकती हूँ,
*      *      *       *       *     *
जिस माँ की रहती है कोख सूनी,
घर रहता है औलाद से खाली,
दुनिया के ताने सुन-सुनकर,
सोचने लगती है क्यों ईश्वर ने,
मेरी किस्मत ऐसी लिख डाली,
कैसे करूं मैं सूनी कोख का दर्द बयां,
मुझको लगता है ऐसे,
मेरी जिंदगी का है ये सबसे बड़ा गुनाह,
किस को बताऊं मैं दुख अपना,
औलाद को पाना होता है,
हर माँ का एक मीठा सपना,
हर दिन जीती हूँ मर-मर कर,
आज नहीं तो कल होगी मेरी कोख हरी,भरी,
इतना भरोसा मुझको है ईश्वर पर,
वो सबकी सुनता है एक दिन,
ये सोचकर उसकी चौखट पर,
मेरा भी सर जाता है झुक,
जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
मैं मुख से बयान नहीं कर सकती हूँ,
क्या होता है एक माँ बनने का सुख ,
*     *      *       *       *
मै हाथ जोड़कर करती हूँ ,
हे ईश्वर तुझको नमस्कार,
औलाद से खाली ना रहे,
दुनिया में कोई भी परिवार,
मेरे दिल का दर्द छलकता है,
मेरे इन दो नयनों के रस्ते,
हर एक झोली में डाल दें सुख इतना की,
सब के दिन गुजरते रहें हंसते -हंसते,
हर फरयादी की करना तूं दुआ कबूल,
हटा देना उसकी राहों से दुःखों के सब शूल,
माँ बनने का सुख देना हर माँ को,
बिन औलाद के किसी की गोद खाली ना हो,
बेटी मिले या बेटा दोनों को आँचल में छुपाएं,
दोनों हैं देन उसकी मन में ये भरोसा जगाएं,
होठों पर हंसी कायम रहे सुख हों या दुख,
जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
मैं मुख से बयान नहीं कर सकती हूँ,
क्या होता है एक माँ बनने का सुख,
*     *      *       *      *        *






































Tuesday, 21 November 2023

सच्चा परिवार, सच्चा प्यार (sachha parivaar ,sachha pyar )

मुझे भेजना घर ऐसे जहाँ,
हर आँख का रहूँ मैं तारा बनकर,
घर में सब मुझको करते प्यार हों,
*    *      *      *       *

बेटी माँ की नक़ल उतारती हुई
सच्चा परिवार, सच्चा प्यार (sachha parivaar ,sachha pyar )


सर आँखों पर बिठाकर रखें,
मुझको सारा परिवार,
हाथ जोड़कर,सर को झुका कर,
मैं विनती करूं तुम से हे पालनहार,
जो हर पल तरसे बेटी का प्यार पाने को,
जो सावन की तरह बरसे ,
बेटी पर प्यार जताने को,
उस परिवार से जोड़ना नाता मेरा,
जहाँ बात -बात पर कोई,
दिल ना दुखाता हो मेरा,
एक छोटे-से प्रहार से,
बहुत दुखता है दिल मेरा,
मुझको नाजुक बहुत बनाया है तुमने,
कुछ भी छुपा नहीं सकता है दिल मेरा,
घर में छोटा हो या बड़ा, 
सबके ऊपर मेरी ही चलती सरकार हो,
मुझे भेजना घर ऐसे जहाँ,
हर आँख का रहूँ मैं तारा बनकर,
घर में सब मुझको करते प्यार हों,
*     *       *       *       *
ना भेजना उस घर मुझे जहाँ,
बेटियों को लम्बी कतार हो,
उस घर से रखना दूर मुझे,
जहाँ बेटियों का तिरस्कार हो,
ना मेरा हो कोई दुख बांटने वाला,
ना मेरा कोई पहरेदार हो,
मत रोलना मुझे किसी के पैरों में,
जहाँ मेरे लिए कोई जगह ना हो,
किसी के दिल के गलियारों में,
बस इतनी कृपा बनाए रखना,
मेरा जीवन ना गुजरे दुख के अंधियारों में,
उस माँ की देना कोख मुझे,
जो कसी भी बात पर,
ना करने दे कोई शोक मुझे,
मेरी छोटी-छोटी गलतियों पर,
बेशक दे टोंक मुझे,
उसकी सांसें चलती हों मेरी सांसों के साथ,
जो भी मेरा पालनहार हो,
मुझे भेजना घर ऐसे जहाँ,
बेटी का सत्कार हो,
हर आँख का रहूँ मैं तारा बनकर,
घर में सब मुझको करते प्यार हों,
*     *       *       *      *
जिस माँ की गोद हो खाली,
जो तेरे चरणों में रहे हर पल लेटी,
इस बात का उसे कोई पछतावा ना हो,
उसकी गोद में खेले बेटा हो चाहे बेटी,
मेरी झोली में क्यों डाल दी बेटी,
जिस माँ को कभी ये शिकवा ना हो,
जिसके माथे पर लकीरें आएं,
बेटी के मुख को देखकर,
ऐसी कोख से मेरा कभी कोई रिश्ता ना हो,
जिस घर में पड़े मेरे पाँव,
मेरे सर पर रहे सदा उस घर की छाँव,
जिस माँ का आँचल तडफे मेरे लिए,
जो माँ सबसे लड ले मेरे लिए,
जो करें मेरी दिल से देखभाल,
मुझको उस माँ की झोली में डाल,
हे पालनहार, मुझे भेजना उसके द्वार,
जहाँ बेटी की आने की खुशी में,
झूमता सारा परिवार हो,
मुझे भेजना घर ऐसे जहाँ,
बेटी का सत्कार हो,
हर आँख का रहूँ मैं तारा बनकर,
घर में सब मुझको करते प्यार हों,
*      *       *      *       *





















































Monday, 20 November 2023

एकता का संगम (ekta ka sangam )

अनाथ‌-आश्रम और वृद्ध-आश्रम को,
इसी बहाने बच्चों को माँ और,
माँ को बच्चे मिल जाएं,
*    *     *      *   
अनाथ बच्चों को खाना खिलाती एक माँ
एकता का संगम (ekta ka sangam )


 
आज के ये मतलबी दौर है,
पैसे के पीछे पागल हर कोई हर ओर है,
ये जरूरी नहीं हर घर में,
माँ को ईश्वर के जैसे जाए पूजा,
घूम कर देखिए ये संसार,
माँ की आँखों से बहते मिल जाएंगे आंसू,
ऐसा मिल जाएगा हर घर दुजा,
धीरे -धीरे हम सब मात-पिता को,
भूलते जा रहे हैं,
हम सब को ये पता नहीं,
हम किस नशे में झूमते जा रहे हैं,
मात-पिता को हम रखना चाहते नहीं हैं पास,
इसलिए हर पल रहते हैं हम उदास,
हमारे बच्चे कल हमारी सेवा करेंगें,
ये रखतें हैं उनसे बे-मतलब की आस,
सोचते हैं हमे बिन सेवा के ही मेवा मिल जाए,
अनाथ‌-आश्रम और वृद्ध-आश्रम को,
इसी बहाने बच्चों को माँ और,
माँ को बच्चे मिल जाएं,
*    *      *      *
बिन मात-पिता के बच्चे ,
ईश्वर के सिवा और कौन जाने,
उनके दिन बुरे गुजरतें हैं या अच्छे,
बिन मात-पिता के उनके दिन,
शायद कुछ ऐसे हैं,
जैसे हम समंदर के पास खड़े हैं,
फिर भी कंई जन्मों से प्यासे हैं,
माँ के आँचल को हर पल तरसतें हैं वो भी,
आँखों से आंसू नहीं रूकते,
यदि उनको तडफता देख ले जो भी,
उन अनाथ बच्चों को भी,
हर पल रहती है ये ही आस,
कोई माँ आकर थाम ले उनका हाथ,
लगाकर रखें उनको भी अपने सीने के साथ,
क्या होता है माँ का प्यार,
वो भी ये जान लें,
हम ईश्वर को नहीं ढूंढेंगे यहाँ-वहां,
यदि घर बैठी माँ को ईश्वर मान लें,
उस माँ को ही दिल से आदर दिया जाए,
अनाथ‌-आश्रम और वृद्ध-आश्रम को,
यदि एक कर दिया जाए,
इसी बहाने बच्चों को माँ और,
माँ को बच्चे मिल जाएं,
*    *      *      *
माँ बिन बच्चे अधूरे बच्चों बिन माँ,
यदि एक -दुजे का वो हाथ पकड़ लें तो,
दोनों को मिल जाएगी,
एक -दुजे की प्यार की छाँव,
ना बच्चे तरसेंगे माँ के लिए,
ना माँ तरसेंगी बच्चों के लिए,
दोनों बन जाएंगे एक-दुजे का सहारा,
फिर कोई ना रहेगा इस दुनिया में बेसहारा,
हम सब भी यदि ये प्रण लें,
जिस कोख से हम जन्म लें,
वो माँ खाक ना छाने अनजान राहों में,
उसको जकड़कर रखें अपनी बांहों में,
विद्या और संस्कार दोनों का होना जरूरी है,
इन दोनों के बिना जिंदगी अधूरी है,
जिंदगी में दुख हो या सुख,
हर पल मात-पिता के साथ जिया जाए,
अनाथ‌-आश्रम और वृद्ध-आश्रम को,
यदि एक कर दिया जाए,
इसी बहाने बच्चों को माँ और,
माँ को बच्चे मिल जाएं,
*     *       *       *
creater-राम सैणी






































Sunday, 19 November 2023

बेटी को ना बाँधो (beti ko naa baandho )

माँ,मेरे सपनों में पंख लगा दो आज,
मै भी पहनना चाहती हूँ कामयाबी का ताज,
छोड़ दो ये सोचना क्या बोलेगा समाज,
*    *      *       *        *      *

माँ अपनी बेटी को निहारती हुई
बेटी को ना बाँधो (beti ko naa baandho )


मुझे भी दो माँ पड-लिखने का अधिकार,
भरोसा करना माँ मुझ पर भी बेटों के जैसे,
मेरे अंदर भी बोलते हैं तुम्हारे दिए संस्कार,
कौन क्या कहेगा जरा ये सोचना बंद कर दो,
जिन गलियों में होती है बेटी की बुराई,
तुम उनकी ओर से आँखें बंद कर लो,
तुम मेरी चिंता करती हो दिन -रात,
ये तुम्हारा हक है माँ,
इस बात में कोई शक नहीं है माँ,
मुझे तुम्हारी सहमती का है इंतजार,
तुम साथ खड़ी हो हर पल मेरे,
मुझे भी है इतना एतबार,
कमजोर नहीं है माँ बेटी तुम्हारी,
मैं शेरनी के जैसे हूँ जांबाज,
माँ मेरे सपनों में पंख लगा दो आज,
मै भी पहनना चाहती हूँ कामयाबी का ताज,
बेटी समझकर पैरों में ना डालो तुम बेड़ियां,
छोड़ दो ये सोचना क्या बोलेगा समाज,
*      *        *        *         *
मेरे पंखों में उड़ान भरना,
माँ ये तेरा काम है,
एक दिन ऊँचा करना माँ तेरा नाम है,
एक बेटी अगर पढ़-लिख जाए,
वो दो परिवारों को संवारती है,
माँ-बेटी का रिश्ता है कुछ ऐसा की,
बेटी हर पल माँ-माँ पूकारती है,
मेरे सीने में धडकती,
हर सांस को पहचाने तूं,
मेरे दिल में छुपी हर बात को माँ जाने तूं,
मुझे पता है घर की मान-मर्यादा की,
माँ मेरे ऊपर है जिम्मेदारी,
हर पाँव रखुंगी देखभाल कर,
हर काम में दिखाऊंगी समझदारी,
मैं ना कभी अपनी हद से आगे बढ़ूंगी,
मैं सदा तेरे दिखाएं रस्ते पर चलूंगी,
माँ तेरी बेटी तुझसे ये वादा करती हैं आज,
माँ मेरे सपनों में पंख लगा दो आज,
मै भी पहनना चाहती हूँ कामयाबी का ताज,
बेटी समझकर पैरों में ना डालो तुम बेड़ियां,
छोड़ दो ये सोचना क्या बोलेगा समाज,
*     *        *       *       *       *
बेटी जब तक तुम रहोगी घर से बाहर,
मेरी सांसें सीने में अटकी रहेंगी,
इस दुनिया का काम है कहना,
ये कुछ ना कुछ तो कहेगी,
हंस -हंसकर सह लूंगी,
मैं इस दुनिया के ताने,
तुम बसी हो मेरे दिल में धड़कन बनकर,
तेरे लिए तेरी माँ हर दुख -दर्द सहेगी,
ये दुनिया लाख बोले कुछ भी,
तेरी माँ कभी कुछ ना कहेगी,
मैं करूंगी सम्मान तेरा,
तूं भी रखना मान मेरा,
मेरे सर को सदा उठाए रखना,
मन में मात-पिता को बिठाए रखना,
मैं खुद से भी ज्यादा करती हूँ,
बेटी तुझ पर नाज,
माँ मेरे सपनों में पंख लगा दो आज,
मै भी पहनना चाहती हूँ कामयाबी का ताज,
बेटी समझकर पैरों में ना डालो तुम बेड़ियां,
छोड़ दो ये सोचना क्या बोलेगा समाज,
*         *        *        *          *
मैं भी करना चाहती हूँ अपने सपने साकार,
बेटों के जैसे तुम मुझे लाड- लडाती हो,
कोई ये माने या ना माने,
*       *      *       *       *       *

Friday, 17 November 2023

जीत का संगीत (jeet ka sangeet )


हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,

पिता पुत्र के साथ खड़ा हुआ
जीत का संगीत (jeet ka sangeet )


*     *       *        *
ये तो सिर्फ हमारा ख्याल ही हो सकता है,
कांदे पर अपने हमको बिठाकर,
कांटे हमारी राहों के हटाकर,
फूल हमारी राहों में पिता ही बो सकता है,
साथ चला वो हर पल हमारे,
उबड़-खाबड़ हों चाहे जीवन के रस्ते,
आगे -आगे चलता था बचपन में पिता,
उठाकर हमारे स्कूल के बस्ते,
हाथ पकड़ स्कूल छोड आना,
कभी-कभी आँखें दिखाना,
थोडा नरम थोड़ा गर्म,
मेरे जख्मों का इकलौता मरहम,
जो ना छाने दे मेरे जीवन में अंधेरा,
पिता है मेरे जीवन का उगता सवेरा,
अधूरा है उसके बिन सारा परिवार,
उसके संग है जीवन में रंग बेसुमार,
हंस तो लेता है पिता सबके सामने पर,
दुख में अकेला छुपकर वो ही रो सकता है,
हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,
*     *       *       *
मेरे जीवन का हर पल हर लम्हा,
बिन पिता के है तन्हा,
पिता प्यार तो करता है पर दिखाता नहीं,
वो कितना भी अकेला हो ,
जीवन में पर किसी से कहता नहीं,
हार ना माने पिता कभी,
जो अपनी मस्त चाल में सदा चलता रहे,
रुकना उसका काम नहीं,
पिता सागर के जैसे सदा बहता रहे,
सबको रखें अपने आँचल की छाँव में,
पीछे मुड़कर ना देखे कभी,
चाहे कितने ही कांटे लगे उसके पाँव में,
मेरी कामयाबी है उसकी मेहनत का परिणाम ,
पिता की मुस्कान है मेरे जीवन का ईनाम,
मेरे जीवन की नाव जब फंस जाएं बीच मझधार ,
मेरी बांह पकड़ कर लगाए,
मुझ को उस मझधार से पार,
हम सबको सुलाए सदा चैन की नींद,
खुद एक पल भी कभी,
चैन की नींद नहीं सो सकता है,
हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,
सिर्फ पिता ही हो सकता है,
*   *     *      *     *
माँ के सर का अभिमान पिता,
मेरे सपनों की जान पिता,
मेरी रग-रग में बसा है खून उसका,
मेरे सपनों को पूरा करना जनून है उसका,
जीवन को मेरे दिया है एक नया मुकाम,
उसके नाम से जुडा है मेरा नाम,
ना सुबह देखा ना श्याम,
मेरे सपने पूरे किए हैं तमाम,
वो रखता खबर मेरे हर-पल की,
पिता करता है चिंता,
मेरे आने वाले कल की,
पिता मुझे बनाकर रखता है बादशाह,
खुद ना उसे परवाह कोई  ,
हर सितम झेल जाता है वो मसीहा,
उसके दिल से ना निकले आह कोई,
होंगे मेरे बहुत चाहने वाले पर,
उसके जैसा नहीं कोई हो सकता है,
हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,
सिर्फ पिता ही हो सकता है,
*      *       *       *












































Wednesday, 15 November 2023

माँ का साया (maa ka saaya )

तस्वीर छू कर माँ की,
आंसू बहाने का क्या फायदा,
जीते जी निभा लेता अगर तूं,
*     *      *       *      *



बेटा अपनी माँ के पाँव छूता हुआ
माँ का साया (maa ka saaya )






वो तड़पती रही घर के एक कोने में,
माँ को छोड़ कर अकेला,
मैं लगा रहा अपने परिवार की,
खुशियों की माला पिरोने में,
जिस माँ को खुश करना था,
उसे छोड़ दिया ईश्वर के हवाले,
उस जन्मदाती को मैं भूल बैठा,
जिस माँ ने अपने मुंह के निवाले,
सबसे पहले मेरे मुंह में डाले,
माँ मुझ पर लुटाती ग‌ई जान अपनी,
मैं उसको बात-बात पर नीचा दिखाना,
समझता रहा शान अपनी,
मेरी खुशियों को अपना मानकर,जीती थी माँ,
हर‌ पल गम के आंसू पीती थी माँ,
मैं जीता रहा जीवन एशो-आराम का,
माँ जीती थी जीवन बिल्कुल सादा,
तस्वीर छू कर माँ की,
आंसू बहाने का क्या फायदा,
जीते जी अगर निभा लेता ,
माँ की सेवा करने का वादा,

*     *      *       *     *
माँ जीती रही इसी ख्याल में,
मैं रखुंगा ध्यान उसका एक दिन,
देखकर बिलखते बच्चों को सोचा मैंने,
कैसे गुजरते होंगे इनके दिन माँ के बिन,
माँ नहीं होती जिनके पास,
वो ही माँ की कीमत जाने,
जिन के सर है माँ का पहरा,
वो माँ की कीमत ना पहचाने,
जितना हो सके माँ के जीते जी,
उसके चरणों में समय गुजारो,
माँ को खुश करने के जीवन में,
मिलते हैं पल हजारों,
जीवन में सुनहरे पल आएंगे हर पल,
माँ की दुआओं से ही संवरेगा आने वाला कल,
सब रिश्तों का प्यार है एक छलावा,
माँ प्यार करे हद से भी ज्यादा,
तस्वीर छू कर माँ की,
आंसू बहाने का क्या फायदा,
जीते जी निभा लेता अगर तूं,
माँ की सेवा करने का वादा,
*     *      *        *
मेरे दिल की आरजू माँ,
मेरे दिल में ही रह गई,
तस्वीर तुम्हारी बिन बोले,
सब-कुछ कह ग‌ई,
जब भी छलकता था तुम्हारी,
आँखों से आंसुओं का दरिया,
मैंने कभी नहीं की उस छलकते दरिया की परवाह,
काश तुम्हारे आंसुओं की कीमत,
मैं उस वक्त जान लेता,
माँ तुम को मैं दिल से अपना मान लेता,
मैं बन जाता तुम्हारे जख्मों का मरहम,
शायद हो जाते तुम्हारे गम कुछ कम,
तुम्हारे पास थी माँ मेरे हर दर्द की दवा,
मेरा भी कौन था माँ उस वक्त तुम्हारे सिवा,
भूल हो गई है मुझसे,
माँ तुम्हारा दिल दुखाने का,
नहीं था मेरा कोई इरादा,
तस्वीर छू कर माँ की,
आंसू बहाने का क्या फायदा,
जीते जी निभा लेता अगर तूं,
माँ की सेवा करने का वादा,
*       *        *         *









































Saturday, 11 November 2023

कन्यादान की महक (kanyadaan ki mahak )

हर आदमी के नशीब में नहीं होता,
बेटी करती है मरते दम तक,
मात-पिता का सम्मान,
*    *      *       *
पिता अपनी बेटी को हवा में उछालता हुआ
कन्यादान की महक (kanyadaan ki mahak )


मात-पिता समझें उसको,
अपनी आँखों का तारा,
बेटी है सर का अभिमान हमारा,
मात-पिता के दिल में उतर जाती है,
बेटी आँखों के रस्ते,
बेटी सब कुछ वार देती है,
मात-पिता पर हंसते -हंसते,
हर दर्द छुपा लेती है,
बेटी सीने में अपने,
मात-पिता की खुशी के लिए,
मार देती है अपने सब सपने,
बेटी का कन्यादान है,
इस जग में महादान,
ये हैं मात-पिता के लिए सबसे बड़ा सम्मान,
बेटी हंस-हंस कर कर करती है,
पूरे घर का काम,
उसके चेहरे पर ना आएं,
कभी क्रोध के निशान,
हर आदमी के नशीब में नहीं होता,
बेटी करती है मरते दम तक,
मात-पिता का सम्मान,
*     *       *      *
बेटी हो जाती है कंई बार बेटों पर भारी,
वो देख नहीं सकती अपने,
मात-पिता की लाचारी,
बेटी है जान हमारी,
वो नहीं हैं धन पराया,
वो आदमी हर क़दम पर दुख उठायेगा,
जिसने किसी की बेटी को है सताया,
अपनी बेटी को दीजिए अच्छे संस्कार,
उस पर नाज करते हैं दो परिवार,
दो परिवारों को जोड़ती है,
बेटी एक कड़ी बनकर,
वो दो परिवारों में खुशियां बिखेरती है ,
खुशियों की लडी बनकर,
बेटी रखती है अपने हाथों में,
संभालकर पूरे घर की कमान,
हर आदमी के नशीब में नहीं होता,
करना बेटी का कन्यादान,
बेटी करती है मरते दम तक,
मात-पिता का सम्मान,
*      *        *       *
बेटी का करूं मैं कितना गुणगान,
जिस घर में बेटी जन्मे वो घर है धनवान,
उसके कदमों से घर बन जाए पावन,
घर बन जाए एक मन्दिर ,
वो ज्योत प्यार की जगाकर रखें,
अपने दिल के अन्दर,
बोझ ना मानो बेटी को,
बेटी है अभिमान हमारा,
जिस के घर बेटी आए,
चमक जाए उसकी किस्मत का सितारा,
बेटी में लक्ष्मी जी का वास है,
इसलिए बेटी है सबसे ख़ास,
सदा रखना इस बात का ध्यान,
बेटी का चेहरा ना हो कभी उदास,
करना सदा प्रयास ये ही,
बेटी के चेहरे पर सदा,
क़ायम रहें प्यारी-सी एक मुस्कान,
हर आदमी के नशीब में नहीं होता,
करना बेटी का कन्यादान,
बेटी करती है मरते दम तक,
मात-पिता का सम्मान,
*     *      *      *































Thursday, 9 November 2023

पिता का स्नेह (pita ka sneh )

ऊंचे बोल बोलकर ना डराना,
बात-बात पर उसको नीचा ना दिखाना,
पिता का कद है सबसे बड़ा ,
जो हर सुख -दुख में हमारे साथ खडा,
*      *        *       *      *       *


पुत्र अपने पिता की पीठ पर चढ़ता हुआ
पिता का स्नेह (pita ka sneh )


हाथ पकड़ कर रखे हमारा हरदम,
कभी होने ना दे हमारी आँखें नम,
पिता है प्यार की एक सरगम,
उसके अनमोल प्यार का,
उसकी आँखों में बसे दुलार का,
सानी कोई नहीं है,
पिता है एक मसीहा ईश्वर का,
वो है उम्मीद का एक दीया,
उससे बड़ा ज्ञानी कोई नहीं है,
जो खुद की ना करें कभी परवाह,
पिता हर मुश्किल में पकड़ कर रखे हमारी बांह,
जो पूरा करें मेरे अधूरे सपनों को,
जो पीछे ना हटे कभी,
चाहे हालात कैसे भी हों,
पिता मेरे जीवन में ऐसे हैं,
जैसे अंगूठी में कोई हीरा हो जड़ा,
ऊंचे बोल बोलकर ना डराना,
बात-बात पर उसको नीचा ना दिखाना,
पिता का कद है सबसे बड़ा,
जो हर सुख -दुख में हमारे साथ खडा,
*     *      *      *      *
जो मेरी हर इच्छा पूरी करे,
अपना सबकुछ हार कर,
चाहे तन पर कपड़े जैसे भी हों,
मेरा हर सपना पूरा करे,
अपने सपनों को मारकर,
बाती बिन दीया है जैसे,
नाव बिन पतवार,
अपनी खुशियां पिता मुझ पर लुटाए सौ-बार,
हमारे घर का पिता अभिमान,
मुझे उनसे मिला है जीवनदान,
आसमान में जितने तारे हैं,
वो सब के सब हमारे हैं,
जब तक पिता साथ है,
वो हमारी तरफ हर घड़ी अपना हाथ बढ़ाए,
हमारी राहों के सारे कांटे हटाए,
जब तक पिता साथ है,
उसके प्यार की गर्माहट ऐसे लगती है,
जैसे मिल गया हो कोई खजाना ज़मीन में गढा,
ऊंचे बोल बोलकर ना डराना,
बात-बात पर उसको नीचा ना दिखाना,
पिता का कद है सबसे बड़ा ,
जो हर सुख -दुख में हमारे साथ खडा,
*     *      *      *       *      *
पिता है सागर का पानी,
जो जीवन भर प्यास बुझाए,
चूमकर वो माथा मेरा,
जीवन भर लाढ लढाए,
पिता की कमी कोई पूरा ना कर सके,
चाहे कितना ही प्यार लूटाए,
पिता का स्थान है आसमान से भी ऊंचा,
आसमान भी उसके आगे सर झूकाए,
पिता का प्यार बारिश की पानी,
जो हर पल हमको शीतल करे, 
वो मेरा मार्गदर्शन करें,
मुझे सही -गलत का ज्ञान कराए,
मेरी नज़रों में है वो ईश्वर के जैसा,
जो मुझको हर घड़ी बुरी नजरों से बचाए,
मैं भी खड़ा रहूँगा सदा साथ उसके,
जो मेरे लिए हर पल इस ज़माने से है लड़ा,
ऊंचे बोल बोलकर ना डराना,
बात-बात पर उसको नीचा ना दिखाना,
पिता का कद है सबसे बड़ा ,
जो हर सुख -दुख में हमारे साथ खडा,
*       *       *       *        *       *

Sunday, 5 November 2023

माँ के प्यार में खोना (maa ke pyar me khona )

तस्वीर तुम्हारी छूकर,
छलक जाती है आँखें कंई बार माँ,
काश थाम लेता मैं माँ हाथ एक रोज तेरा,
*      *        *       *      *



पश्चाताप की अग्नि में जलता हूँ,
हर रोज थोड़ा -थोडा,
कितना अभागा हूँ हे ईश्वर मैं,
ऋण माँ के दूध का गया ना मुझ से मोड़ा,
कर ना सका मै घर बैठी,
अपनी जन्मदाती का सत्कार,
करना चाहता हूँ मैं अपने गुनाहों का पश्चाताप,
अगर तुम मौका दो एक बार, 
जो चली ग‌ई है मुझ से बिना कुछ बोले,
दर्द छूपाकर रखती थी सीने में,
कभी किसी से कुछ ना बोले,
कितना बड़ा दिल है माँ का,
वार कर अपना जीवन सारा,
जो बदले में कुछ ना मांगे,
कैसे भूल जाऊं मैं तेरा ये उपकार माँ,
तस्वीर तुम्हारी छूकर,
छलक जाती है आँखें कंई बार माँ,
काश थाम लेता मैं माँ हाथ एक रोज तेरा,
*      *        *       *        *
चंद लम्हे भी सकून से ना तुम ने गुजारे
जब से तुम चली गई हो माँ,
सब सुख गायब हो ग‌ए हैं घर से हमारे ,
मेरे दामन में पड़ गए होते,
तुम्हारे स्नेह के मोती अगर,
आज मेरी किस्मत युं ना सोती अगर,
काश मैं समझ गया होता,
क़ीमत माँ के प्यार की,
अपनी जान तुम ने की थी मेरे नाम,
तुम्हारे दिए संस्कारों की ,
मैंने कद्र नहीं की एक बार भी,
क्यों कद्र भूल जाते हैं बेटे,
माँ के एहसान की,
माँ तो माँ होती है,
चाहे वो निर्धन की हो धनवान की,
माँ तुम आ जाओ फिर से पास हमारे,
काश ये सपना पूरा हो जाए एक रोज मेरा,
तस्वीर तुम्हारी छूकर,
छलक जाती है आँखें कंई बार माँ,
काश थाम लेता मैं माँ हाथ एक रोज तेरा,
*     *       *        *
मेरी आँखें छलक जाती है माँ,
याद करके तुम्हारी बातें प्यारी -प्यारी ,
तुम्हारी सूरत घूमतीं है हर वक्त,
आँखों के आगे मेरे,
उम्र भर कर्जदार रहेगी ये ज़िन्दगी हमारी,
क्यों रहा खामोश मैं हालत तुम्हारी ऐसी देखकर,
सब रंग हो ग‌ए बेरंग माँ,
जब से तुम नहीं हो संग माँ,
माँ अगर दोबारा जन्म होता है तो,
मैं तुम्हारी ही कोख से जन्म लूं,
मैं अपनी पूरी उम्र तुम्हारी सेवा में गुजार दूं,
इस जन्म में जो छूट गया,
वो अगले जन्म हो पूरा,
दिल के अरमान हो जाए पूरे,
कुछ भी रहे ना अधूरा 
मैं हूँ तेरी कोख का जाया
तुं मेरे जीवन की हकदार माँ
तस्वीर तुम्हारी छूकर,
छलक जाती है आँखें कंई बार माँ,
काश थाम लेता मैं माँ हाथ एक रोज तेरा,
*       *         *         *
































Friday, 3 November 2023

सच्चे प्यार की पहचान (sachhe pyar ki pahchan )

बिताई है हर रात जागकर,
राम जाने वो कितनी रातें चैन से सोई है,
वो जब तक जिए दुआएं दे,
*     *        *         *        *

माँ अपने बेटे को सीने से लगाती हुई
सच्चे प्यार की पहचान (sachhe pyar ki pahchan )


ये रिश्ता है अनमोल बहुत,
अनमोल हैं इसकी यादें,
माँ के जैसा कोई प्यार करे,
जग में दुसरा कोई ऐसा हो तो हमे बता दे,
चारो और फैला है इस जग में उजाला,
तुम हो मेरे जीवन की एक प्रेरणा,
दया की तुम हो एक मूरत,
तुम्हारे दिल में भरी करूणा है माँ,
देखकर मेरी खुशियों को ,
मुस्कराती है मंद-मंद माँ,
मेरे चेहरे पर देखकर लकीरें तनाव की,
सब-कुछ जान लेती है,
करके बंद आँखें माँ,
माँ क्षमावान,माँ दयावान,
माँ दे जीवनदान,माँ तुम हो महान,
कभी प्यार से तुं गले लगाए,
कभी तुमने मेरी याद में आँखें भिगोई हैं,
बिताई है हर रात जागकर,
राम जाने वो कितनी रातें चैन से सोई है,
वो जब तक जिए दुआएं दे,
*       *       *         *        *
कंई बार माँ मुझे युं लगे,
हमारा जन्म -जन्म का नाता है,
माँ एक तेरे प्यार के आगे,
मुझे कुछ और समझ नहीं आता है,
मैं क्या मांगू ईश्वर से और,
बिन मांगे माँ तुम्हारा प्यार मिला,
तुम्हारी कोख से जन्म लेकर,
मुझे एक प्यारा संसार मिला,
मेरे कंई जन्मों का सूनापन,
तुम्हारी गोद में आकर मुझे चैन मिला,
खुश हूँ माँ मै तुमको पाकर,
नहीं ईश्वर से है मुझे कोई और गिला,
तुम हो मंदिर की एक मूरत के जैसे,
मुख देखकर तुम्हारा ऐसा लगे,
तुम हो ईश्वर की एक सूरत हो जैसे ,
जिस ने ना कद्र की घर बैठे ईश्वर की,
समझो उसकी किस्मत सोई है,
बिताई है हर रात जागकर,
राम जाने वो कितनी रातें चैन से सोई है,
वो जब तक जिए दुआएं दे,
माँ इस जग में तेरे जैसा ना कोई है,
*    *       *        *          *
तेरी दुआओं में वो शक्ति है माँ,
जो मुख मोड़ दे गर्म हवाओं का,
जहाँ कोई असर ना हो दवाओं का,
वहाँ असर दिखे तेरे मुख से निकली दुआओं का,
मैं छू लूं ये आसमान सारा,
तेरे दिल का ये ही अरमान है माँ,
तुम हो घर की जान हमारे,
तेरे हाथों में है पूरे घर की कमान माँ,
तेरा आँचल इतना विशाल है,
तुम रखती हो उसमें सब सुख -दुख छिपाकर,
तुम अपनी प्यार की छाया से,
हर वक्त रखती हो हमारा हौंसला बढ़ाकर,
उस मिट्टी को मैं सर से लगाऊं,
जो तुम्हारे पाँव को छूकर आई है,
बिताई है हर रात जागकर,
राम जाने वो कितनी रातें चैन से सोई है,
वो जब तक जिए दुआएं दे,
माँ इस जग में तेरे जैसा ना कोई है,
*     *       *        *        *













तेरा