Saturday, 30 September 2023

सपनों का साथी- पिता (sapnon ka sathi-pita)

पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ 
*      *        *        *
माँ अपने बेटे को सीने से लगाती हुई
सपनों का साथी- पिता (sapnon ka sathi-pita)



जो सपने पिता की हसीयत से भी बाहर है,
वो उनको भी पूरा करने का दम रखता है,
मेरी खुशी के लिए पिता जी-जान लगा देता है,
बेशक वो सीने में छुपाकर लाखों गम रखता है,
उसके हाथों की लकीरों में चाहे,
पैसा हो या ना हो पर,
वो मेरी जेब में पैसा हरदम रखता है 
पिता के हौंसले की कहानी बयां करता है,
उसके माथे से टपकता मेहनत का पसीना,
वो कभी हार नहीं मानता है ,
चाहे हालात कैसे भी हों,
क्योंकी उसके पास है उसकी मेहनत का नगीना,
वो दोष नहीं देता कभी ईश्वर को,
अपने हालातों के लिए,
पिता मानता है की इसमें ईश्वर का क्या कसूर है,
पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ ,
*        *         *        *
पिता मेरे सर का सांई है,
पिता के हाथों में बरकत वास करती है,
हम सब का पेट पालती उसकी नेक कमाई है,
सब रिश्ते निभाता है पिता पूरी ईमानदारी से,
उसके किए फैंसले से सब सहमत होते हैं,
पिता हर फैंसला करता है पूरी समझदारी से,
पिता के कान्दे पर बैठकर,
मैंने देखी है दुनिया सारी,
सबको मिले पिता का प्यार ,
जब तक रहे ये संसार,
ये ही ख्वाहिश है हमारी,
तपती धूप हो या घनी छाँव,
कभी रूकते नहीं उसके पाँव,
हर घड़ी लुटाए प्यार हम पर,
वो बिल्कुल भी नहीं मगरूर है,
पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ 
पिता मेरे सर का गरूर है ‌‌।
*      *         *          *
उसके आँखों की बेचैनी,
मैंने पडी हैं कंई बार,
सब ठीक चल रहा है,
पिता मुस्करा कर बता देता है हर बार,
पिता सब गम छुपा लेता है,
अपनी मुस्कुराहट के पीछे 
पिता करके मेहनत जी-जान से,
हमारे पूरे परिवार को सींचें,
जिस मिट्टी से बनाया है ईश्वर ने उसे,
वो मिट्टी कोई खास होगी,
जो चीजें हैं मेरी पहूँच से बाहर,
बस हाथ रखने की देर है उस पर,
देखते ही देखते वो चीज हमारे पास होगी,
आँखों में आंसू हमारी आने ना दे,
खुशियों को हमारा दामन बिन छुए जाने ना‌ दे,
कौन -कौन से किस्से सुनाऊं ,
मैं उसकी दरियादिली  के,
पिता का हर किस्सा मशहूर है,
पिता देखता है सपने आसमान से ऊँचें,
मेरे उन सपनों को वो पूरा करता जरूर है,
आपको पिता कहूँ ईश्वर कहूँ या कहूँ 
पिता मेरे सर का गरूर है ‌‌।
*        *         *       *



























Friday, 29 September 2023

माँ की प्यारी कोख (maa ki pyari kokh )

दुनिया से जाने के लिए कंई रास्ते हैं मगर,
दुनिया में आने के लिए एक ही रास्ता है ,
*     *        *        *

माँ अपने बेटे को सीने से लगाती हुई
माँ की प्यारी कोख (maa ki pyari kokh )


माँ की कोख है मेरा पहला घर,
इसलिए उसकी कोख मुझे,
हद से ज्यादा प्यारी है,
इस कोख के आगे सर झूकता है,
ये तो जान हमारी है,
राम जाने कैसे माँ बिन देखे,
रखती थी ख्याल मेरा,
मेरी भूख -प्यास मेरा हिलना- डुलना,
ना बांका हो एक बाल भी मेरा,
माँ अपने प्यारे हाथों से छूकर,
मेरे दिल की धड़कन जान लेती थी,
ईश्वर पर कर के भरोसा,
सब सही होगा ये मान लेती थी,
माँ का मुस्कराता चेहरा हो सबके पास,
माँ का सहारा हो सबके पास,
माँ बिन जीवन है क्या ये सोचकर मन कांपता है।
दुनिया से जाने के लिए कंई रास्ते हैं मगर,
दुनिया में आने के लिए एक ही रास्ता है ,
*       *       *       *
माँ तेरी कोख का रहूँगा सदा करजाई मैं,
जब तक सीने में प्राण रहें,
ईश्वर के बाद माँ ही ईश्वर है,
इस बात का सदा ज्ञान रहे,
तेरी कोख से  बाहर आकर
मैं जब लग जाऊंगा तुम्हारे सीने से,
सुना है अनंत, निस्वार्थ सुख मिलता है,
माँ के एक पल के छूने से,
नौ महीने का वो जीवन प्यारा,
वो एक -एक पल माँ, मैंने तुम्हारे सहारे गुजारा,
वो था एक अंधयारा -सा जीवन माँ,
तुम्हारी गोद में आकर मुझे उजाला मिला,
मेरा तन-मन है करजाई तुमहारा,
जब तुम्हारे अमृत रूपी दूध का ,
मुझे पहला निवाला मिला,
माँ जिनको चाहिए स्वर्ग का सुख,
माँ के चरणों में सर झुकाने से ही,
मिलता वो‌ रास्ता है,
दुनिया से जाने के लिए कंई रास्ते हैं मगर,
दुनिया में आने के लिए एक ही रास्ता है ,
वो है माँ की प्यारी कोख।
*       *       *        *
माँ के बिन गुज़रेंगे दिन ये सोचना बेकार है यूं ही,
मेरी धड़कन तूं मेरी हिम्मत तूं ,
ईश्वर भी मेरा है तूं ही  ,
माँ मेरा ये जीवन है तेरा उपहार,
मैं कैसे भूल जाऊं माँ तेरा ये उपकार,
मेरे जीवन का एक ही उद्देश्य,
हर घड़ी करूं माँ तेरा सत्कार,
मेरे हाथों की लकीरों में,
माँ दिखती है तस्वीर तुम्हारी,
मैं कैसे भूल जाऊं वो दिन,
माँ जब तुम कराती थी,
बैठाकर अपनी पीठ पर मुझे सवारी,
ईश्वर करे खुशी तुम्हारे चेहरे पर,
हर वक्त यूं ही विराजमान रहे,
जब तक ये धरती ये नीला आसमान रहे,
मैं रहूँगा सदा तुम्हारे चरणों में,
मुझे तुम्हारे दूध का वास्ता है,
दुनिया से जाने के लिए कंई रास्ते हैं मगर,
दुनिया में आने के लिए एक ही रास्ता है ,
वो है माँ की प्यारी कोख।
*        *        *        *



Thursday, 28 September 2023

मात-पिता का दुख (maat pita ka dukh)

जब से बेटा पढ़-लिखकर मशहूर हो  गया,
हम देखते रह गए चेहरा उसका,
*       *         *         *       *        *
एक माँ अपने बेटे को चूमती हुई
मात-पिता का दुख (maat pita ka dukh)



सब इच्छाएं की है परी उसकी,
अपना मन मारकर,
पता नहीं था मात-पिता को,
यूं रख देगा एक पल में,
अपने दिल से उतार कर,
हर पल रखा है उसको फूलों की छाँव में,
ईश्वर पर एतबार कर,
सोचा था एक दिन बेटा भी करेगा,
मात-पिता का सम्मान,
पढ़-लिखकर वो बन बैठा,
मात-पिता से अनजान,
पढ़-लिखकर क्यों भूल जाते हैं बच्चे,
अपने माता-पिता के एहसान,
वो जैसे बचपन में था नादान,
हमारी नजर में वो आज भी है नादान,
बेटे ने आज मुंह मोड लिया है हम से,
पता नहीं वो किस नशे में चूर हो गया,
जब से बेटा पढ़-लिखकर मशहूर हो  गया,
हम देखते रह गए चेहरा उसका,
*       *        *         *       *        *
मात-पिता के आँचल में ,
जिसने अपना बचपन गुजार दिया,
दिल का टुकड़ा मानकर जिसे,
बचपन से प्यार किया,
उसकी हर एक ग़लती को ,
हंस कर टाल दिया,
मात-पिता का था ये ही अरमान,
वो बन जाए एक अच्छा इन्सान,
हमारी मेहनत का रंग,
अब फीका पड़ने लगा है,
पता नहीं क्यों अब वो हम से,
बात-बात पर लड़ने लगा है,
हमारे साये में रहा वो धनवानों की तरह,
कभी किसी चीज के लिए,
ना तरसने दिया उसको ,
घर में रहता था वो एकदम,
मेहमानों की तरह,
आज भी है हमारे लिए वो एक बच्चा है,
बेशक कद से बड़ा जरूर हो गया,
जब से बेटा पढ़-लिखकर मशहूर हो  गया,
हम देखते रह गए चेहरा उसका,
राम जाने वो मात-पिता से कब दूर हो गया।
*       *         *        *       *         *
कभी जिस आँगन में गुंजती थी,
बचपन में उसकी किलकारियां ,
जिस आँगन में खिलती थी,
उसके प्यार के फूलों की क्यारियां,
जिस घर में थिरकते थे ,
उसके नन्हें -नन्हे पाँव,
जिसे हर पल रहता था,
माँ के सीने से लिपटने का चाव,
आज वो ही मन्दिर के जैसा घर,
बिन उसके लगता है सुनसान,
जैसे बिना चाँद-सितारों के ,
खाली है नीला आसमान,
जीवन की राहों में बेशक,
अकेले पड़ जाएं हम ,
किस्मत से कैसे लड जाएं हम,
याद है हमको वो पल आज भी,
जिस दिन बेटे को पाकर हमें गरूर हो गया,
जब से बेटा पढ़-लिखकर मशहूर हो  गया,
हम देखते रह गए चेहरा उसका,
राम जाने वो मात-पिता से कब दूर हो गया।
*         *       *          *        *      *














Wednesday, 27 September 2023

पिता की मेहनत की मिसाल (pita ki mehnat ki misal )

पिता ने अपना पसीना,
तेज धूप में बहाया है,
*       *        *        *         *



दिन को चैन ना था एक पल भी,
आँखों से नींद गायब थी रातों की,
तन पर कपड़े थे फटे उसके,
एक दर्द छुपा था उसकी बातों में,
सुख तो शायद बहुत दूर था पिता से,
बस एक दुख ने दामन थाम रखा था अपना,
हर कीमत पर हर हाल में,
मैं छू लूं इस ऊँचे आसमान को,
देखते थे दिन-रात बस एक ये ही सपना,
पिता को ईश्वर पर था बहुत भरोसा,
वो रखेंगे लाज हमारी,
कोई बेशक ना सुने पर,
एक दिन ईश्वर सुनेंगे आवाज हमारी,
मेरे दिल में छा जाता है सूकून,
जब भी पिता ने मेरे सर पर,
प्यार से हाथ फिराया है,
पिता ने अपना पसीना,
तेज धूप में बहाया है,
*      *        *       *         *
मैंने देखा है ‌पिता को,
हालातों की चक्की में पिसते हुए,
कहने‌ को तो हम से रिश्ते जुड़े हैं बहुत,
पर बुरे वक्त में सब झूठे रिश्ते हूए,
पिता कभी नहीं करते हैं,अपना दर्द बयां,
ना दिखाते हैं अपने पाँव के छाले,
वो फरिश्ता मुस्कराना तो जैसे भूल गया हो,
उसने अपने सब सुख किए हैं हमारे हवाले,
मैंने महसूस किया है ईश्वर को,पिता के रुप में,
मुझे ईश्वर के दर्शन होते है उसके स्वरूप में,
पता नहीं किस मिट्टी से बनाया है,
ईश्वर ने ऐसा इन्सान,
चाहे लाख दर्द हो बदन में ,
उसके चेहरे पर ना आए कभी थकान,
मेहनत बसी है उसकी रंग -रग में,
अपनी मेहनत से उसने मिट्टी से सोना उगाया है,
पिता ने अपना पसीना,
तेज धूप में बहाया है,
तब जाकर मेरे चेहरे पर ये नूर छाया है!
*      *         *         *         *
पिता बनकर रहता है सदा मेरा पहरेदार,
मैं बनकर रहुँगा सदा उसका कर्जदार,
उसके बेसुमार एहसानों का,
मैं कैसे चुकाऊंगा मोल,
जो हमारे लिए अपने दिल के दरवाजे,
सदा रखता है खोल,
मैं हर घड़ी रखुंगा पिता का ध्यान,
मैं हर सम्भव कोशिश करुंगा,
उसके चेहरे पर बिखरी रहे सदा मुस्कान,
हमारे लिए मेहनत करते-करते,
जिसका बीत गया जीवन सारा,
उसके बुढ़ापे के दिन बीतें सूख से,
ये फर्ज बनता है हमारा,
घर में आहट करते रहे उसके पाँव,
वो है हमारे सर की छाँव,
इसी छाँव के नीचे बीते जीवन सारा,
हाथ जोड़कर ईश्वर के आगे सर झूकाया है,
पिता ने अपना पसीना,
तेज धूप में बहाया है,
तब जाकर मेरे चेहरे पर ये नूर छाया है!
*      *        *        *        *        *




















Tuesday, 26 September 2023

जीवन के रंग (jeevan ke rang )

मात-पिता और घर की छत,
सारी उम्र करें रखवाली,
आखिर में बोझ कहलाएं।
*       *        *       *


माँ अपने बेटे को देखती हुई
जीवन के रंग (jeevan ke rang )


मात-पिता के जैसे घर की छत भी करे रखवाली,
घर की छत आँधी सहे तुफ़ान सहे,
और तपती धूप की मार वो खाएं ,
खुद सह लेगी मार मौसम की पर,
छत के नीचे रहने वालों को,
मौसम की मार से बचाए,
गर्मी की सहती मार वो,
पर सबको गर्मी से बचाए हर बार वो,
सर्दी को सहकर खुद सीने पर,
छत के नीचे रहने वालों को,
वो सर्दी से राहत दिलाए,
मात-पिता के जैसे घर की छत भी,
अपना फर्ज निभाए,
मात-पिता और घर की छत,
दोनों एक -सा जीवन पाएं,
आखिर में बोझ कहलाएं।
*      *        *         *
मात-पिता भी अपना हर पल वार दें बच्चों पर,
जब तक हैं जान में जान,
जीवन अपना वार देते है सारा,
संभाले रखते हैं पूरे घर की कमान,
इन दोनों के बिना लगे अधूरा संसार,
मात-पिता के जैसा मिलता नहीं कंही प्यार,
हर सुख -दुख में थामकर रखते हैं हमारा हाथ,
लड़कर हालातों से सदा,
जीवन हमारा संवारा,
पूरी उम्र गुजार देते हैं ,
समझकर हमको अपना सहारा,
अपने जीवन का हर पल,
किया है नाम हमारे,
मात-पिता हैं हमारे जीवन में,
दो चमकते सितारे,
सितारों के जैसे चमक कर,
घर में रौशनी फैलाएं,
मात-पिता और घर की छत,
दोनों एक -सा जीवन पाएं,
सारी उम्र करें रखवाली,
आखिर में बोझ कहलाएं।
*      *       *        *
घर की छत और मात-पिता का,
आखिर में हाल भी एक जैसा हो जाए,
दोनो की कुर्बानी का मोल ना जाने कोई,
पुरानी छत हो जाए जब  तो ,
वो शोर बहूत मचाए,
ना‌ रोके वो आँधी-तुफान,
ना‌ ही बारीश से बचाए,
फिर एक दिन डालकर छत न‌ई,
पुरानी को कचरे का ढेर बताएं 
मात-पिता से बच्चे भी एक दिन,
ऐसे ही आँखें चुराएं,
बात-बात पर ताने देकर,
उनके मन को ठेस पहुंचाएं,
इस दुनिया के मेले में,
दोनों बैठकर सोच रहे अकेले में,
जिनके लिए वार दिया जीवन सारा,
अब वो ही हाथ छुडाएं,
मात-पिता और घर की छत,
दोनों एक -सा जीवन पाएं,
सारी उम्र करें रखवाली,
आखिर में बोझ कहलाएं।
*      *        *       *
















Monday, 25 September 2023

माँ का पेट पालना (maa ka pet paalna )



चार बेटों का पेट पाल लेती है माँ,
जागकर रात सारी ,
चार बेटों के महलों में एक ,
माँ का पेट पालना है भारी।
*       *         *         *
माँ अपने बेटे को पीठ बैठाती हुई
माँ का पेट पालना (maa ka pet paalna )



दुखती रग माँ की जान पाए ना कोई,
फुर्सत नहीं है पास किसी के ,
ये जानने के लिए की माँ की आँखें क्यों है रोई,
अपनी -अपनी दुनिया में सब मस्त हो ग‌ए
सब हो ग‌ए अपने परिवार के रखवाले,
देख रहे सब एक -दुजे को,
कौन माँ का पेट पाले,
झूका है सर चारों का,
कौन माँ से आँखें मिलाएं,
हिम्मत नहीं है किसी एक में भी,
जो आगे बढ़कर माँ को गले लगाए,
मान लिया है बोझ माँ को,
कौन झेले हर रोज माँ को,
दूर -दूर सब होने लगे हैं माँ को मान बिमारी,
चार बेटों का पेट पाल लेती है माँ,
जागकर रात सारी ,

चार बेटों के महलों में एक ,
*     *       *        *
माँ को भी अब ये होने लगा है विश्वास,
चारों बेटों में कोई नहीं रखना चाहता है पास,
जिन बेटो पर फक्र था कभी माँ को,
आज उन्हीं बेटों ने बना डाला माँ का उपहास,
जिनको पाला था अपने जिगर के टुकड़े मानकर,
आज उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता,
देखकर मेरा चेहरा उदास,
अपनी टूटी झोपड़ी में मैंने,
हर ग़म से बचाकर रखा चारों को,
उनकी झोली में डाल दिया मैंने चांद -सितारों को,
हालात चाहे जैसे भी रहे हों हमारे,
मैंने कभी उफ़ ना करने दिया इन बेचारों को,
हंसना क्या है मैं जैसे भूल ग‌ई हूँ,
परवरिश करते -करते इन चारों की,
मेरी उम्र गुजर ग‌ई सारी,
चार बेटों का पेट पाल लेती है माँ,
जागकर रात सारी ,
चार बेटों के महलों में एक ,
माँ का पेट पालना है भारी।

*       *        *         *
शायद किस्मत से मिलते हैं,
जीवन में सुख सारे,
बेटे बनेंगे सहारा एक दिन,
ये ही सोचकर कट जाएंगे,
बाकी बचे दिन हमारे,
मुख देखकर जिनका मिलता था दिल को सकून,
जिनका जीवन संवारना था मेरा जूनून,
सौ-बार सोचते हैं आजकल बेटे,
एक माँ का पेट पालने के लिए,
क्यों भूल जाते हैं त्याग उसका,
जो हर वक्त तैयार रहती है,
बेटों का गम टालने के लिए,
बेटे भूल सकते माँ को माँ कैसे भूल जाएं,
माँ निभाएगी हर फर्ज अपना,
बेटे निभाए या ना निभाए ,
शायद एक दिन रंग लाएगी ये मेहनत हमारी,
चार बेटों का पेट पाल लेती है माँ,
जागकर रात सारी ,
चार बेटों के महलों में एक ,
माँ का पेट पालना है भारी।
*      *        *        *
creater-राम सैणी















Saturday, 23 September 2023

पिता का संघर्ष (pita ka sangharsh )

पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
*        *       *       *


पिता अपने बेटे को हवा में उछालता हुआ
पिता का संघर्ष (pita ka sangharsh )




उसके मन की कोई ना जाने,
पर वो सब के मन की जानता है,
पिता की बात चाहे कोई ना माने,
पर वो सब की मानता है,
बाहर से दिखता है पिता पत्थर के जैसा,
पर अन्दर से बहुत नरम है,
हमारी दुखती हर नब्ज का,
पिता के पास मरहम है,
खुद ना जो कभी करें परवाह,
जिसके दिल से कभी ना निकले आह।
चाहे दिल में हो कितना भी तूफान,
पर चेहरे पर रहेगी हमेशा मुस्कान,
देखकर हम-सबको झूलता मस्ती में,
खुद भी मस्ती में झूल जाता है,
पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
*      *        *        *
सर पर है अगर पिता का साया,
तो हम बनकर रहते हैं राज कुमार,
ना‌ होती है परवाह हमें किसी चीज की,
खुशियां मिलती है बेसुमार,
योद्धा ना कोई है उससे बड़ा,
जो हमारी करे हर पल देखभाल,
वो खुद सह लेते हैं मार वक्त की,
पर हमको रखते हैं मालामाल,
सबकी ख्वाहिशे करते हैं पूरी,
अपनी ख्वाहिशों को मारकर,
सबका दिल जीत लेते हैं ,
अपना सब कुछ हारकर,
उसकी आँखों की घूर है बहुत मशहूर,
खुद को मानें चरणों की धूल,
हमको आँगन फूल बताता है,
पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
हर सितम झेल जाता है।
*        *         *       *
पिता है सच्चा हमदर्द हमारा,
पिता से हमारी शान है,
वो हमारा सुख -दुख का साथी,
वो ही हमारा भगवान है,
जिसके कन्दे पर बैठकर हमने,
बचपन अपना गुजारा है,
जो हर पल खडा है साथ ,
बनकर हमारा सहारा है,
पूरी जिंदगी निकल जाती है पिता की,
बच्चों की जिंदगी बनाने में,
आज -कल आती है शर्म बच्चों को,
मात-पिता को अपनाने में,
पिता का बलिदान भी है सबसे बड़ा,
जो हर पल सीना तानकर,
हमारी मुश्किलों के आगे है खडा,
ज़िन्दगी हो जाएगी उसकी फूलों के जैसी,
जो पिता के चरणों की धूल,माथे पर सजाता है,
पूरे घर की उठाए जिम्मेदारी,
पर खुद को भूल जाता है,
हमारे चेहरे की मुस्कान के लिए पिता,
हर सितम झेल जाता है।
*       *       *         *





Friday, 22 September 2023

मात-पिता का मान-सम्मान (maat -pita ka samman )

बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*      *       *        *        *




माँ अपने बेटे को निहारती हुई
मात-पिता का मान-सम्मान (maat -pita ka samman )


बच्चे हैं फूलों के जैसे कोमल,
दादा -दादी के प्यार से उनको ना वंचित रहने दो,
वो है एक ठण्डी छाँव जैसे,
बच्चों को उनकी ही छाँव में रहने दो,
दादा -दादी का प्यार बच्चों का ,
रौशन करें संसार,
उनके दिल को भी पहुँचती है ठण्डक,
बच्चों संग हंसकर वक्त गुजारने में,
बच्चों को भी मिलती है खुशी,
उनको दादा -दादी पुकारने में,
दादा -दादी बच्चों पर अपना,
सबसे ज्यादा हक जताते है,
उनके दिल को मिलता है सकून,
जब बच्चे उनका दिल बहलाते हैं,
बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*        *           *           *      *
मात-पिता को रखेंगे हम अगर पास,
तो इस जग में ना होगा हमरा कभी उपहास,
मात-पिता के एहसानों की,
ऋणी है हमारी हर श्वास,
मात-पिता की करके सेवा,
ये वक्त है सत्कर्म कमाने का,
ये मौका है धीरे-धीरे उनके दिल में उतर जाने का,
उनके प्यार का दीपक अपने,
दिल में जगाए रखना,
हर पल उनको अपने दिल में बसाए रखना,
मात-पिता की सेवा, हमारी किस्मत संवार दे,
हमारे सर की बुरी बलाएं,
मात-पिता पल में उतार दे,
पूरा करें उनका हर आदेश,
वो जो भी फरमाते हैं,
मात-पिता का देखकर मान-सम्मान,
बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*       *        *         *           *
मात-पिता संग रखिए अपना हरा-भरा परिवार,
इनके बिना सूना है हर घर का द्वार,
ये ही हमारे जीवन के सच्चे पहरेदार,
बच्चों के कोमल मन पर ये सेवा -भाव,
एक गहरी छाप छोड़ते हैं,
संस्कारों में रहते हैं बंधकर,
दिल से दिल के नाते जोड़ते हैं,
दादा -दादी के प्यार के समन्दर में नहाकर,
बच्चे फूलों के जैसे खिल जाते हैं,
मात-पिता हो जब संग अपने,
तो हमारे सारे संकट टल जातें हैं।
रिश्तों की कद्र करना,
ये बच्चे भी जान पाएंगे,
ना भुलना कभी चेहरे उनके,
जो हमको उंगली पकड़कर चलना सिखाते हैं,
मात-पिता का देखकर मान-सम्मान,
बच्चों में भी संस्कार आते हैं,
वक्त आने पर बच्चे भी निभाएंगे फर्ज अपना ,
अगर आप भी अपना फर्ज निभाते हैं।
*        *         *         *         *



Thursday, 21 September 2023

दो बार आंसूओं का सफर (Do baar aansuon ka safar )

मात-पिता की आँखों से आंसू
पहली बार जब बेटी जाती है घर पराए,
दुसरी बार जब बेटा अपने फर्ज से आँखें चुराए।
*       *         *           *         *        *


माँ बेटी को चूमती हुई
 दो बार आंसूओं का सफर (Do baar aansuon ka safar )




मात-पिता को छोड़कर बेटी जब जाती है,
बेटी के जाने के बाद मात-पिता को,
उसकी बहुत याद आती है,
यादें उसके बचपन की,
बहुत -कुछ कह जाती हैं,
सर झुकाकर बेटियां,
सब-कुछ सह जाती है,
बेटी का हर काम में हाथ बंटाना,
उसका रुठना और मनाना,
ये ही सब हमें बहुत भाते हैं,
हम पूरी कोशिश करते हैं,
मगर फिर भी आँखों से आंसू छलक जाते हैं,
बेटी है जान हमारी बेटी से जुड़े हैं दिल के तार ,
छलकते हैं दो बार,
पहली बार जब बेटी जाती है घर पराए,
दुसरी बार जब बेटा अपने फर्ज से आँखें चुराए।
*       *        *           *         *        *
मात-पिता का दिल‌ उस वक्त बहुत घबराएं
जब बेटा अपने फर्ज से आँखें चुराए,
जो रहता था कभी आँचल में छुपकर,
वो ही अब बात- बात पर आँखें दिखाएं,
उम्मीद की डोर धीरे -धीरे टूटने लगी है,
शायद किस्मत भी हम से अब रूठने लगी है,
जिसको मानते थे अपनी जिंदगानी,
अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता,
देखकर हमारी आँखों का छलकता पानी,
भुल गया हमारे उपकार,
शायद हम सही से नहीं दे पाए उसको संस्कार,
बुढ़ापा गुजरेगा आराम से,
नहीं थी इस बात की परवाह,
जो देख रखें थे सपने,
सब हो ग‌ए स्वाह,
फीके हो गए सब रिश्ते -नाते ,
फीका हो गया हमारा प्यार ,
मात-पिता की आँखों से आंसू
छलकते हैं दो बार,
पहली बार जब बेटी जाती है घर पराए,
दुसरी बार जब बेटा अपने फर्ज से आँखें चुराए।
*         *         *         *           *
बेटी हमारी आज भी हम पर जान वार दे,
बिगड़े हमारे सब काम संवार दे,
एक बेटी है जो दो घरों की जिम्मेदारी निभाए,
दुसरा बेटा है जिसकी नज़रों में,
हम हो गए पराए,
इस न‌ए ज़माने की हवा में अब वो खो गया है,
राम जाने क्यों इतना निर्मोही हो गया है,
जिसके कदमों के नीचे रखते थे हम हाथ कभी,
क्यों हमारा नहीं भाता है उसको साथ अभी,
जिसे बोलते थे धन पराया 
वो आज भी अपनी लगती है,
जिसे समझते थे दिल का टुकड़ा,
वो दिल टुकड़े -टुकडे कर गया,
जहाँ भी रहे वो खुश रहे ,
ये ही है मात -पिता के दिल की पुकार ,
मात-पिता की आँखों से आंसू
छलकते हैं दो बार,
पहली बार जब बेटी जाती है घर पराए,
दुसरी बार जब बेटा अपने फर्ज से आँखें चुराए।
*        *        *         *          *         *












Wednesday, 20 September 2023

मात-पिता की शान (maat -pita ki shaan )

मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
*       *         *          *



मात -पिता बेटी के साथ चलते हुए
मात-पिता की शान (maat -pita ki shaan )
कौन कहता है कि पराई है बेटीयां,
आज के दौर में हर ओर छाई हैं बेटियां,
मिलता है जब भी उनको मौका,
सबसे पहले स्थान पर आई है बेटियां,
बेटी भी चाहती है बेटे के समान मिले,
उसको भी मात-पिता का एक जैसा प्यार ,
दोनों में हैं मात-पिता के एक जैसे संस्कार,
बेटी भी है इसकी हकदार,
मात-पिता का संग,
बेटी में भर दे खुशियों के रंग,
वो भी चाहे हर दिल में हो उसके लिए सम्मान,
बेटी नहीं है बोझ किसी पर,
बेटी को मानों ईश्वर का वरदान,
मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
*       *          *          *
बेटी के बिन हर घर है अधूरा,
फीका है उसके बिन हर त्योहार,
बेटी को नहीं चाहिए ज्यादा कुछ,
वो खुश हो जाती है लेकर एक छोटा सा उपहार,
भाई-बहन की प्यार की लड़ाई से,
घर में एक रौनक छाई रहती है,
बेटी ना हो घर में सूनी भाई की कलाई रहती है,
बेटियां रहें हर घर में खास बनकर,
हर घर में बिखेरें अपनी मुस्कान के रंग,
पिता के दिल में रहती हैं रानी बनकर,
कदम से कदम मिलाकर चलती है,
सदा मात-पिता के संग,
बेटी संग बरकत मिले, बेटी खुश तो,
ईश्वर भी रहे मेहरबान,
मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
वो भी चाहती है छूना आसमान।
*       *         *          *
बेटियों के लिए भी है एक पैगाम,
सदा ऊँचा रखें मात-पिता का नाम,
हरदम याद रहें मात-पिता के संस्कार,
हर नज़र बैठी है तैयार,
जिनका है एक ही काम,
कैसे करें बेटियों का तिरस्कार,
मान -मर्यादा परिवार की,
ये सबसे पहला धर्म है,
इसको बचाए रखना ये आपका कर्म है,
सर ना झुकने पाए कभी,
जिनके तुम सर का गरूर हो,
सर उठाकर चले सदा मात-पिता,
बस इतना जरूर हो,
मात-पिता के प्यार का,
उनके एतबार का सदा करें सम्मान,
मात-पिता के लिए दोनों हैं घर की शान,
मात-पिता समझें बेटी -बेटा एक समान,
बेटी भी चाहती है खुली हवाओं में सांस लेना,
वो भी चाहती है छूना आसमान।
*      *       *        *        *











Tuesday, 19 September 2023

पिता मेरा आसमान (pita mera aasman )

माँ के लिए तो बहुत हम बोलते हैं,
पर पिता के लिए थोड़ा कम बोलते हैं,
हाँ माँ-माँ कहते नहीं थकती मेरी जुबान,
*       *        *         *

पिता का हाथ पकडे एक बच्चा
पिता मेरा आसमान (pita mera aasman )


आसमान से ऊँचा है कद उसका,
आसरा है उसका रब जैसा,
माँ को पूजते हैं हम दिल -जान से पर,
घर में जिक्र ना हो पिता का,
शायद कोई भी लम्हा आया हो ऐसा,
पिता के जैसा राजा नहीं है,
कोई इस जहान में,
दौलत से चाहे वो धनवान नहीं,
पर सर झुकता है उसके सम्मान में,
सब इच्छाएं अपनी मारकर,
पिता खुश होता है,
अपने हिस्से के सुख हम पर वार कर,
पिता मुंह से कभी उफ़ ना करें,
मगर दिल पर लगे उसके ज़ख्म बोलते हैं,
माँ के लिए तो बहुत हम बोलते हैं,
पर पिता के लिए थोड़ा कम बोलते हैं,
हाँ माँ-माँ कहते नहीं थकती मेरी जुबान,
*      *        *        *
पिता पूरा करें हमारा हर सपना ,
हमारा सपना पूरा करने के लिए,
पिता हर दुख भुल जाता है अपना,
हमारे घर की पहचान है इसी से,
पिता सोचता है कि मेरे बच्चे,
इस जहान में पीछे ना रहें किसी से,
देखकर हमारे चेहरे की मुस्कान,
पिता अपनी भूल जाएं,सारी थकान,
बच्चे खुश तो पिता खुश,
इतने में ही पिता अपना रखना भूल जाएं ध्यान,
पिता कभी नहीं भागता,
अपने घर की जिम्मेदारी से,
वो हर फर्ज निभाए पूरी ईमानदारी से,
हाथ फेरना कभी पिता के दुखते पाँव पर,
छाले पिता के पाँव के उसके भेद खोलते हैं,
माँ के लिए तो बहुत हम बोलते हैं,
पर पिता के लिए थोड़ा कम बोलते हैं,
हाँ माँ-माँ कहते नहीं थकती मेरी जुबान,
तो पिता है मेरा आसमान।
*        *        *        *
माँ तो सीने से लगाकर बच्चों को,
अपना प्यार जता देती है,
वो करती है कितना प्यार,
एक पल में बता देती है,
पिता का स्वभाव माँ से एकदम जुदा है,
माँ अगर है मेरे तन-मन पर छाई,
तो पिता मेरा खुदा है,
पिता की जुबान पर रहता है,हर वक्त हाँ जी,
पिता है मेरी जीवन रूपी नौका का मांझी,
मेरी जीवन रूपी नौका को ,
कभी फसने ना दे बीच मझधार,
हाथ थामकर हमारा लगाए हमको पार,
पिता का हौंसला है पर्वत से ऊँचा,
पर्वत और आसमान सभी गुण गाते है पिता के,
जब भी वो मुंह खोलते है,
माँ के लिए तो बहुत हम बोलते हैं,
पर पिता के लिए थोड़ा कम बोलते हैं,
हाँ माँ-माँ कहते नहीं थकती मेरी जुबान,
तो पिता है मेरा आसमान।
*      *       *       *

















Monday, 18 September 2023

माँ की प्रेम भक्ति (maa ki prem bhakti )

जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
*       *         *         *


माँ अपने बेटे को कांदे पर उठती हुई
माँ की प्रेम भक्ति (maa ki prem bhakti )




संत फकीर होते हैं धर्म के रखवाले,
ये ही हमारी विरासत को रखते हैं संभाले,
माँ जैसा कीजिए इनका भी सम्मान,
सबसे उपर माँ है उसके बाद में सारा जहांन,
माँ के जैसे इनके भी पावन चरणों की ,
धूल को सर -माथे से लगाएं,
इनके आगे भी सर अपना सदा झुकाए,
माँ के जैसे इनमें भी ‌ईशवर का वास है,
मान लिया है जिसने भी,
माँ को ईश्वर का रूप दूजा,
जो करता है सच्चे दिल से माँ की पूजा,
माँ की दुआओं में वो शक्ति है,
जिसके आगे ज़ोर नहीं चलता,
माथे की लकीरों का,
जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
*      *         *         *
माँ तेरे चेहरे की मुस्कान ,
सदा यूँ ही कायम रहे ,
जिसने मेरे लिए कभी परवाह नहीं की,
धूप और छाँव की,
मैं सदा लाज रखुंगा माँ तेरे नाम की,
माँ तुम्हारे पाँव पड़ने से शोभा बढ जाती है,
पत्थर के बेजान मकानों की,
सदा सच्चे दिल से कद्र करूंगा ,
मैं तेरे एहसानों की,
तेरा सम्मान तेरे चेहरे की मुस्कान,
मेरी उम्र बीत जाएगी यूं ही,
मैं कभी नहीं रहूंगा इनसे अनजान,
माँ तेरे आँचल में छुपा है खजाना,
प्यार की जागीरों का,
जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
जिस घर में माँ हंसती-गाती मिले,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
*        *         *        *
इस जहान में होंगे त्यागी -बलिदानी बहुत,
पर तेरे जैसा कोई ओर नहीं,
जहाँ माँ के त्याग और बलिदान की,
गाथा ना गाई ग‌ई हों ऐसा कोई दौर नहीं,
थामकर रखना हाथ माँ का,
ध्यान रहे कभी छुटे ना,
दिल ना दुखाना कभी उसका,
ध्यान रहे वो कभी रुठे ना,
आँखें ना भरें कभी उसकी पानी से,
हरा -भरा रहे घर सदा,
ईश्वर की इस निशानी से,
आँखें मूंदें करना इसे प्यार,
ये ही हमारे संस्कार,
तेरे प्यार की छाया रहे सदा घर हमारे,
मेरे जीवन पर असर माँ तेरे दिए संस्कारों का है,
जितना सम्मान माँ के लिए हैं इस दिल में,
उतना ही सन्त -फकीरों का है,
जिस घर में माँ हंसती-गाती मिले,
समझो वो ही घर अमीरों का है।
*      *          *        *      *










Sunday, 17 September 2023

जन्नत के द्वार (jannat ke dwar )

पाँव हैं माँ के जन्नत का द्वार,
शहर में मेरा दिल नहीं लगता,
मैं माँ से मिलने अपने गाँव जा रहा हूँ।
*     *       *        *        *        *



माँ अपने बच्चे को देखती हुई
जन्नत के द्वार  (jannat ke dwar )


मैं छोड़कर घर -बार एक दिन गाँव से शहर आया था,
छोड़कर पीछे माँ को शहर कमाने आया था,
धीरे -धीरे करके मैंने दौलत-शौहरत कमाई है,
इस दौलत को कमाने के लिए ,
मैंने हर रिश्ते से दूरी बनाई है,
दौलत और परिवार का साथ,
सबको एक साथ नहीं मिलता,
दिल का सकून और भाग्य का साथ,
सबको एक साथ नहीं मिलता,
रिश्ते निभाना भूल गए,
हम दौलत कमाते -कमाते,
माँ के आँचल की आती है याद बहुत,
ये उसकी दुआओं का ही असर है,
मैं दिन -रात कमा रहा हूँ,
पाँव हैं माँ के जन्नत का द्वार,
शहर में मेरा दिल नहीं लगता,
मैं माँ से मिलने अपने गाँव जा रहा हूँ।
*       *         *        *        *
माँ सर पर हाथ रख कर देती है जो सहारा,
दिल में जोश दोगुना हो जाता है हमारा ,
जो बुझने ना दे कभी मेरी उम्मीदों का दीया,
जैसा फ़िक्र करती हैं माँ,
कोई और ना करें उसके सिवा,
माँ है मेरी अदृश्य ताकत,
मैं खुश हो जाता हूँ सुनक‌र ,
उसके कदमों की आहट,
माँ से हैं सब खुशियां, वो है गरूर मेरा,
उसकी दुआओं से एक दिन,
चमकेगा नाम ज़रूर मेरा,
माँ के आँचल में छुपाऊं मैं सर अपना,
आज भी उसके आँचल की छाँव पा रहा हूँ,
पाँव हैं माँ के जन्नत का द्वार,
मैं माँ के पाँव छूने जा रहा हूँ,
शहर में मेरा दिल नहीं लगता,
मैं माँ से मिलने अपने गाँव जा रहा हूँ।
*      *        *         *         *
माँ हौंसला दे मुझे,आगे बढ़ने के लिए,
बोझ मेरे मन पर कोई रहने ना दे,
वो बनकर मेरी ताकत खड जाती है,
महल मेरी उम्मीदों का कभी ढहने ना दे,
हर सुबह करता हूँ मैं दर्शन,
उस प्यारे से चेहरे के,
माँ कभी कम ना हों,
मुस्कराहट के रंग तुम्हारे चेहरे के,
माँ के पास बैठकर बिताए दो-चार लम्हे,
खुशियों से भर देते हैं हमें,
तनाव में होते हैं जब हम,
सर पर हाथ रख कर माँ,
तनाव कर देती है कम,
मैं माँ के नाम से ही अपनी,
पहचान बना रहा हूँ,
पाँव हैं माँ के जन्नत का द्वार,
मैं माँ के पाँव छूने जा रहा हूँ,
शहर में मेरा दिल नहीं लगता,
मैं माँ से मिलने अपने गाँव जा रहा हूँ।
*        *          *        *        *













Saturday, 16 September 2023

माँ और मिट्टी (maa aur mitti )

माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
जब तक ये संसार रहेगा ।
*      *       *      * 


ये मिट्टी अपने सीने पर अन्न उगाकर,
माँ के जैसे हमें पालती है,
अपने सीने पर पीड़ा सहकर,
हमारे तन की भूख मिटाकर,
माँ के जैसे हमें संभालती है,
बारिश,आँधी और तुफ़ान सब सहती है,
इसलिए ये दुनिया धरती को माँ कहतीं हैं,
अपने सीने पर लहराती फसलें देखकर,
खुश हो जाती है धरती माँ,
माँ बनकर हमारी हर जरूरत,
पूरी करती है,ये धरती माँ ,
धरती माँ का हम सब के जीवन पर,
यूं ही बरसता प्यार रहेगा,
माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
जब तक ये संसार रहेगा ।
*      *       *         *
माँ के जैसा महान दुनिया में कोई और नहीं,
माँ के प्यार जैसी मजबूत,
दुनिया में कोई डोर नहीं,
मेरे जीवन का हर पल माँ है तेरे हवाले,
माँ के प्यार की ज्योत,
जो भी इन्सान अपने दिल में जगाले ,
जीवन की नौका हो जाएगी पार उसके,
घर में खुशियों की रहेगी बहार उसके,
गैरों के आगे झुकने से अच्छा है,
माँ के चरणों में झुक जाएं,
इसके चरणों में झुकने से,
जीवन के सब दुख -दर्द पल में मुक जाएं,
लाख बंद कर लो चाहे तुम अपनी आँखें,
तुम्हारे लिए सदा खुला माँ के दिल का द्वार रहेगा,
माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
माँ और मिट्टी सदा महान रहेंगी,
जब तक ये संसार रहेगा ।
*      *      *       *
माँ और मिट्टी दोनों का,
हमारे जीवन पर उपकार बहुत है,
माँ और मिट्टी दोनों के आँचल में,
हम सबको मिलता प्यार बहुत है,
दोनों हैं धनवान बहुत,
दोनो हैं महान बहुत 
माँ और मिट्टी का हम सबके जीवन पर,
सदा ऋण रहेगा,
जीवन में ना हो कोई ऐसा दिन,
जो इनके बिन रहेगा,
देखकर प्यारा मुख इनका,
दिल खुश हो जाता है,
देखकर आँचल में सुख इनका,
माँ और मिट्टी का रिश्ता अमर रहेगा,
जब तक ये संसार रहेगा,
माँ और इस मिट्टी का कर्ज,
हम पर सदा उधार रहेगा,
माँ और मिट्टी सदा महान रहेंगी,
जब तक ये संसार रहेगा!
*       *       *       *







Friday, 15 September 2023

सच्चे प्यार का संदेश (sachhe pyar ka sandesh )

मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
*       *        *       *        *         *



बेटा माँ को चूमता हुआ
सच्चे प्यार का संदेश (sachhe pyar ka sandesh )


मात-पिता का जीवन है फूलों के जैसा,
फूल तब तक लगते हैं प्यारे,
जब तक रहे डाली से जुडकर,
मिट्टी में मिट्टी हो जातें हैं,
जब गिरते हैं वो टूट कर,
बच्चों के जैसे कीजिए,
मात-पिता की गौर,
खुद पर हावी ना  होने दीजिए,
न‌ए‌ जमाने का ये शोर,
इन फूलों की सुगंध का लीजिए आनंद,
अपने मन में जगाकर रखिए,
मात-पिता के प्रति न‌ई उमंग,
देखिए पास बैठकर दो पल इनके,
फूलों के जैसे मात-पिता के चेहरे,
खिल जाएगें हर बार,
मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
*        *          *          *          *
इनके पावन चरणों से,
घर में फैला रहेगा उजाला,
मात-पिता के चरणों को जो पूजे,
वो है इस जग में किस्मत वाला,
आँसू बहाओगे जो बाद में,
फिर कौन आएगा देखने वाला,
जब तक चलते रहे सीने में प्राण उनके ,
मात-पिता का हाथ थामे रखना,
नहीं चाहिए इन्हें धन-दौलत,
बस प्यार से दो बातें करके,
अपना सर झुकाकर हाँ में रखना,
मुख देखकर तुम्हारा,
मात-पिता में आ जाती है जान न‌ई,
हर पल निकलती है मुख से इनके दुआएं बेसुमार,
मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
मात-पिता इस दुनिया में मिलते नहीं दो-बार ।
*         *          *          *          *
मात-पिता के प्यार की हद कोई नहीं ,
इस जग में मात-पिता से ऊँचा कद कोई नहीं,
ना जाने कितनी ही रातें,
मात-पिता ने गुजार दी हैं बिन सोए,
खाना -पीना सब छोड़ कर,
हमको सीने से लगाया जब भी हम रोए,
इनके जैसा कोई दानवीर नहीं,
ना ही इनके जैसे किसी के पास,
प्यार की जागीर नहीं,
मात-पिता प्यार करे हमे आँखें मूंदें,
प्यार है इनका जैसे सावन की बूंदें,
बहुत मिलते हैं इस जग में,
उपर से प्यार दिखाने वाले,
पर नहीं मिलता इनके जैसा कंही सच्चा प्यार,
मुरझाने मत दीजिए इन फूलों को,
ये खिलते नहीं बार- बार,
कद्र करो जब तक हैं जिन्दा
मात-पिता इस दुनिया में मिलते नहीं दो-बार ।
*       *         *        *       *          *










Thursday, 14 September 2023

बुढ़ापे में माँ का सहारा (budhape me maa ka sahara )

बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
जिसने बुढ़ापे में माँ को गले लगाया है ,
*      *        *        *        *


माँ अपने बेटे को तैयार करती हुई
बुढ़ापे में माँ का सहारा (budhape me maa ka sahara )


याद करो जरा वो बचपन की यादें,
माँ दीवानों के जैसे करती थी प्यार,
वो खुद हंसना भूल जाती थी,
मगर हमारे चेहरे की हंसी रखती थी बरकरार,
फूलों के जैसे रखती थी,
माँ आँचल में अपने छूपाकर,
कैसे माँ अपने बच्चों में ही खोई रहती है,
अपने सारे कष्ट भूलाकर,
सारी बलाएं टाल देती है सर से हमारे,
माँ एक पल में ना जाने,
कैसे दूर भगा देती है दिल से डर हमारे,
लेकर‌ अपनी बांहों में हमको,
हर बार प्यार जताया है,
बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
*        *         *          *         *
ईश्वर की है सौगंध मुझे,
माँ के चेहरे की मुस्कान के भाते हैं रंग मुझे ,
मैं जी,-जान लगा दूंगा,
माँ के चेहरे की मुस्कान के लिए,
मैं ढटकर खंड जाऊंगा,
उसके सम्मान के लिए,
मेरे सर पर हाथ रहें सदा उसका,
मेरा तन-मन ऋणी है जिसका,
तैयार रहूंगा मैं सदा माँ का हाथ थामने,
मैं खुश हो जाता हूँ ये देखकर,
मुझ पर कृपा बरसाईं राम ने,
मेरे तन-मन में बस ग‌ई है,
खुशबू तुम्हारे प्यार की,
मुझे याद है शिक्षा तुम्हारे दिए संस्कार की,
मानकर तुम को रूप ईश्वर का,
मैंने अपने तन- मन में बसाया है,
बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
जिसने बुढ़ापे में माँ को गले लगाया है ,
*        *         *         *        *
मैं थामकर माँ हाथ तुम्हारा,
तुमको पूजूंगा ईश्वर के समान,
बुढ़ापे में रहूंगा मैं बनकर तेरा सहारा,
मेरी जुबां पर होगा माँ तेरा गुणगान,
माँ तेरी मुस्कराहट के रंग,
पूरे घर में बिखर जाते हैं ,
माँ जब तूं छू लेती है अपने प्यारे हाथों से,
तो हम सबके चेहरे निखर जाते हैं ,
पावन हैं चरण तुम्हारे,
पावन हैं इन चरणों की धूल ,
माँ के चेहरे पर है अगर गम के निशान,
तो हमारे सब पूण्य हैं फिजुल,
कामयाबी रहने लगी है कदम चूमकर,
जब से मैंने माँ को,
ईश्वर मानकर,दिल से बसाया है,
बचपन में संभाला था जिस माँ ने,
अब उसे संभालने का वक्त आया है,
ईश्वर की कृपा बरसती है उस पर,
जिसने बुढ़ापे में माँ को गले लगाया है!
*       *       *          *         *


















Wednesday, 13 September 2023

माँ का साथ (maa ka saath )


मेरे माथे के पसीने को,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
इसलिए माँ बात -बात पर मुझे टोक देती है ।
*        *          *          *         *

माँ अपने बेटे को गोद  में उठाती हुई
माँ का साथ (maa ka saath )




माँ का हर बात पर टोकना,
मैं इसका बुरा नहीं मानता हूँ ,
वो करती है मेरे भले के लिए फ़िक्र,
ये मैं हमेशा जानता हूँ ,
एक माँ ही होती है,
जो बिना शर्त प्यार करे,
वो खुद की परवाह किए बिना,
हमारे जीवन का उद्धार करे,
वो मुझे देखना चाहती है,
जीवन की राहों में सबसे आगे हैं,
बहुत मजबूत है हम दोनों के बीच,
ये जो प्रेम रुपी धागे हैं,
मैं गलती से भी अगर चलूं गलत राहों पर,
माँ हाथ पकड़ मुझे रोक देती है,
मेरे माथे के पसीने को,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
इसलिए माँ बात -बात पर मुझे टोक देती है ।
*        *          *          *        *
माँ एक मसीहे के जैसे रहती है,
हर वक्त मेरे आस-पास,
वो खुद उदास हो जाती है,
देखकर मेरा चेहरा उदास,
पता नहीं माँ कैसे जान लेती है,
मेरे दिल की हलचल,
वो खबर रखती मेरी हर पल,
मेरी हर मुश्किल में साथ खड़ी माँ,
मेरी खुशियों के लिए,
सारी दुनिया से लडी माँ,
नींद अपनी त्याग कर,
मेरे लिए माँ जागी है कंई रातों में,
वो कितना प्यार करती है मुझसे,
ये झलकता है उसकी बातों में,
मेरे सर की बलाएं टालने के लिए,
माँ अपनी पूरी ताकत झोंक देती है,
मेरे माथे के पसीने को,
माँ अपनी दुपट्टे से पोंछ देती है ,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
*         *         *          *         *
मेरी नस-नस में बसी है,
महक उसके प्यार की,
माँ के जैसा दुजा ना कोई,
क्या मिसाल दूं उस पहरेदार की,
मेरी नज़रें झुक जाती है उसके सम्मान में,
वो रहें चमकती हमेशा,
जैसे तारे चमकते हैं आसमान में,
उसके पैरों में ना चुबने पाए राहों के शूल कभी ,
मेरे चेहरे पर रंग इन्द्र -धनूष के छा जाते हैं,
जब‌ भी मैं माथे पर लगाऊं,
उसके पैरों की धूल कभी,
कम ना हो कभी उसके सांसों की रफ्तार,
मैं माँ को प्यार करता हूँ बेसुमार,
मैं मानता हूँ उसकी हर सलाह को,
माँ मुझे हर बार सलाह नेक देती है,
मेरे माथे के पसीने को,
माँ अपनी दुपट्टे से पोंछ देती है ,
मैं चलूं सही राह पर हमेशा,
इसलिए माँ बात -बात पर मुझे टोक देती है,
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Tuesday, 12 September 2023

घर की मुस्कान बेटियां (ghar ki muskaan betiyan )

माँ-बाप के सर का ताज,
हर घर की शान है,
उस घर पर ईश्वर भी मेहरबान हैं।
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माँ -बाप बेटी को घूमते हुए
घर की मुस्कान बेटियां  (ghar ki muskaan betiyan )


बाप के दिल में रहती हैं प्राण बनकर,
उसके सर का सम्मान बनकर,
हर सुख -दुख में बेटियां साथ निभाएं,
माँ-बाप के कदमों के साथ कदम मिलाए,
देखकर बेटियों के चेहरे की मुस्कान,
उनकी आए जान में जान,
बाप के दिल पर राज करे हरदम,
बाप जिन पर नाज करे हरदम,
एक आवाज पर दौड़ी चली आएं,
इसलिए उसके दिल की परियां कहलाएं,
बेटियों के बिन हर घर वीरान है,
माँ-बाप के सर का ताज,
हर घर की शान है,
उस घर पर ईश्वर भी मेहरबान हैं।
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बेटियों के नाज-नखरे माँ हंसकर उठाए,
घर के हर काम में,माँ का हाथ बटाएं,
माँ भी है उनके बिन अधूरी,
माँ के लिए बेटियां भी हैं जरूरी,
बेटी बिन हर त्योहार है सूना,
सूनी है हर भाई की कलाई,
बेटियों के संग रौनक है घर की,
वो नहीं हैं कम किसी से,
बेटियां आज हर जगह हैं छाई,
छोटी-छोटी बात पर मुंह फुलाएं,
हर रिश्ते को दिल से निभाएं,
बेटियां नहीं बोझ हैं
इनको पूजे सारा संसार,
बेटियां हैं महकते फूल आँगन के,
ये भी हैं प्यार की हकदार,
बेटियां हैं दिल का टुकड़ा,
बेटियां हैं हर घर का सम्मान,
माँ-बाप के सर का ताज,
हर घर की शान है,
जिस घर में मुस्कराती है बेटियां,
उस घर पर ईश्वर भी मेहरबान हैं।
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बेटियां छू लेती है तार माँ-बाप के दिल के,
इसलिए बेटियों से करते हैं प्यार वो दिल से,
माँ-बाप में बसती है बेटियों की जान,
सारी उम्र करती है बेटियां इन दोनों का सम्मान,
हर काम में हाथ बंटाए,
इसलिए सबके मन बस जाएं,
बेटे-बेटियों में कभी भी,
भेदभाव मत कीजिए,
उनको भी बेटों के बराबर,
दिल से सम्मान दीजिए,
एक जैसे रखिये दोनों को,
अपने आँचल में छुपाकर,
दोनों को रखिये अपने गले से लगाकर,
बेटियां हैं गरूर सर का,
समझदार से से करती है हर काम वो,
नहीं है वो नादान,
माँ-बाप के सर का ताज,
हर घर की शान है,
जिस घर में मुस्कराती है बेटियां,
उस घर पर ईश्वर भी मेहरबान हैं।
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creater-राम सैणी


Monday, 11 September 2023

माँ बोझ नहीं वरदान है (maa bojh nahin vardan hai )

माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
*      *       *        *      *



माँ अपने बेटे को सीने से लगाती हुई
माँ बोझ नहीं वरदान है  (maa bojh nahin vardan hai )


माँ की सब चीजों पर,
दोनों बेटों का हक हो गया सिवा माँ के,
सब चीजों को गले लगाया सिवा माँ के,
माँ ने अपनी मेहनत से,
उठाया था ऊँचा जिस घर को,
अपनी सब इच्छाओं को मारकर,
अपने प्यार के रंगों से सजाया था जिस घर को,
दोनों बेटे उस घर के न‌ए हकदार हो ग‌ए,
वो माँ को बारी -बारी रखने को तैयार हो गए,
माँ थी कभी उस घर की इकलौती निगेहबान,
भीगी आँखों से माँ सोचने लगी,
क्यों ये आज जग हंसाई हो गई,
माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
*       *         *        *       *
भुलकर माँ के एहसान,
माँ को समझकर बोझ,
दोनों रहने लगे परेशान,
माँ की आँखों के आंसू,
आज धीरे-धीरे बह रहे हैं,
माँ के होंठ कांप रहे थे मगर,
उसके आंसू बहुत- कुछ कह रहे हैं,
मेरी ही कोख के जाये ,
आज मुझसे आँखें चुराने लगे हैं,
कितनी कद्र है मेरी उनकी आँखों में,
वे मुझको समझाने लगे हैं,
कितनी खुश थी मैं कभी ,
दो बेटों का साथ पाकर,
दोनों रखेंगे मुझे अपने सीने से लगाकर,
एक पल में करके पराया मुझे,
दोनों ने आँखें चुराई हैं,
माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
क्यों माँ एक पल में पराई हो गई
*       *        *        *        *
सीने में एक अरमान है बाकी,
जब तक जिस्म में जान है बाकी,
जब तक रहूँ सर उठाकर रहूँ,
हे ईश्वर तेरे हाथों में मेरे जीवन की कमान है,
मेरा सम्मान रहेगा क़ायम यूं ही,
जब तक तूं मेहरबान है,
रखना सदा हाथ बेटों  के सर पर,
इनके  सर रखना ‌कामयाबी के सेहरे,
इन सब में बेटों का कोई दोष नहीं,
होगा वही जो नशीब में लिखा है मेरे,
रखना सदा खुशहाल इन्हें,
गम ना करें परेशान इन्हें 
सुख ना हों इनसे पराया कभी ,
जैसे आज मैं पराई हो गई,
माँ से प्यारी क्यों उसकी कमाई हो गई,
आज दोनों बेटों में लड़ाई हो गई,
कुछ दिन रहेगी माँ मेरे पास कुछ दिन तेरे,
क्यों माँ एक पल में पराई हो गई।
*       *         *        *        *