Tuesday, 30 January 2024

माँ की ममता का कोई मोल नहीं (maa ki mamta ka koi mol nahin )

मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*      *       *        *       *
माँ बच्चों के साथ खेलती हुई
माँ की ममता का कोई मोल नहीं (maa ki mamta ka koi mol nahin )




हर किस्सा अनमोल है माँ का,
मैं कितने सुनाऊं उस के किस्से,,
माँ अपने सर ले लेती थी एक पल में,
जब भी कोई ग़म आया है मेरे हिस्से,
माँ प्यार करे बेइंतिहान मुझको ,
घेरा बनाकर अपनी बाहों का,
चमकते सूरज की रौशनी बनकर बिखर जाती है,
दूर करती है अंधेरा मेरी जीवन की राहों का,
चलते- चलते जब मैं थक जाता था,
मुझे अपनी गोद में लेती थी उठा,
हर पल रखती थी नजर मुझ पर,
माँ तो बस माँ होती है,
इसलिए होती है माँ सबसे जुदा,
जब लगता हूँ मैं माँ के सीने से,
ऐसे लगता है जैसे मैंने ईश्वर को छूआ,
माँ रूठे चाहे मुस्कराए,
मेरे लिए निकले हर पल,
माँ के प्यारे मुख से दुआ,
मुझे रखती थी माँ पलकों पर बिठाकर,
जैसे यशोदा माँ का नंदलाला है,
मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*       *        *         *       *
मुस्कराती थी माँ सुनकर मेरी बातें,
मेरे गीले बिस्तर पर माँ की,
जागकर गुजरती थी अंधेरी रातें,
माँ को ना जाने ईश्वर ने,
किसी मिट्टी से उसे बनाया है
सबका ग़म नजर आता है माँ को,
पर अपना ग़म ना किसी को बताया है,
गलती से भी मेरे पाँव में,
लग जाती थी ठोकर कभी,
लगाकर अपने प्यार का मरहम,
ठीक कर देती थी पाँव को छूकर तभी,
माँ के हिस्से में सुख के पल बहुत कम आए हैं,
जैसे भी पल आए हों जीवन में,
हर पल हंसकर बिताए हैं,
मेरा डर दूर करने के लिए,
माँ मुझको हवा में उछालती है,
हाथों में लेकर मुझको माँ,
गिरने से पहले संभालती है,
माँ ममता की छाँव है,
माँ से ही घर में उजाला है,
मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*      *      *        *        *
तेरी ममता का कोई मोल नहीं,
तुम ईश्वर की निशानी हो,
दानवीर बहुत हैं इस जहान में,
पर शायद माँ तुम से बड़ा कोई दानी हो,
कुछ यूं रच-बस गई है माँ,
तस्वीर तुम्हारी मेरे सीने में,
जीवन का सच्चा सुख है माँ के साथ जीने में,
तुम्हारे कदमों में बिखरी,
इस जहान की खुशियां तमाम हों,
मेरी हर प्रार्थना में शामिल मेरी माँ का नाम हो,
माँ चलती रहेंगी जब तक सांसें तुम्हारी,
हाथ थामकर रखुंगा मैं हर पल,
तुम्हारी दुआओं के बिना,
जीवन नहीं हो सकता मेरा सफल,
माँ-बेटे का रिश्ता इस जहान में,
सबसे प्यारा है,
ईश्वर के बराबर स्थान है तुम्हारा,
माँ ही मेरे जीवन की पहली पाठशाला है,
मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया,
जिस माँ की गोद में होश संभाला है,
सच में माँ की ममता का कोई मोल नहीं,
मुझे महकते फूलों के जैसे पाला है,
*      *      *        *        *










































































Sunday, 28 January 2024

श्रवण-सा बेटा (sharvan sa beta )

माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
*      *        *         *        *
श्रवण कुमार अपने मात -पिता को ले जाते हुए
 श्रवण-सा बेटा (sharvan sa beta )



अपने कीमती वक्त में से थोड़ा वक्त निकालकर,
माता-पिता के साथ बातें करें जमकर,
दुसरों के लिए एक मिसाल बने,
पहले खुद दिखाएं एक श्रवण सा बेटा बनकर,
शायद हर बेटा ना बन पाए,
श्रवण के जैसा महान,
पर माता-पिता का घर में,
हम कर सकते हैं सम्मान,
जिसने माता-पिता के लिए,
अपना पूरा जीवन किया कुर्बान,
पर श्रवण की बस्ती थी,
अपने माता-पिता में जान,
माता-पिता की हर इच्छा,
श्रवण कुमार ने की है पूरी,
सोचकर देखना एक पल कभी,
माता-पिता के बिन ज़िंदगी है हमारी अधूरी,
जीते -जी करें उनका आदर -सत्कार,
इससे पहले की लम्बी नींद की,गोद में ,
माता-पिता ना सो जाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
*       *        *        *       *
 माता-पिता का‌ सेवक बनकर,
श्रवण के जैसे हम जिम्मेदारी उठाएंगे,
उठाएं ये सौगंध अगर,
हम बेटे का फर्ज सच्चे दिल से निभाएंगे,
उम्र के इस पड़ाव पर माता-पिता को,
हर पल जरूरत हमारी है,
ये ठान लें दिल में हम सब,
अपने माता-पिता से बढ़कर,
और कोई चीज ना हमको प्यारी है,
माता-पिता के चरणों में बैठने का,आँ
हर रोज लीजिए आंनद,
महसूस कीजिए माता-पिता के  प्यार की सुगंध
उनकी बुढ़ी आँखें देखती है,
हर पल हमारी ओर,
अपने हाथों में बच्चे थाम लें,
हमारे जीवन की डोर,
धन-दौलत नहीं चाहिए,
बस हों प्यार के दो मीठे बोल,
पास बैठकर दुख-सुख बांटे ,
ताकि हम चैन की नींद सो पाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण-सा बेटा पैदा हो जाए,
*       *         *       *       * 
हर पल माता-पिता की फ़िक्र हो
जुबान पर हर घड़ी उनका जिक्र हो,
बोझ ना माने जन्मदाता को,
याद रखें सदा उस विधाता को
हर खुशी में हों शामिल उनकी,
उनके हर ग़म को लगाएं सीने से,
ये आसमान से उतरे दो फ़रिश्ते,
एक पल भी दिल ना लगे,
माता-पिता के बिन ज़ीने में,
बेटा हो तो श्रवण के जैसा,
सब फीके हैं इस दुनिया के,
चमकते हीरे -जवांरात और पैसा,
रात-दिन एक किया जिस माता-पिता ने,
हमारे जीवन में लाने के लिए खुशियों की बहार,
बस इतना ध्यान रहे सदा,
बुढ़ापे में ना हों वो ठोकरों के शिकार,
माता-पिता के अनमोल प्यार की ,
सदा अपने दिल में लौ जगाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण-सा बेटा पैदा हो जाए
*       *         *       *       *










































Friday, 26 January 2024

पिता के प्यार की गहराई (pita ke pyar ki gahrai )

मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
*       *         *       *        *


पिता और पुत्र मुस्कराते हुए
पिता के प्यार की गहराई (pita ke pyar ki gahrai )


उसके हाथों में है एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकलती है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
*       *        *        *        *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो और,
आने वाला हर पल,
राम जाने पिता भी ,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक-दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*      *         *         *         *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी पिता ने हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*       *       *         *        *

















































मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।         *।       *।        *
उसके हाथों में है  एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकली है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।        *।        *।        *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो, और,
आने वाला हर पल,
पिता भी राम जाने,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक -दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।      *।         *।         *।         *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को
















































मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।         *।       *।        *
उसके हाथों में है  एक रूखापन,
उसके प्यार में हैं एक अपनापन,
खुशियों की रहती है घर में चहल-पहल,
पिता बिन लगता है घर में एकदम सूनापन,
उसके हाथों को जब -जब भी मैंने छूआ,
देखकर पिता के हाथों का रूखापन,
मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ,
पिता का साया हर घर में रहे,
मेरे मुख से निकली है बस ये ही दुआ,
अपनी नहीं कोई फ़िक्र उसे,
बाकी वो सब को संभाले,
गर्मी, सर्दी या हो बरसात,
हर मौसम की मार सहे वो,
ये बताते हैं उसके हाथों के छाले,
माँ बहुत रहती हैं परेशान,
देखकर उसके चेहरे पर गम के निशान,
धीरे से जब कभी वो मुस्कराए,
उसको देखकर हमारी जान में जान आए,
पिता अपनी हर ख्वाहिश मार लेता है,
देखकर हमारे हालातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।       *।        *।        *।        *
पिता झट से ढूंढ लेता है,
हमारी हर परेशानी का हल,
पिता करता है ये ही कोशिश,
हमारा आज भी सूनहरा हो, और,
आने वाला हर पल,
पिता भी राम जाने,
कैसी किस्मत लिखवाकर आया है ,
आराम करने का एक -दो पल,
उसके जीवन में बड़ी मुश्किल से आया है,
खुशियों का मेला हो या ग़म का दौर आए,
पिता तपकर हालातों की भट्ठी में,
पहले से ज्यादा और चमक जाए,
पूरा करके ही दम लेता है पिता,
जब वो कोई चीज मन में ठान लेता है,
वो बातों ही बातों में,
हम सब के मन का भेद जान लेता है,
हम बड़े गौर से देखते हैं,
उसकी आँखों की चमक,
प्यार से सुनते हैं उसकी प्यारी बातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को,
*।      *।         *।         *।         *
हमारी नज़रों में मशहूर है वो,
मेरी माँ की मांग का सिंदूर है वो,
घर से दूर हो सकता है वो,
पर हमारे दिल से नहीं दूर है वो,
पिता हर घड़ी हमारे लिए हाजिर रहता है,
परवाह नहीं कोई करना,
ये हर घड़ी पिता कहता है ,
अपनी मेहनत की खाता है सदा,
ज्यादा मिले या थोड़ी,
किस्मत वालों को ही मिलती है,
हंसती मुस्कुराती माता-पिता की जोड़ी,
हम सबका वो रखवाला है,
उसकी आँखों में एक ज्वाला है
हर काम सिरे चड जाता है,
जिस काम में भी हाथ डाला है,
पिता रखता है हमको बनाकर अपनी जान,
पिता का साथ है जैसे ईश्वर का हाथ,
वो यूं ही नहीं बन जाता महान,
हम दिल में सजाकर रखते हैं,
पिता की अनमोल सौगातों को,
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह,
अपने पिता के हाथों कों,
उसकी आँखें रहती है लाल हर पल,
शायद वो अब भी जागता है रातों को
















































Wednesday, 24 January 2024

संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv)



दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
*      *       *         *
बेटी हाथों में दहेज लिए
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv)



बिस्तर बर्तन और कीमती गहने,
हम खरीद कर भी ला सकते हैं,
पर इन सब चीजों से परिवार में,
सच्चा सुख नहीं पा सकते हैं,
दहेज बिन शादी नहीं
ये ही आजकल बहुत लोगों की है मनसा,
कुछ स्वार्थी लोग सोचते हैं,
दहेज है सब रोगों की दवा,
बिन दहेज शादी करने की,
कौन करेगा पहल यहाँ,
बिन दहेज की बहु आएगी ये सुनकर,
कंई लोगों का दिल जाता है दहल यहाँ,
दहेज की भला को दिल से भूलाकर,
नई बहू को रखिए दिल से लगाकर,
दहेज के लिए दिल में ना पालें ग़म,
दहेज के ताने मारकर,
ना कीजिए न‌ई बहु की आँखों को नम,
किसी की बेटी को रूलाना,
इस दुनिया में सबसे बड़ा है पाप,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
*     *       *       *       *
मैंने अपनी बेटी को दिए हैं अच्छे संस्कार,
विद्या धन है पास उसके,
जो बनकर रहेगा सदा उसका पहरेदार,
परिवार को रखेगी सदा जोड़कर,
हर छोटे-बड़े का करती है आदर-सत्कार
दिल से करती है मेहमानों का स्वागत,
व्यवहार है सबसे उसका मिलनसार,
मैंने अपनी बेटी को लडना सिखाया है,
अच्छे -बुरे हालातों से,
सबका मन मोह लेती है,
वो अपनी मीठी बातों से,
परिवार के साथ चलेगी,
कदम से कदम मिलाकर,
बचपन से सिखाया है उसको,
घर को मानती है वो एक मंदिर
ये सब बार -बार समझाया है उसको,
मन में नहीं रखती कोई रंजिश,
सबको कर देती है वो एक पल में माफ़,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप,
*      *        *       *
धन-दौलत से मत तोलिए,
किसी की प्यारी बेटी को,
कैसा महसूस होगा हमको,
जब कोई रूलाए हमारी बेटी को,
बहु को रखिए बेटी बनाकर,
कीजिए उसका सम्मान सदा,
मुस्करा कर रहेगी जो बहु घर में,
उस घर पर मेहरबान रहेगा भगवान सदा,
एक बाप ने सौंप दिया है आपको,
अपने जीवन का सबसे कीमती गहना,
वो बनकर दिखाएगी बेटी आपको,
आप भी उसके माता-पिता बनकर रहना,
दहेज है एक बूरी भला ,
ये जान लेंगे जिस दिन,
बहु है बेटी हमारी ये मान लेंगे जिस दिन,
खुशियों भरा होगा घर हमारा,
बिन दहेज के शादी करने की,
पहल कीजिए खुद आप,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप
*      *    *       *


























Monday, 22 January 2024

नयनों की ज्योति (naynon ki jyoti )

तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
*      *       *        *       *       *

बेटा अपनी माँ के साथ बैठा हुआ
नयनों की ज्योति (naynon ki jyoti )


माँ तेरे प्यार की माला में ,
जुडा है हर रंग का मोती,
मुझे बड़ा सुकून मिलता है,
जब तुम चैन की नींद हो सोती,
तन-मन से हर रिश्ते को,
तुम सदा निभाती आई हो,
हमको दिया है एक उजला -सा जीवन,
तुम हमारी बनकर रहती सदा परछाई हो,
तुम ने ऐसे रंगा है अपने प्यार के रंग में,
मैं इस रंग को छुड़ाऊं तो कैसे,
मुझे दुनिया में लाने के लिए,
जो दर्द सहा था एक दिन तुम ने,
मैं उस दर्द का मोल चुकाऊं तो कैसे,
तुम्हारे हाथ हैं जादु की एक पुड़िया,
छूते ही मेरे हर दर्द को कर देते हैं कम,
अपने प्यारे दो हाथों से सहलाकर,
लगा देती हो अपने प्यार का मरहम,
मैं तुम्हारे दो हाथ बन जाऊंगा एक दिन,
जब तुम खा ना सकोगी,
अपने हाथों से रोटी,
तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
जब कम हो जाएगी तुम्हारे नयनों की ज्योति,
*     *        *         *        *         *
ईश्वर के इस रूप को माँ रूपी स्वरूप को,
मैं सदा सहारा बन कर रहूंगा उसका,
जीवन में छाँव हो चाहे धूप हो,
माँ कभी नहीं रूठा करती,
चाहे हर कोई हम से रूठ जाए,
माँ रखती है सदा सर पर हाथ,
जब तक उसके सांसों की डोरी ना टूट जाए,
माँ को रखना सदा काँच के जैसे संभालकर,
वो मिलती है जीवन में एक बार,
सबको नहीं मिलता यहाँ माँ का आंचल,
माँ बिन सूना है सारा संसार,
बचपन की मेरी यादों में,
तेरी प्यारी -प्यारी बातों में,
मेरे मन को आराम मिलता है,
तुम्हारा प्यारा मुख देखने का सौभाग्य,
मुझे हर सुबह हर श्याम मिलता है,
मैं  बन जाऊंगा एक दिन पानी की शीतल बूंदें,
जो तुम्हारे पावन चरणों को सदा रहे धोती,
तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
*       *         *         *         *        *
जब तुम्हारे दो नयन हो जाएंगे कमजोर माँ,
जब होने लगेगा धीरे धीरे,
तुम्हारी प्यारी बातों का कम शोर माँ
मैं धड़कन बन जाऊंगा दिल की तुम्हारी,ऐ
तुम चलोगी जब धीरे धीरे,
मैं बन जाऊंगा लाठी तुम्हारी,
मैं पूरी शिद्दत से निभाऊंगा माँ,
एक बेटे की जिम्मेदारी,
नींद तुम्हारे नयनों से जब होने लगेगी कम,
मैं बनकर हवा एक शीतल झोंका,
पास रहूँगा तुम्हारे हरदम,
थकान तुम्हारे चरणों को,
जब होने लगेगी हर रोज़ माँ,
मैं लगाऊंगा मरहम अपने प्यार का,
तुम्हारे चरणों को हर रोज मां,
मैं बन जाऊंगा तुम्हारा मखमल का बिस्तर,
जिस पर तुम चैन की नींद रहो सदा सोती,
तुम हो प्यार की एक माला माँ,
मैं हूँ उस माला का एक छोटा सा मोती,
मैं तुम्हारे नयन बन जाऊंगा एक दिन,
जब कम हो जाएगी तुम्हारे नयनों की ज्योति,
*       *         *          *        *        *

















Saturday, 20 January 2024

सच्चा साथी माँ (sachha saathi maa )

वो कभी नाप-तोल नहीं करती,
तुम रखना जिस हाल में भी मुझको मै रह लूंगी,
माँ हूँ ना कुछ बोल नहीं सकती,
*     *      *      *        *


बेटा अपनी माँ से प्यार करता हुआ
सच्चा साथी माँ (sachha saathi maa )


जीता हुआ सब हारकर,
तूम पर सब कुछ वार कर,
माँ खुश हो जाती है,
तुम्हारे लिए पसीना अपना बहा कर,
तुम्हारे भले के लिए ईश्वर से दुआ कर,
एक छोटी सी मुस्कान पर तुम्हारी,
दिल से फिदा हो जाती है,
ना हीरे -मोतियों की चाह उसे,
कोई हर वक्त कहकर पुकारे बस माँ उसे,
यही उसका छोटा सा एक सपना है,
एक छोटा-सा घर हो,
अपनों का साथ हर पल हो,
माँ माने जो ना मिले वो खेल है किस्मत का,
मिल जाए जो प्यार से वो ही बस अपना है,
माँ के प्यार की खाली जगह,
किसी और के प्यार से नहीं भर सकती,
वो कभी नाप-तोल नहीं करती,
तुम रखना जिस हाल में भी मुझको मै रह लूंगी,
माँ हूँ ना कुछ बोल नहीं सकती
*       *          *        *
सब चीज का बंटवारा तुम कर सकते हो,
एक माँ के प्यार को छोड़कर,
ईश्वर भी रखता है उसकी बांह पकड़कर ,
जो रखता है माँ से नाता जोड़कर,
माँ के चेहरे की चमक हो ना कभी कम,
उसके चेहरे पर ना आएं ग़म की लकीरें,
आँखें उसकी कभी ना हों नम,
वो‌ कभी शिकवा-शिकायत नहीं करती,
एक वो ही हैं जो दिल से हमारी परवाह करती,
बेशक तुम उडना इस खुले आसमान में,
चाहे तुम कहीं भी रहो इस जहान में,
दो आँखें करती रहती है इंतजार तुम्हारा,
उस माँ का ध्यान रखना ये फर्ज है हमारा,
जीवन में छू लेना हर उंचाई को,
पर अपनी नेक कमाई को,
स्पर्श करा देना उस माँ के हाथों का,
जो कभी हिसाब नहीं मांगती,
तुम्हारे लिए जागकर बिताई उन रातों का,
माँ के दिल के दरवाजे खुले हैं सदा तुम्हारे लिए,
वो किसी बात के लिए कभी मना नहीं करती,
माँ करती है प्यार कितना,
वो कभी नाप-तोल नहीं करती,
तुम रखना जिस हाल में भी मुझको मै रह लूंगी,
माँ हूँ ना कुछ बोल नहीं सकती,
*      *        *      *      *
माँ जब भी बोलती है,
तुम्हारे भले के लिए ही मुंह खोलती है,
वो गुस्से में भी कोई बोले बात अगर,
ऐसा लगता है मानों कोई आसमान से उतरी,
उस ईश्वर की नेक रूह बोलती है,
माँ का ग़ुस्सा है कोई एक-दो पल का,
हर उपाय है माँ के पास,
हमारी हर समस्या के हल का,
बड़ी प्यारी लगती है‌ माँ हंसती मुस्कुराती,
वो ही जो हम पर अपना,
सच्चा हक है जताती,
मेरी हर पसंद को मेरी सांसों की गन्ध को,
जान लेती है मेरे बिन बोले वो,
मुझे गोद में उठाकर अपने आँचल में छूपाकर,
अपनी मिस्री सी जुबान से,
मेरे जीवन में हर पल रस घोले वो,
माँ का प्यार है खरा सोना,
इस जहान में कोई भी चीज,
माँ की ममता से अनमोल नहीं हो सकती,
माँ करती है प्यार कितना,
वो कभी नाप-तोल नहीं करती,
तुम रखना जिस हाल में भी मुझको मै रह लूंगी,
माँ हूँ ना कुछ बोल नहीं सकती,
*       *        *         *
creater-राम सैणी

























Thursday, 18 January 2024

पापा की परी (papa ki pari )

पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा,
*      *       *       *       *

एक पिता अपनी बेटी को बाँहों में लेता हुआ
पापा की परी (papa ki pari )



पढ़-लिखकर मैं कुछ बन जाऊं,
मैं सबसे आगे निकल जाऊं,
ये अरमान है मेरे पापा का,
हर जगह मेरी पहचान हो,
मैं छूती रहूँ नीले आसमान को,
ये अरमान है मेरे पापा का,
नजर‌अंदाज की मेरी हर नादानी,
मुझको बनाया है स्वाभिमानी,
बेटों के जैसे पाला है मुझको,
अपनी नजरों से ना ओझल होने दें,
मुझको कभी ना रोने दें,
बड़े प्यार से संभाला है मुझको,
परियों के जैसे जीती हूँ,
सारे घर में चलता है मेरा राज,
पापा की मुझ में जान बसे,
मैं हंसती तो वो भी हंसे,
अपनी जान बनाकार रखतें हैं,
वो मुझ पर करते हैं हद से ज्यादा नाज,
मेरे घर का मान -सम्मान,
जीवन का आधार है मेरा,
पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा,
*        *        *         *
मैं चूल्हा -चौका भी करती हूँ,
घर के काम में माँ का हाथ बंटाती हूँ,
ये माँ ने सिखाया है मुझको,
माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं,
चूल्हे -चौके में मुझे कोई शर्म नहीं,
अच्छा खाना बनाने से दिल में उतरने का रस्ता ,
ये माँ ने दिखाया है मुझको,
मैं न‌ए जमाने के साथ चलूं,
परिवार में सबसे हंस कर मिलूं,
अपने ‌संसकारों से है प्यार मुझे,
मेरे जीवन के सबसे पहले,मेरे पापा हैं नायक 
मैं सर उठाकर जी सकूं,
मुझको बनाया है इस लायक,
घर में रहती हूँ मैं परियों के जैसे,
सबसे प्यारा परिवार है मेरा,
पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
मैं हूँ अपने पापा की परी,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा
*      *        *       *
मैं बेटी हूँ बोझ नहीं,पापा बनाकर रखते हैं ,
अपने सर का ताज मुझे,
चूल्हा-चौका करतीं हूँ मैं खुश होकर,
इससे नहीं कोई एतराज़ मुझे,
हर काम में हाथ बंटाना,
मिल बैठकर सबके संग खाना,
ये ही है घर की रीत हमारे,
हंस-बोलकर हर पल रहना,
थोड़ा कहना थोड़ा सहना,
ऐसे ही बिखरा रहता है,घर में संगीत हमारे 
मैं काम-काज से जी ना चुराऊं,
इसलिए सबके दिल में समाऊं,
माँ के पैमाने पर उतरती खरी हूँ मैं,
अपने पापा की परी हूँ मैं,
मन लगाकर पड़ती हूँ 
अपने भाई से थोड़ा लडती हूँ 
माँ-पापा और एक प्यारा भाई,
बस इतना सा संसार है मेरा,
पढ़ना-लिखना पहला अधिकार है मेरा,
सबसे पहले परिवार है मेरा,
मैं हूँ अपने पापा की परी,
चूल्हे -चौके से भी प्यार है मेरा,
*       *      *       *       *

















Tuesday, 16 January 2024

आसमानी सितारा (aasmani sitara )

तुम्हारा साथ था माँ कितना प्यारा,
तुम्हारे बिन मेरा कोई और ना सहारा माँ,
किसको अब मैं माँ पुकारूंगा,
*      *        *        *        *        *
बेटा -बेटी सितारों की और देखते हुए
आसमानी सितारा (aasmani sitara )



हर वक्त तुम्हारी यादों में,
मैं खोया रहता हूँ माँ,
रातें जागकर गुजरती हैं मेरी,
दिन में बहता है आँखों से पानी,
देखता रहता हूँ हर पल तस्वीर तुम्हारी,
अपने दिल से लगाकर रखता हूँ माँ,
तुम्हारी हर अनमोल निशानी,
घर में अब भी सुनाई पड़ता है,
माँ तुम्हारे कदमों का शोर मुझे,
कैसे चलता था तुम्हारा आंचल पकड़कर,
आज भी वो आता है याद दौर मुझे,
बिन तुम्हारे सूना है घर हमारा,
सूना है ये सारा संसार माँ,
तुम रखती थी मुझे पलकों पर बिठाकर,
बनकर रहती थी मेरे जीवन की पहरेदार माँ,
तुम्हारे साथ सब रिश्ते थे जिंदा,
तुम बिन अब कोई ना हमारा माँ,
तुम्हारा साथ था माँ कितना प्यारा,
तुम्हारे बिन मेरा कोई और ना सहारा माँ,
किसको अब मैं माँ पुकारूंगा,
*       *        *         *      *        *
माँ की कीमत तब समझ आती है,
जब वो छोड़ दें साथ हमारा,
अनाथ के जैसे लगता है वो पल,
जब छोड़ दें माँ हाथ हमारा,
मेरे दिल के अरमान बह जातें हैं,
आँखों का पानी बनकर ,
माँ की यादें माँ की बातें
माँ के जाने के बाद रह जाती है,
एक कहानी बनकर,
सोते हुए मेरे ख्वाबों में,
तुम आती हो बार -बार माँ,
मैं अचानक उठ पड़ता हूँ,
जब तुम धीरे से छू जाती हो,
मेरे दिल के तार माँ,
जब तुम सर पर रखती हो हाथ मेरे,
सहलाती हो मेरे बालों को,
मैं दौड़कर चड जाता था तुम्हारी गोद में,
तुम चूम लेती थी मेरे गालों को,
कितना था मनमोहक वो नजारा माँ,
तुम्हारा साथ था माँ कितना प्यारा,
तुम्हारे बिन मेरा कोई और ना सहारा माँ,
किसको अब मैं माँ पुकारूंगा,
तुम बन ग‌ई हो आसमान का एक सितारा माँ,
*       *      *        *      *        *
मेरी कलम करती रहेगी,
तेरा हमेशा गुणगान माँ,
मैं जीवन भर करता रहूंगा,
हर माँ का दिल से सम्मान माँ
हर माँ के चेहरे में देखुंगा,
मैं अपनी माँ का चेहरा,
जब भी किसी माँ को देखता हूँ मैं बेबस,
बहुत दिल दुखता है मेरा,
माँ के जैसा किरदार इस दुनिया में,
कोई और नहीं निभा सकता,
माँ की यादों को मेरे दिल से,
कोई और मिटा नहीं सकता,
मेरा रोम-रोम रहेगा,
तेरा हमेशा कर्जदार माँ,
तुम्हारे बताए रस्ते पर,
हमेशा चलने को रहूंगा तैयार माँ,
मैं हाथ बढ़ाऊंगा सबसे पहले,
जब भी मुझे दिखेगी कोई बेसहारा माँ,
तुम्हारा साथ था माँ कितना प्यारा,
तुम्हारे बिन मेरा कोई और ना सहारा माँ,
किसको अब मैं माँ पुकारूंगा,
तुम बन ग‌ई हो आसमान का एक सितारा माँ,
*      *        *        *       *        *



























Sunday, 14 January 2024

पिता की दुआएं (pita ki duaayen )

हर दिन मांगता है पिता दुआएं मेरे लिए,
मैंने भी उसके लिए आज मांगा है रब से 
चाँद के जैसे चमक रहा चेहरा उसका 
ये बोल दिया है पिता से मैंने जब से,
*      *       *        *       *
पिता अपने बेटे के साथ खड़ा हुआ
पिता की दुआएं (pita ki duaayen )




हर घड़ी करता है पिता रब से,
मेरी लम्बी उम्र की दुआएं,
पिता के जैसा कोई साथ निभाए,
ये सब है कोरी अफवांए,
अपनी तकलीफों का जुबान से,
वो करता कभी कोई जिक्र नहीं,
शायद ही कोई पल हो ऐसा,
जिस पल वो करता हमारी फिक्र नहीं,
रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं,
ये उससे बेहतर और कौन जाने,
परिवार के सब मोती,
एक माला में कैसे पिरोए जाते हैं,
ये उससे बेहतर और कौन जाने,
मुझे रखता है हमेशा एक मित्र के जैसे,
मुझ पर करता है भरोसा वो करके आँखें बंद ,
मैं भी वहीं बोलता हूँ जो पिता को है पसंद,
हर वक्त हाँ में सर हिलाते हुए देखा है उसको,
मैंने होश संभाला है जब से,
हर दिन मांगता है पिता दुआएं मेरे लिए,
मैंने भी उसके लिए आज मांगा है रब से 
चाँद के जैसे चमक रहा चेहरा उसका 
ये बोल दिया है पिता से मैंने  जब से,
*       *       *      *       *
बिन बोले पूरी करता है,
हमारी हर एक आरज़ू,
सब चेहरों से अलग दिखता है सिर्फ तूं,
मेरी जिद्द के आगे झुक जाता है हर बार,
मुझे पता है कि वो पूरी करेगा जरूर,
कंई बार मैं भी पीछे कदम हटा लेता हूँ,
देखकर अपने जान से प्यारे पिता को मजबूर,
मेरी खुशियों का राज जुड़ा है आप से,
मैं चलता हूँ करके चौड़ा सीना अपना,
मुझे फक्र है आपसे जुडा है मेरा नाता,
तुम हो आखरी उम्मीद हमारी,
तुम से ही जुड़ा हंसना-गाना,
मरना -जीना अपना,
किस रंग में रंगना है आपको,
मुझको बताओ तो जरा,
शकल -सूरत सब आप से मिलती है मेरी,
मुझको भी अपने जैसा बनाओ तो जरा,
खुद से भी ज्यादा मान-सम्मान मिलेगा,
आपको हम सबसे,
हर दिन मांगता है पिता दुआएं मेरे लिए,
मैंने भी उसके लिए आज मांगा है रब से 
चाँद के जैसे चमक रहा चेहरा उसका 
मेरा रब तूं मेरा सब तूं
ये बोल दिया है पिता से मैंने  जब से,
*      *      *         *          *
घर में फैला रहता है उजाला,
एक आपका प्यारा मुख देखकर,
आप भी उड़ते रहते हो आसमान में,
हम सबका सुख देखकर,
हमारी खुशियों में चार चांद लग जाते है,
जब आप बोलते हो मैं हूँ ना,
आप रहते हो हमेशा ताकत बनकर हमारी,
आप के लिए कोई बोले बुरा,
ये मैं कभी सहूं ना,
हर घर में कायम रहे पिता का साया,
उस इंसान ने सब कुछ इसी जन्म में पा लिया,
जिसने अपने माता-पिता की सेवा का फर्ज,
सच्चे दिल से है निभाया,
परिवार की माला के ये वो मोती हैं,
जिनके बिना अधूरा है हर परिवार,
यहाँ सब कुछ मिल सकता है,
बस मिलता नहीं इनके जैसा प्यार,
हम जानते हैं कितना प्यार करते हैं,
ये हम सबसे,
हर दिन मांगता है पिता दुआएं मेरे लिए,
मैंने भी उसके लिए आज मांगा है रब से 
चाँद के जैसे चमक रहा चेहरा उसका 
मेरा रब तूं मेरा सब तूं
ये बोल दिया है पिता से मैंने जब से,
*      *        *      *       *












































Friday, 12 January 2024

बहू भी है बेटी हमारी (bahu bhi hai beti hamari )

अपनी बेटी है जान से प्यारी,
क्योंकी वो धड़कन है दिल के हमारी
जो छोड़कर आई है अपनी दुनिया सारी,
*      *      *       *
सास और बहु मुस्कराती हुई
 बहू भी है बेटी हमारी (bahu bhi hai beti hamari )


जो उठाए पूरे घर की जिम्मेदारी,
हर काम में दिखाए समझदारी,
सब की देखभाल में जिसका दिन बीते,
जो अपने काम से सबका दिल जीते,
जो अपना एश्यो-आराम,
सब घर पर छोड़कर आई है,
अपने सब कीमती रिश्ते-नाते,
पीछे छोड़कर आई है,
अपनी मीठी बातों से,
सबके दिल में एक जगह बनाई है,
सास-ससुर को माने,
अपने माता-पिता के जैसे,
हर छोटे-बड़े का मान करें,
मेहमानों का दिल से स्वागत करें,
ना किसी को कभी परेशान करे,
दिनभर की थकान हो या,
दिल कभी परेशान हो,
मुंह से कभी ‌उफ ना करें वो बेचारी,
अपनी बेटी है जान से प्यारी,
क्योंकी वो धड़कन है दिल के हमारी,
जो छोड़कर आई है अपनी दुनिया सारी,
*     *       *        *
बहु और बेटी को समझें एक समान,
बेटी है नादान अगर,
तो बहू भी हो सकती है नादान,
बहु के साथ भी कीजिए,
एक बेटी जैसा व्यवहार,
बहु और बेटी दोनों को दीजिए एक जैसा प्यार,,
शुरू- शुरू में होता है,
बहु के लिए हमारा घर अनजान,
अपने परिवार से अलग लग सकता है,
एक न‌ई बहु को हमारा परिवार,
इसी घर को मानेगी एक दिन वो अपना संसार,
बहु को संभलने का इस घर में,
थोड़ा वक्त तो दीजिए,
आप बड़े हो घर में अपने,
आप ही बडेपन की पहल कीजिए,
बहु के संस्कारों का मान करें,
दिल से उसका सम्मान करें 
वो‌ भी लाडली है अपने माता-पिता की,
जैसे हमें बेटी हमारी है ,
अपनी बेटी है जान से प्यारी,
क्योंकी वो धड़कन है दिल के हमारी
जो छोड़कर आई है अपनी दुनिया सारी,
वो बहू भी है बेटी हमारी,
*     *       *       *
जैसा व्यवहार आप बहु से चाहें,
बहु के साथ वैसा ही व्यवहार करें खुद भी,
जो भी बोलें सोच-समझकर,
ऐसे ही ना बोले कुछ भी,
बेटी की हर गलती जैसे माफ़ करें,
वैसे ही बहु के साथ भी इन्साफ करे, 
माता-पिता के जैसे आदर करेगी,
अगर रखोगे उसे बेटी बनाकर,
बहु भी आपके घर में आ‌ई है,
अपने दिल में रंग-बिरंगे सपने सजाकर,
कुछ वक्त के बाद बहु भी संभल जाएगी,
जब वह आपके परिवार में घुल-मिल जाएगी,
हर बात पर रोक -टोक ना कीजिए,
जैसे अपनी बेटी को कभी नहीं रोका,
बहु को भी मिलना चाहिए घर में,
अपनी बात बोलने का पूरा -पूरा मौका,
बहु को भी पलकों पर बिठाकर रखें,
बनाकर रखिए उसकी मान-मर्यादा
परिवार को सारे जोड़ कर रखेगी,
ये बहु की भी है जिम्मेदारी,
अपनी बेटी है जान से प्यारी,
क्योंकी वो धड़कन है दिल के हमारी
जो छोड़कर आई है अपनी दुनिया सारी,
वो बहू भी है बेटी हमारी,
*        *         *        *






























Wednesday, 10 January 2024

गहरा प्रेम पिता संग (gahra prem pita sang )

बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
*      *        *        *       *

बेटा अपने पिता का हाथ पकड़कर जाते हुए
गहरा प्रेम पिता संग (gahra prem pita sang )



अपमान तुम्हारा मैं सह नहीं सकता,
एक पल भी बिन तुम्हारे मैं रह नहीं सकता,
तुम हो मेरे जीवन का अनमोल तोहफा,
माँ की खुशियों की वजह हो तुम,
ये कहे बिना मैं रह नहीं सकता,
बाहर से दिखते हो तुम,
समंदर के खारे पानी के जैसे,
अंदर से दरिया मीठा पानी,
मेरे जीवन की डोर जुडी है तुम से,
तुम ने ही लिखी है मेरे जीवन की कहानी,
परिवार के हर एक छोटे -बडे को,
बनाकर रखा है तुम ने मोतियों की माला,
हम सबके दिल में रहते हो तुम,
बनकर सूरज का उजाला,
मैं अपने दिल के‌ सब भेद बताऊं,
तुम से मैं कुछ ना छूपाऊं,
बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
जब मैं अपने पिता का हाथ बटाऊं,
*      *        *        *        *
मेरी माँ की माँग का सिंदूर हो तुम,
हम सबके सर का गुरूर हो तुम,
दिल के हर कोने में बसते हो तुम,
ना दिल से हमारे कभी दूर हो तुम,
बेटे होते हैं पिता के दिल के हीरे,
पिता की परियां बेटियां होती है,
बेटियों के चेहरे पर ला देता है मुस्कान,
जब भी कभी बेटियां रोती हैं,
हालात अच्छे हों या बुरे,
सबकी मार सदा सहते हो तूम,
परेशान रहती है माँ बहूत,
देखकर परेशान तुम्हें,
पता नहीं किन परेशानियों में,
सदा खोए रहते हो तुम,
तुम दोनों हो मेरे दिल के करीब,
माता-पिता को सदा मैं पलकों पर बिठाऊं
बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
*      *        *        *      *
तुम से ही सीखा है मैंने,
समय की कद्र करना,
मेहनत का फल मीठा होता है,
सीखा है मैंने तुम जैसा सब्र करना,
कर्म करूं मैं नेक सदा,
पलकों पर बिठाए मुझे हर एक सदा,
मेरे दिल को तसल्ली मिलती है,
जब मेरी माँ खिल-खिलाकर हंसती है,
मेरी माँ की जान पिता जी,
सिर्फ आप में ही बसती है,
आपकी वजह से हमारे जीवन में,
छाए रहते हैं खुशियों के रंग,
आपने सींचा है हम सबको,
अपनी मेहनत के संग,
रहे सलामत हर घर में,
पिता की छाया हरदम,
पिता के रहते हम सबको,
छू नहीं सकते कभी कोई ग़म,
आपके सामने हर पल,
मैं अपना सर झूकाऊं,
बोझ पिता के कांधे का,
मैं अपने कांधे पर उठाऊं,
एक दिन आएगा वो लम्हा भी,
जब मैं अपने पिता का हाथ बटाऊं
*       *        *        *        *































Monday, 8 January 2024

पिता का साथ (pita ka sath)

रख हौंसला आगे बढ़ने का ये बोलने वाला,
हमदर्द बहुत मिल सकते हैं मुझको,
पर मेरे पिता से कोई नहीं बडा,
*     *       *       *       *

pita apne bete ke sath chalta huaa
पिता का साथ (pita ka sath)

मेरी हर राह आसान बना दे,
मुझको अपने दिल में जगह दे,
हर घड़ी मुझको होश में लाए,
हार मानकर रूक जाऊं अगर मैं,
मेरे मन में एक नया जोश जगाए,
मेरी हर फरमाइश पूरी करे वो,
मेरी नींद खुलने से पहले,
कब कितना और क्या चाहिए,
ये जानकर पिता ले आता है श्याम ढलने से पहले,
हाथ पकड़कर मुझको हर काम सिखाए,
हर बुरी आदतों से मुझे बचाए,
हर घड़ी करें मेरा मार्गदर्शन,
हमारी ख्वाहिशें पूरी करने में,
बीत जाता है उसका हर दिन,
मेरी जीत में पिता खुशी मनाएं,
मेरी हार में मुझे ना बिखरने दे,
जानकर पिता मेरे मन की बात,
मेरे अंदर के हुनर को निखरने दे,
पिता के साथ मेरा रिश्ता,
जैसे सोने की अंगूठी में कोई हीरा हो जड़ा,
रख हौंसला आगे बढ़ने का ये बोलने वाला,
हमदर्द बहुत मिल सकते हैं मुझको,
पर मेरे पिता से कोई नहीं बडा,
*       *        *        *
नाव मेरी फंस जाए जो कभी मझधार में,
पिता बने जाता है मेरा सहारा,
मेरी नाव का बन जाता है मांझी,
मुझको लगा देता है वो किनारा,
पिता का साया है एक शीतला झरना,
जो मेरे रोम-रोम को शीतल करे,
पिता है तो हम निडर रहें,
उसके साये में फिर क्यों डरना,
पिता का साथ है बेमिसाल,
खुशियों से रखे हमको मालामाल,
पिता का हाथ है सर पर तो,
चाँद-सितारे तोड़ने की हस्ती है मेरी,
उस रब के तोहफे की तस्वीर,
हर वक्त दिल में बस्ती है मेरे,
मेहनत उसकी ताकत है,
उसका दिल है समंदर से बड़ा,
रख हौंसला आगे बढ़ने का ये बोलने वाला,
मेरे साथ हर पल रहे खडा,
हमदर्द बहुत मिल सकते हैं मुझको,
पर मेरे पिता से कोई नहीं बडा,
*      *         *        *      
मैं देखूं पिता को जब भी परेशान,
वो मुस्करा देता है देखकर,
मेरे चेहरे की मुस्कान,
पिता का है  दिल से सम्मान,
उससे जुड़ी है हमारी आन-बान,
महानता की तस्वीर है वो,
ना नहीं है जिसकी जुबान पर,
सर से पांव तक वो जोर लगादे,
खरा उतरता है पिता हर इम्तिहान पर,
परिवार है उसका जग सारा,
परिवार ही है सबसे प्यारा,
उसके जैसी दरियादिली,
कोई और ना दिखा पाएगा,
अपना‌ सब कुछ हार कर,
वो हमको जीता देता है,
पिता ही हमारा सच्चा हमदर्द कहलाएगा,
कदम चूमती है सफलता उसके,
जहां पिता का पांव पड़ा,
रख हौंसला आगे बढ़ने का ये बोलने वाला,
मेरे साथ हर पल रहे खडा,
हमदर्द बहुत मिल सकते हैं मुझको,
पर मेरे पिता से कोई नहीं बडा,
*      *       *       *       *





















Saturday, 6 January 2024

बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)

बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
*      *      *       *        *
माँ अपने बच्चे को देखती हुई
बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)



खेल कूद करते बच्चों को,
जब देखती हूँ मैं अपने आस-पास,
मेरे आंगन में भी खिल जाए कोई फूल,
ये ही सोच -सोचकर मन मेरा,
हर पल रहता है उदास,
बिन बच्चों के एक माँ का,
जीना हो जाता है दुषवार,यहाँ,
बच्चों के संग लगता है हरा-भरा परिवार यहाँ,
हर दिन ये आस लिए,
रब पर एक विश्वास लिए,
मेरे आंगन में भी देगा एक प्यारा -सा फूल,
जैसे रब ने सबको दिए,
एक दिन दो नन्हे पांव की आहट,
मेरे कानों में रस घोलेगी,
कब एक नन्ही सी आवाज,
अपनी मुख से मुझको भी माँ बोलेगी,
रब जाने कब आएगा वो शुभ दिन,
जब मैं उठाऊंगी एक बच्चे की जिम्मेदारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
*       *        *         *        *
बच्चों की मोहिनी सूरत,
मेरे मन को बहुत तडफाए,
बच्चों के बिन रहे मन बेचैन,
मुझे और कुछ समझ ना आए,
बच्चे हैं माँ के चेहरे की मुस्कान,
बच्चों बिन लगे घर वीरान,
अपने हम‌उम्र के लोगों के जब,
 मैं देखती हूँ चेहरे पर मुस्कान,
गोद में उनकी दिखता है,
एक प्यारा सा नन्हा मेहमान,
उनकी और खींचा चला जाए मन मेरा बेचैन ,
माँ करें जी-जान से बच्चे की रखवाली,
एक भी घर ना हो इस दुनिया में,
नन्हे-मुन्ने बच्चों से खाली,
मैं तो आस छोड चूकी थी कब की,
पर रब सुनता है एक दिन सब की,
एक दिन ये काली रातें बदल जाएंगी,
दिन के उजाले में हमारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी,
*     *       *       *       *
हर दिन गुजर जाता है मेरा,
दिल में एक आस जगाए,
आँखों में बसे हैं जो सपने,
कहीं एक दिन वो टूट ना जाएं,
कब से रोक कर रखा है मैंने,
अपनी आँखों का समंदर,
माँ की ममता तडफ रही है,
वर्षों से मेरे सीने के अंदर,
चेहरे पर आएगी एक ,
प्यारी-सी मुस्कान अब मेरे,
मेरी गोद में भी खेले,
एक नन्ही -सी जान ऐ रब मेरे,
उस पल का बेसब्री से है मुझे इंतज़ार,
एक दिन मेरे घर भी लगेगा,
खुशियों का अंबार,
जो है सबके सुख -दुख का साथी,
वो ही पकड़ेगा एक दिन बांह हमारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी,
*     *      *       *       *
creater-राम सैणी































Wednesday, 3 January 2024

समंदर से भी गहरा ( samandar se bhi gahra)

नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
*     *       *         *       *       *

माँ अपने बच्चे को प्यार करती हुई
समंदर से भी गहरा ( samandar se bhi gahra


कोई जान नहीं सका आज तक,
समंदर और माँ के प्यार की गहराई 
दोनों हैं खुद बहुत विशाल, और साफ,
दोनों में दिखती है अपनी ही परछाई,
समंदर का पानी अमृत बनकर,
सबकी प्यास बुझाए,
चलते रहना ही है जीवन,
ये सबको पाठ पढ़ाए,
माँ भी है समंदर के जैसे,
सबको अपने गले लगाए,
कदम-कदम पर हाथ पकड़कर,
जीवन की राहों में चलना सिखाए,
कल,-कल करके बहता है समंदर,
अपने सीने में लाखों अनमोल खजाने छिपाए,
माँ के जैसे रखता है सीने में सब राज दबाए,
उसके के प्यार में नहीं कोई मिलावट,
माँ का प्यार शुद सोना खरा होता है,
नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
*      *        *         *        *
समंदर का बहता पानी,
सबको एक ही पाठ पढ़ाए,
धूप हो छाँव सदा अपनी मस्ती में बहता जाए,
काम नहीं रूकना उसका,
चलते रहना ही जीवन है,
किसी मुश्किल के नहीं झूकना,
माँ भी गूरू बनकर हमें ज्ञान दे,
हमारी छोटी छोटी बात पर माँ ध्यान दे,
मन की बेचैनी हमारे,
पलक झपकते ही जान ले,
माँ का प्यार है एक अनमोल गहना,
सदा माँ के आँचल में ही जीवन बिताना,
मैं मैं सदा निभाऊंगा साथ तेरा,
ये माँ को हर पल याद दिलाना,
माँ का प्यार है वो खजाना,
जिससे बच्चों का जीवन,
हर पल हरा-भरा रहता है,
नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
माँ का प्यार समंदर से भी गहरा होता है,
*      *        *        *        *      *
माँ के प्यार में हैं गहराई,
जिसमें सारी दुनिया की खुशियां हैं समाई,
माँ की गोद में हैं एक करामात,
जिसकी गोद में आकर,
हम भूल जाएं ग़म सारे,
माँ की गोद ईश्वर की सौगात,
उसकी गोद में मिल जाते हैं,
इस नीले अम्बर के चाँद-सितारे,
मेरे चेहरे की चमक देखकर,
आँखें उसकी उसकी खिल जाती है,
मुझको शांत देखकर मानों,
माँ के मन को शांति मिल जाती है,
जिस मिट्टी पर माँ के पाँव पड़े,
उस मिट्टी को करूं प्रणाम,
घर में रहे उसके पाँव की आहट,
सारे जहां की खुशियां ईश्वर करे माँ के नाम,
माँ तेरे साथ रौनक घर की,
तूं है-तो सारा घर खुशियों से भरा होता है,
नींद में सोते हुए बच्चों पर,
माँ की जागती आँखों का पहरा होता है,
सच कहते हैं संत-फकीर,
माँ का प्यार समंदर से भी गहरा होता है,
*       *         *          *          *

creater-राम सैणी