Sunday, 31 December 2023

जीवन का सत्य (jeevan ka Satya)

तस्वीर से दो बातें कम कर लो,
दुआओं की बारीश होने लगती है,
माँ के पाँव को छूते ही,
*      *        *         *
माँ-बाप अपने बच्चे को प्यार करते हुए
जीवन का सत्य (jeevan ka Satya)



सारी उम्र मांगकर दुआएं,
जीव्हा माँ की नहीं थकती है,
हर कदम हटाए बाधाएं मेरी राहों की,
माँ के मुख से दुआएं कभी नहीं रूकती है,
माँ है एक अनमोल रत्न,
जिस किसी के हिस्से में आया है,
अपने सत्कर्मों का फल समझो,
इसी जन्म में पाया है,
बचपन में पकडा था जिस माँ का आंचल,
मैं अब भी उस माँ के पीछे चलता हूँ,
जाने से पहले मैं अपने घर से,
उस माँ के पाँव छूकर निकलता हूँ,
माँ है तो सब सुख अपने
माँ है तो सब पूरे सपने,
अलग ही रौनक छा जाती है घर में,
माँ के मुस्कराते ही,
तस्वीर से दो बातें कम कर लो,
दुआओं की बारीश होने लगती है,
माँ के पाँव को छूते ही,
*       *       *       *
जीवन के हर मोड़ पर,
मुझे बाधाओं से लडना सिखाया है
डरता नहीं मै आँधी-तूफां से,
माँ ने मुझको कुछ ऐसा ही बनाया है,
माँ बिन जीवन है क्या,
माँ है खुशियों का दरिया,
तेरे एहसानों का बदला माँ,
मैं सारी उम्र चुकाऊं तो कम है,
संग तेरे है ये दुनिया हसीं,
तुम हो तो हम हैं,
बहुत अहमियत रखता है,
घर में माँ की छाया का होना,
मैं कैसे भूल जाऊं बचपन की वो रातें,
माँ तुम्हारी जागती आँखों का सोना,
तुम्हारा दुध से मिला जीवन दान मुझे,
मेरी भूख-प्यास एक पल में मिट जाती थी,
माँ तुम्हारा दूध अमृत -सा पीते ही,
तस्वीर से दो बातें कम कर लो,
कद्र करो तुम जीते -जी,
दुआओं की बारीश होने लगती है,
माँ के पाँव को छूते ही
*      *        *         *
माँ की तस्वीर नहीं माँ को लगाओ सीने से,
अमीरों में होती है गिनती उस बेटे की,
जिसका हर दिन बीते माँ के संग ज़ीने में,
जीते जी माँ को यदि सारे सुख दे पाओगे,
तस्वीर को छूकर माँ की बाद में,
आंसू नहीं बहाओगे,
मेरा धर्म कर्म हर सुबह,
माँ की सेवा से होता है शुरू,
उसका दिल ना दुखे कभी मेरी वजह से,
मैं हर पल ये प्रयत्न करूं,
मेरे आंगन में उड़ती रहे,
माँ की पाँव की धूल सदा,
उसकी जुबान से निकला हर लफ्ज़,
मैं सर को झूकाकर करूं कबूल सदा,
माँ है सबसे जुदा,
माँ से प्यारा दुनिया में कोई और है क्या,
मेरे चेहरे पर मुस्कान के रंग आज भी,
मेरी माँ को बहुत भाते हैं जी,
तस्वीर से दो बातें कम कर लो,
कद्र करो तुम जीते -जी,
दुआओं की बारीश होने लगती है,
माँ के पाँव को छूते ही,
*      *        *        *

























Friday, 29 December 2023

कन्यादान का सौभाग्य (kanyadan ka saubhagya)

हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
*      *        *         *
बेटी का कन्यादान
कन्यादान का सौभाग्य (kanyadan ka saubhagya



बेटी है हमारे दिल का चैन,
हमारे कुल की मान-मर्यादा है,
वो माँ के नक्शे कदम पर चले,
पर लाडली पिता की सबसे ज्यादा है,
मैंने अपनी बेटी को,
सर उठाकर चलना सिखाया है,
मान करेगी घर में हर  छोटे बड़े का,
ये मैंने हर पल समझाया है,
हर पिता की है ये ज़िम्मेदारी,
सबकी पलकों पर बैठी रहे बेटी हमारी,
बेटी को दें सदा अच्छे संस्कार,
दोनों परिवारों में मिले,
बेटी को खूब आदर-सत्कार ,
हमारी बेटी का हो उज्ज्वल भविष्य,
शिक्षा हो उसका पहला अधिकार,
बेटी है हमारे दिल की धड़कन,
नहीं वो अमानत बेगानी है,
हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
*      *        *         *
माँ के लिए जान है बेटी,
माँ की मुस्कान है बेटी,
हर मुश्किल से लड जाए बेटी,
डटकर जहाँ खड जाए बेटी,
अपनी बेटी के लिए सदा मैं छाँव बनूंगी,
खुलकर बताए सदा अपने मन की बातें,
मैं उसकी ऐसी माँ बनूंगी,
हम दोनों के बीच ना कोई, दीवार होगी,
एक सहेली के जैसा रिश्ता होगा,
बेटी के लिए मेरे दिल की,
खिड़की खुली हर बार होगी,
वो बनकर रहेगी मेरे नयनों की ज्योति,
हमारे घर में बिखरेंगे,
सदा उसके मुस्कान के मोती,
अपनी जान से प्यारी है हमको वो,
बेटी भी माता-पिता की दिल से दीवानी है,
कन्यादान की अनमोल रस्म,
हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
*     *      *      *   
कन्यादान की रस्म निभाना,
हर माता-पिता का है सपना,
बेटी को मिले जो घर, 
वो घर बेटी के मायके जैसा हो अपना,
हर बेटी का हो एक सुखी संसार,
बेटी के चेहरे पर रहे सदा खुशियों की बहार,
याद ना आए कभी मायके का प्यार,
उस घर में मिले उसको इतना सत्कार,
अमीर हो या गरीब की बेटी,
हर बेटी की जिंदगानी हो खुशहाल,
उसकी जिंदगानी हो खुशियों से मालामाल,
माँ के होती है दिल के करीब,
जिस घर बेटी जन्मे,
वो घर फिर क्यों है गरीब,
बेटी है हमारे घर का सम्मान,
बिन बेटी के घर है सुनसान,
छोड़ मायका हर बेटी को जाना है ससुराल,
ये हर घर की कहानी है,
कन्यादान की अनमोल रस्म,
हर माता-पिता को निभानी है,
बेटी रहेगी हमारे रग-रग में बसी,
जब तक ये जिंदगानी है,
*      *       *        *















Wednesday, 27 December 2023

माँ-पिता का प्यार (maa-pitah ka pyar )

माँ ने दिया है जीवन दान हमें,
माँ को हम जितना प्यार करें,
पिता भी उतना ही प्यारा है, जे
*     *       *     *   

बेटा माता-पिता से प्यार करता हुआ
माँ-पिता का प्यार  (maa-pitah ka pyar)


हर पल दिल में बसे माँ हमारी,
सूरत है जिसकी सबसे प्यारी,
जिसके बिन मेरा ना है कोई वजूद,
जिसके आंचल मे सदा रहते हैं हम महफूज,
माँ से हम हर पल फरियाद करें,
पिता को बहुत कम हम याद करें,
हमारे सपनों में रंग सजाता है,
दुख हो या सुख की छाँव,
हमारी जीवन की नाव पार लगाता है,
माँ की रहते हैं वो बनकर परछाई,
हमारी हर जिम्मेदारी पिता ने खूब है निभाई,
ये दूनिया वाले हों खिलाफ अगर,
सबसे पहले प्यारे पिता ने आकर,
हमारी पीठ थपथपाई,
ना अपनी जिम्मेदारी से भागे कभी,
ना ही कभी हमसे किया किनारा है,
माँ ने दिया है जीवन दान हमें,
माँ को हम जितना प्यार करें,
पिता भी उतना ही प्यारा है
*      *       *       *
माँ ने झूलाया है बांहों के झूले से,
पिता ने कांदे पर बिठाया है,
माँ ने मुझको जन्म दिया,
तो पिता मेरा हमसाया है,
मेहनत की भट्ठी में हर रोज तपकर,
खुद को सोना खरा बनाया है 
अपनी मेहनत के रंग से,
हमारे घर को हरा- भरा बनाया है,
इस दुनिया के सुख सारे और,
आसमान में जितने तारें है,
पिता ने लाकर कदमों में हमारे,
सब के सब वारे हैं,
मेरी रगों में भी दौडता है,
लाल रंग लहू बनकर तुम्हारा,
तुम्हारी छाया रहेगी जब तक सर पर,
हर खुशी हर रोज स्वागत करती है हमारा,
पिता से ही रहता फैला,
घर में हमारे उजाला है,
माँ ने दिया है जीवन दान हमें,
पिता ने जीवन संवारा है,
माँ को हम जितना प्यार करें,
पिता भी उतना ही प्यारा है,
*      *       *        *
मेहनत करते-करते पिता के हाथों की,
मिट ग‌ई हर एक रेखा है,
थकान नहीं है चेहरे पर जरा -सी,
मैंने उस ईश्वर के तोहफे को,
ग़म में भी मुस्कराते देखा है,
हर ग़म को छिपाने की कला,
उनसे बढ़कर और कोई ना जाने,
हम-सब की तकलीफों को,
पिता बिन बोले ही पहचाने,
हमारे जीवन की नाव का,
उस बिन कोई सहारा नहीं,
गमों के समंदर में,
उस बिन दिखता कोई किनारा नहीं,
हमारी खुशियों की वजह है वो,
हमारी रजा में ही रजा है वो,
पिता है तो सब अपने हैं,
उसके बिन ना कोई हमारा है,
माँ ने दिया है जीवन दान हमें,
पिता ने जीवन संवारा है,
माँ को हम जितना प्यार करें,
पिता भी उतना ही प्यारा है
*    *      *       *

























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Monday, 25 December 2023

अलगाव की दास्तान ( algaav ki dastan)

माँ-बाप को ही हर बार,
क्यों परखा जाता है,
ना जाने कैसा दौर आ गया है,
माँ-बाप को भी आजकल,
*     *      *      *      *
माँ-बाप साथ -साथ चलते हुए
अलगाव की दास्तान ( algaav ki dastan



दो बेटों का बाप हूँ मै, 
अपनी मर्ज़ी का मालिक आप हूँ मै,
ईश्वर से अब कोई शिकवे ना कोई गिले हैं,
जब से मेरे आंगन में दो फूल खिले हैं,
मुझ जैसा खुश-किस्मत,
शायद होगा कोई इन्सान,
जिस के ऊपर ईश्वर रहता है हमेशा मेहरबान,
हमारे बुढ़ापे के सुख -दुख,
साथी बनकर रहेंगे वो दोनों,
अपने माँ-बाप को बोझ ना कहेंगे वो दोनों,
जिनको समझा है अपना सहारा,
वो ना करेंगे कभी अपने माँ-बाप से किनारा,
बच्चों के चेहरे पर मुस्कान के रंग देखकर,
माँ-बाप के चेहरे पर एक,
अलग ही नशा छा जाता है,
माँ-बाप को ही हर बार,
क्यों परखा जाता है,
ना जाने कैसा दौर आ गया है,
माँ-बाप को भी आजकल,
*    *      *     *      *
मैंने भी अपने आंचल में,
उन दोनों को छिपाया है,
मैंने भी एक माँ का फर्ज,
बड़े अच्छे से निभाया है,
वो दोनों मेरे ही प्यार की छाँव में, 
अब तक हैं पले,
उन दोनों ने गुजारा है बचपन अपना,
मेरी ममता के तले,
दूध पिलाया है जिनको,
मैंने अपने सीने से लगाकर,
मुझको रखते थे वे दोनो,
रात-रात भर जगाकर,
माँ-बाप की सेवा करने का,
जब भी मौक़ा आएगा,
उन दोनों में से सेवा का मौका,
अपने हाथों से कोई ना गंवाएगा,
उन दोनों का प्यारा चेहरा एक पल में,
मेरे मन में समा जाता है,
माँ-बाप को ही हर बार,
क्यों परखा जाता है,
ना जाने कैसा दौर आ गया है,
माँ-बाप को भी आजकल,
अलग-अलग रखा जाता है,
*     *       *       *     *
वाह!रे ईश्वर, दोनों बेटों ने,
क्या खूब फर्ज निभाया है,
एक बेटे ने थामा है बाप का हाथ,
दुजे ने माँ को अपनाया है,
हर पल हमने साथ गुजारा,
अब ये दिन क्यों दिखाया है,
कोई बताएगा क्या मुझे,
क्या है बेटों की लाचारी,
क्यों नहीं उठा सकते वो,
अपने माँ-बाप की जिम्मेदारी,
अपना सुख -दुख हम किस के संग बांटे,
बहु -बेटा हमको बात -बात पर डांटें 
उम्र के इस पड़ाव पर,
क्यों माँ-बाप को तड़फाया है,
क्यों एक दुजे को ,
नज़रों से ओझल कराया है, 
सारे जहां का प्यार
एक माँ के आंचल में समा जाता है,
माँ-बाप को ही हर बार,
क्यों परखा जाता है,
ना जाने कैसा दौर आ गया है,
माँ-बाप को भी आजकल,
अलग-अलग रखा जाता है,
*     *      *       *      *



























Friday, 22 December 2023

माँ बनने की सफलता ( maa banne ki safalta)

माँ बनने का वो पल कितना खास था मेरा,
कितना प्यारा एहसास था मेरा,
*       *         *       *       *

माँ अपने बच्चे को प्यार करती हुई
माँ बनने की सफलता ( maa banne ki safalta


कितना आनन्द आता था,
जिंदगी अपने तरीके से ज़ीने से,
मैं खुद से भी ज्यादा ख्याल रखने लगी थी,
अपने आने वाले मेहमान का पहले महीने से,
खाने से लेकर सोने तक,
कितनी समय की पाबंद थी मैं,
हर तरह से ख्याल रखता था,
पूरा परिवार मेरा,
सर आँखों पर बैठाकर रखते थे मुझे,
सबकी पहली पसंद थी मै,
हर कोई खुश था एक नन्हा-सा,
मेहमान परिवार में हैं आने वाला,
बेसब्री से कर रहे थे इंतजार सभी,
कब आएगा हम सबको सताने वाला,
हर पल एक डर -सा लगा रहता था,
हर वक्त रहता चेहरा उदास था मेरा,
माँ बनने का वो पल,कितना खास था मेरा,
कितना प्यारा एहसास था मेरा,
*     *       *        *       *
ईश्वर करे माँ बनने का मौका मिले हर नारी को,
हर आदमी चाहता है,
घर में हो कोई मेहमान नन्हा,
जो पीठ पर करता हमारी सवारी हो,
जब से मुझे माँ बनने का एहसास होने लगा है,
मेरा हर दिन खास होने लगा है,
हर एक दिन बीत जाता था मेरा ये सोचकर,
वो शुभ दिन कब आएगा,
कब हमारे परिवार में,
खुशियां का नशा छाएगा,
हर किसी के चेहरे की,
खुशी होगी देखने लायक,
मैं बनुंगी उस दिन परिवार में,
सबकी खुशियों की नायक ,
सब हंसेंगे उसकी हंसी देखकर,
वो सबके मन को बहलाएगा,
मुझे एक अपनापन सा लगता था,
जब छूता था उसको हाथ था मेरा,
माँ बनने का वो पल,कितना खास था मेरा,
पहली बार माँ बनना,
कितना प्यारा एहसास था मेरा,
*    *     *      *      * 
एक औलाद के लिए माँ,
खाना-पीना सब छोड़ देती है,
हर चीज से वो मुंह मोड़ लेती है,
हर कदम रखती है देखभाल कर,
कोख में पल रही एक नन्ही सी,
जान को रखती है अपनी,
जान से भी ज्यादा संभालकर,
अपनी सब खुशियां भूला देती है माँ,
एक औलाद पाने के लिए,
हर ग़म को गले लगा लेती है,
माँ का रिश्ता निभाने के लिए,
माँ के जैसा ना कोई और मिलेगा,
बाकी हर रिश्ता यहाँ कमजोर मिलेगा,‌
माँ की सेवा से बड़ा,
दुनिया में कोई काम नहीं,
माँ से प्यारा इस दुनिया में,
कोई दुजा नाम नहीं,
मेरी झोली में औलाद का आना,
उस ईश्वर का उपहार था मेरा,
माँ बनने का वो पल,कितना खास था मेरा,
पहली बार माँ बनना,
कितना प्यारा एहसास था मेरा,
*    *     *      *      *



























Thursday, 21 December 2023

मुझे भी हक दो माँ (mujhe bhi haq do maa)

तेरी कोख को माना है घर अपना,
तेरी आँखों में ना आएं आंसू मेरी वजह से,
तूं मेरे लिए मत रो माँ
*      *       *      *
माँ अपनी बेटी को प्यार करती हुई
मुझे भी हक दो माँ (mujhe bhi haq do maa)



मैं ना मांगू कभी खेल -खिलोने,
नहीं चाहिए मोतियों की कोई माला,
माँ से बढ़कर कोई और नहीं होगा,
जिसने अपने जीवन का सुख मेरे नाम कर डाला,
देखूं अगर मैं तेरी वजह से,
इस दुनिया के रंग निराले,
मेरी माँ की झोली में डाल दें सुख सारे,
मेरी विनती ये ही है तुम से,हे ऊपरवाले,
तेरी कोख में चल रही है एक बेटी की सांसें,
ये जानकर कभी आंसू ना तुम बहाना,
माँ होती है रूप रब का,
मैंने तो ये ही माना,
मुझको पाकर तुम सदा मुसकराओगी
ऐसा हो जाएगा कुछ पल के बाद,
मेरे सूरत देखें बिना तुम एक पल भी,
ना रह पाओगी,
तेरे बिन कोई सांझ -सवेरा ,
मेरे जीवन में कभी ना हो माँ,
तेरी कोख को माना है घर अपना,
तेरी आँखों में ना आएं आंसू मेरी वजह से,
तूं मेरे लिए मत रो माँ,
*     *        *       *
तुम रहो मेरे संग सदा,
मैं बनकर रहूँ तेरा अंग सदा,
मेरा जीवन हो जाए पूरा रंगमय,
तेरे प्यार के रंगों से सदा ,
तुम बन जाना ढाल मेरी,
मेरे सर पर रखना अपने दो प्यारे हाथ,
मुझे रखना ममता की छाँव तले,
मेरे जीवन में हो सदा,
तेरे पावन प्यार की बरसात,
मुझको भी हो ये अभिमान सदा,
मेरी जननी रखती है मेरा ध्यान सदा,
मुझे रंगना अपने प्यार के रंग में सदा,
तेरी मीठी लोरियो का संगीत,
मेरे कानों में रस घोलता है,
तेरे प्यार का जादू सर मेरे चढ़कर बोलता है,
मेरे जीवन का हर पल गुजरे तेरे संग,
चाहे सुख हो या दुख हो माँ,
तेरी कोख को माना है घर अपना,
मुझको भी दुनिया में आने का हक़ दो माँ,
तेरी आँखों में ना आएं आंसू मेरी वजह से,
तूं मेरे लिए मत रो माँ
*      *       *        *
तुम करना मेरा मार्गदर्शन,
मेरी उंगली थामे रखना तुम,
जगा देना तुम गोद में उठा कर मुझको,
जब मीठे सपनों में हो जाऊं मैं गुम,
तुम्हारी गोद में आकर मेरा,
डर हो जाता है गायब,
माँ तुम्हारी कीमत मेरे जीवन में ऐसे है,
जैसे मुझको मिल गया हो कोई हीरा नायाब ,
मैंने सुना है सब रिश्ते हैं फीके,
तेरे प्यार के आगे ओ माँ मेरी,
तेरे जैसा ना होगा दूजा कोई,
मैं बनकर रहूंगी जां तेरी,
तेरा प्यार है निर्मल निश्चल,
तुम ममता की खुली किताब हो माँ,
मैं जानती हूँ मुझको दुनिया में लाने के लिए,
तुम कितनी बेताब हो माँ,
माँ के अंदर बसता है ईश्वर,
तुम मेरे लिए ईश्वर का रूप हो माँ,
तेरी कोख को माना है घर अपना,
मुझको भी दुनिया में आने का हक़ दो माँ,
तेरी आँखों में ना आएं आंसू मेरी वजह से,
तूं मेरे लिए मत रो माँ
*      *        *         *       *














 




























Tuesday, 19 December 2023

हिन्द की बेटी (Hind ki beti)

आसमान को मैं छूने चली हूँ,
पाँव जमीं पर हैं मेरे,
मैं हिन्द की बेटी हूँ माँ,
मेरे अंदर संस्कार बोलते हैं तेरे,
*     *     *      *      *





मैं छूना चाहती हूँ माँ,
बुलंदी इस नीले आसमान की,
मेरे दामन पर कसेंगे तंज़ बहुत,
ये रीत है इस जहान की,
जब तक जीत ना जाऊंगी मैं हार नहीं मानुंगी,
पर्वत के जैसे ऊंचे हौंसले हैं बुलंद मेरे,
हार मान कर पीछे हट जाऊं,
ये माता-पिता को नहीं है पसंद मेरे,
कदम-कदम पर वो साथ खड़े हैं,
आएगा एक दिन खुशियों का सवेरा,
चाहे गमों की कितनी ही रात बड़ी हो,
रस्ते मिलेंगे सुनसान बहुत,
मुझे आगे बढ़ते जाना है,
माँ विश्वास की होगी जीत मेरे,
ठान लिया है मन मे मैने,
एक दिन कुछ कर दिखाना है,
मुझे पता है माता-पिता और पूरे घर की,
जिम्मेदारी सर पर है मेरे,
आसमान को मैं छूने चली हूँ,
पाँव जमीं पर हैं मेरे,
मैं हिन्द की बेटी हूँ माँ,
मेरे अंदर संस्कार बोलते हैं तेरे,
*     *      *       *       *
मैं आज के दौर में जीती हूँ,
पर भूली नहीं मै अपने संस्कार,
दिल में बसते हैं माता-पिता मेरे,
वो दोनों है मेरा पहला प्यार,
मैं माँ के नयनों की‌ ज्योती हूँ,
पिता के सर का अभिमान हूँ मैं,
मेरे दिल में तस्वीर है उनकी,
उन दोनों की जान हूँ मैं,
दिल में ‌हो जब दर्द गमों का ,
मेरी आँखें जब भी रोती है,
मुस्करा लेती हूँ माता-पिता की मूरत देखकर,
मैं चाहे कहीं भी होती हूँ,
मेरे माता-पिता ने मुझको बिल्कुल,
बेटों के जैसे पाला है,
मेरे जीवन का हर पल उन्होंने,
अपने प्यार के रंग में रंग डाला है,
उनके दिल में बसी हूँ मैं धड़कन बनकर,
माता-पिता का लहू दौडता जिगर में है मेरे,
आसमान को मैं छूने चली हूँ,
पाँव जमीं पर हैं मेरे,
मैं हिन्द की बेटी हूँ माँ,
मेरे अंदर संस्कार बोलते हैं तेरे,
*      *       *       *        *
मैं माँ के दिल पर राज करूं,
पिता की लाडली हूँ ज्यादा,
माँ के संस्कारों का मैं मान करूं,
मैं करती हूँ ये एक वादा,
मैं उड़ने लगी हूँ जब से,
इस खुले आसमान में,
मेरे सपनों में रंग भरने लगे हैं,
सच कहती हूँ ईमान से,
अपने पाँव पर हो जाऊं खडी,
मैं घर की उठाऊं हर जिम्मेदारी,
इतनी मैं हो जाऊं बड़ी,
बेटा बनकर रहूं मैं माँ का,
नाम करूं ऊंचा उनका, 
मैं फर्ज निभाऊं अपने सारे,
सीखा है चलना हाथ पकड़कर मैंने जिनका,
मुझे हर पल ख्याल है माता-पिता का,
जो राह देखते घर पर हैं मेरे,
आसमान को मैं छूने चली हूँ,
पाँव जमीं पर हैं मेरे,
मैं हिन्द की बेटी हूँ माँ,
मेरे अंदर संस्कार बोलते हैं तेरे,
*   *      *       *       *















































Saturday, 16 December 2023

सिर्फ माँ: एक प्यारी सौगात (Sirf Maa:ek pyari saugaat)


मेरी भीगी आँखों का पानी,
कभी करता कोई शोर‌ नहीं,
जो मेरी दुखती रग को पहचानें,
*       *         *        *       *
माँ अपने बेटे को प्यार करती हुई
सिर्फ माँ: एक प्यारी सौगात (Sirf Maa:ek pyari saugaat



माँ से ज्यादा प्यार करे,
हर कोई उसकी वसीयत को,
सर आँखों पर रखिए सदा,
माँ की दी नसीहत को,
सीने से लगाकर रखती है,
किसी और को कुछ कहने ना दे,
हर पल रहे मेरी ढाल बनाकर,
माँ का प्यार नेक है‌ सबसे,
मुझको तन्हा कभी रहने ना दे,
क्या मांगू भला और मैं रब से,
अपने प्यार के रंग में रंग दे,
मेरा रोम- रोम माँ,
इस कदर समाई है उसके प्यार की खुशबू,
मुझको दिखाई दे हर ओर है माँ,
उसके जैसी इस दुनिया में,
प्यार की‌ कोई डोर नहीं,
मेरी भीगी आँखों का पानी,
कभी करता कोई शोर‌ नहीं,
जो मेरी दुखती रग को पहचानें,
*       *       *          *         *
मुझ पर प्यार लुटाए बेसुमार,
तेरे बिन माँ मेरा जीवन है अंधकार,
तुम हो नदियां के पानी के जैसी,
जिसका कोई छोर नहीं,
माँ का दिल है एक समन्दर,
जिसमें नफरत का कोई शोर नहीं,
तेरे आँचल का सहारा मुझको,
माँ मिलता रहें जीवन भर,
हर दिन करूं गुणगान तेरा,
सदा करता रहूं तेरा आदर,
बंद आँखों से जान ले,
मेरे मन मन्दिर का भेद तूं माँ,
मेरी झोली में डाल कर रखती,
सारे जहां की खुशियां तूं माँ,
अपना सूख -चैन भूलकर,
कैसे तुम ने मुझे पाला है माँ,
तेरी ममता का कोई मोल नहीं,
तेरा प्यार सब से निराला है माँ
उंगली पकड़कर तेरी चलना,
तेरा बांहों में जकड़कर मुझको रखना,
उस दौर जैसा अब दौर नहीं,
मेरी भीगी आँखों का पानी,
कभी करता कोई शोर‌ नहीं,
जो मेरी दुखती रग को पहचानें,
वो मेरी माँ के सिवा कोई और नहीं,
*       *        *        *        *
मैं मांगू उस रब से मन्नत,
हर जन्म जुडे मेरा तुझ से नाता,
तुम हो एक शिक्षक के जैसे,
तुम्हारी तरह मुझे कोई और नहीं समझता,
तुम हो प्राणों से प्यारी,
तुम में बसती है जान हमारी,
रब के जैसे है तेरा सहारा,
माँ तुम हो अभिमान हमारा,
इस दुनिया की भीड़ में,
तेरे आँचल जैसा सकून कहाँ,
उस घर में रहता खुशियों का मेला,
माँ की पूजा होती है जहाँ,
मेरा बचपन बीता है जिस गोद में,
मैं दोनों हाथ जोड़कर करूं प्रणाम माँ,
तेरे संग है मेरे जीवन में उजाला,
हर शाम लगे मुझे सुहानी,
मेरी सांसें है करजाई तुम्हारी,
माँ पूरी करे मेरी हर मनमानी,
माँ तुझ से ज्यादा इस दुनिया में,
मुझको समझता कोई और नहीं,
मेरी भीगी आँखों का पानी,
कभी करता कोई शोर‌ नहीं,
जो मेरी दुखती रग को पहचानें,
वो मेरी माँ के सिवा कोई और नहीं,
*      *       *       *      *     *


























































Friday, 15 December 2023

पिता का आशीर्वाद (pita ka aashirwad)

बिन बोले पिता प्यार जताए,
हर घड़ी मेरा हौंसला बढाए,
मेरे सर पर रखता छाँव सदा,
*       *        *        *      *       *

पिता अपने बेटे को प्यार करता हुआ
पिता का आशीर्वाद (pita ka aashirwad)

मेरे जैसा कोई नहीं जहां में,
पिता हर घड़ी मुझको ये बताता है,
वो मुझको बांहों में उठाकर,
प्यार जताए कभी-कभी पर,
मुझ पर बेपनाह प्यार लुटाता है,
पिता थोड़ा गर्म स्वभाव का लगता है,
वो ख्याल रखता सबका है,
मेरे सपनों में रंग भरने के लिए,
दिन-रात रहता भागता है,
मैं रात को सकून से सोता हूँ,
वो रात -रात भर जागता है,
माफ़ करें हर घड़ी मुझको,
चाहे कितनी ही बडी भूल हो मेरी,
वो हर घड़ी मांगता है मन्नतें,
सब दुआंए कबूल हों मेरी,
पिता का दर्जा ईश्वर से ऊंचा,
मैं हर काम शुरू करता हूँ अपना, 
लेकर उस ईश्वर का नाम सदा,
बिन बोले पिता प्यार जताए,
हर घड़ी मेरा हौंसला बढाए,
मेरे सर पर रखता छाँव सदा,
*      *        *         *        *
बड़े नशीबों वाले होते हैं वो लोग जहां में,
जो रहते हैं हर घड़ी,
अपने माता-पिता की पनाह में,
फूलों की खुशबू के जैसे,
खुशबू उसके प्यार में हैं,
ऊपर चाहे दिखता सख्त है वो,
पर नमी उसके व्यवहार में हैं,
इस जहां की सारी खुशियां,
मेरे पाँव के नीचे रहती हैं,
इस मौसम की गर्म हवाएं,
मुझसे दूर होकर बहती है,
मेरे जीवन की डोर है जब तक,
मेरे पिता के हाथों मे,
एक जादू सा छाने लगता है,
उसके मुख से निकली बातों में,
वो‌ प्यार का सागर है मेरा,
मैं हूँ उसका एक मोती,
मैं हूँ उसके दिल की धड़कन,
वो मेरे नयनों की‌ ज्योती,
उसके संग हो मेरा हर सवेरा,
ना हो वो कभी मुझसे जुदा,
बिन बोले पिता प्यार जताए,
हर घड़ी मेरा हौंसला बढाए,
मेरे सर पर रखता छाँव सदा,
मैं लेता हूँ दुआंए उसके छूकर पाँव सदा,
*       *         *        *         *
जब भी देखा है पिता को,
हर वक्त हंसते पाया है,
मेहनत है खुशियों की चाबी,
मुझको हर वक्त ये ही समझाया है,
मजबूत बनाया है मुझको,
इसलिए गमों से लडना सिखाया है,
मेरी उंगली थामे रखता है,
मेरी हंसी में वो हंसता है,
उसके चेहरे में उस ईश्वर का चेहरा बसता है,
प्यार झलकता है उसकी,
छोटी -छोटी डांट और फटकार में,
हर सपना पूरा होता है उसकी सरकार में,
हौसले रखता सदा बुलंद पिता,
घर में सबकी पहली पसंद पिता,
उसका सहारा है जब तक,
मेरे पड़ते सीधे दांव सदा,
बिन बोले पिता प्यार जताए,
हर घड़ी मेरा हौंसला बढाए,
मेरे सर पर रखता छाँव सदा,
मैं लेता हूँ दुआंए उसके छूकर पाँव सदा,
*       *        *       *       *        *










































Wednesday, 13 December 2023

"जीवन के रंग (jeevan ke rang )

एक कांटा भी ना लग पाया,
कभी मेरे नंगें पाँव में,
मेरे माता-पिता की छाँव में,
*    *      *      *       *
माँ अपने बेटे को प्यार करती हुई



मैं चलता था जब कभी नंगें पाँव,
सब कांटे हटा देते थे मेरी उन राहों के,
देखकर मेरी आँखों में आंसू,
मेरे माता-पिता हार पहना देते थे,
अपनी दोनों बांहों के,
चलते-चलते ना रुक जाऊं,
मुश्किलें के आगे ना झूक जाऊं,
इस बात का रखते थे वो ध्यान बहुत,
मुझे आँचल में छूपाकर रखते थे,
हर मुश्किल का हल बताकर रखते थे,
मैं हो जाता था जब कभी परेशान बहुत,
राहें हो चाहे मुश्किल बहुत,
चेहरे पर हो मुस्कान सदा,
इरादे नेक हों दिल में तो,
ऊपरवाला रहे मेहरबान सदा,
ये पाठ पढ़ाते थे सदा,
जब भी पाँव रखना जीवन की नांव में,
एक कांटा भी ना लग पाया,
कभी मेरे नंगें पाँव में,
मेरे माता-पिता की छाँव में
*     *       *      *       *
मात-पिता का जब साथ होता है,
हर दिन एक नया एहसास होता है,
मात-पिता के सामने हम होते नहीं कभी बड़े,
फूल जाता था मैं ये देखकर की,
मात-पिता हरदम मेरे साथ हैं खड़े,
मिल-जुलकर रहते थे,
जब हम-सब एक ही छत के नीचे,
निडर होकर रहता था मैं,
अपनी दोनों आँखों को मीचें,
मेरे हाथों में हथकड़ियां थी,
उन दोनों के प्यार की,
मेरे चेहरे पर छाई रहती थी,
हर रोज एक न‌ई बहार थी,
मात-पिता ने मेरे सपनों को रंग दिया,
अपनी मेहनत के रंग से,
मैंने सीखा है जीवन में हर पल,
उनके जीने के ढंग से,
हर कोई कायल है उनका,
हमारे प्यारे से गाँव में,
एक कांटा भी ना लग पाया,
कभी मेरे नंगें पाँव में,
जब तक मेरा जीवन गुजरा,
मेरे माता-पिता की छाँव में,
*     *     *     *     *
जब हम खुद मात-पिता बन जाते हैं,
तब मात-पिता की बातें याद आती है,
हम गुजारते हैं जब बिन सोए रातें,
तब मात-पिता की वो रातें याद आती है,
उनके संग रिश्ता हमारा,
जैसे मछली संग पानी का,
मोल नहीं कोई उनके प्यार का,
जो कभी गुस्सा नहीं करते थे,
हमारी किसी भी नादानी का,
मेरे जीवन का रोम -रोम,
रंगा है उनके प्यार में,
उनके जैसा मार्गदर्शन करने वाला,
कोई दुजा नहीं इस संसार में,
मेरी दुखती रग पल में,
वो पहचान जाते हैं,
मेरी हर बात वो मान जाते हैं,
मात-पिता की छवि झलकती है मेरे हर काम में,
एक कांटा भी ना लग पाया,
कभी मेरे नंगें पाँव में,
जब तक मेरा जीवन गुजरा,
मेरे माता-पिता की छाँव में,
*     *      *      *      *

creater-राम सैणी